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कांकेर: शोपीस बना कृषक प्रशिक्षण केंद्र, भवन में हमेशा लटकता रहता है 'सरकारी ताला'

पखांजूर में किसानों के लिए कृषक प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है, लेकिन प्रशिक्षण केंद्र मात्र शोपीस बन कर रहा गया है. कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कार्यालय हमेशा बंद रहता है. इससे किसानों को नए कृषि कार्य का प्रशिक्षण नहीं मिल रहा है.

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शोपीस बना कृषक प्रशिक्षण केंद्र
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Published : Nov 8, 2020, 3:44 AM IST

कांकेर: छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, ताकि मेहतनकश किसान को फायदा मिल सके, लेकिन सरकारी नुमाइंदे सरकार की योजनाओं पर पानी फेरने पर तुले हुए हैं. ताजा मामला पखांजूर में देखने को मिला. यहां किसानों के लिए कृषक प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है, लेकिन प्रशिक्षण केंद्र मात्र शोपीस बन कर रहा गया है.

पखांजूर का कृषक प्रशिक्षण केंद्र बना शोपीस

जानकारी के मुताबिक पखांजूर में 2010-11 में 20 लाख की लागत से कृषक प्रशिक्षण केंद्र भवन बनाया गया था, जो सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है. प्रशिक्षण केंद्र बनने को लेकर क्षेत्र के किसानों में भारी उत्साह भी था, लेकिन नए-नए टेक्नोलॉजी से खेती किसानी का अनुभव किसानों को नहीं मिल पाया. किसानों की मानें को कुछ दिनों तक ठीक रहा, बाद में कृषकों को प्रशिक्षण देना बंद हो गया.

Farmers are not getting training due to negligence of Agriculture Department in kanker
. खिड़कियों में मकड़ियों ने जाला बनाकर कब्जा कर रखा

SPECIAL: नशे का शिकार हो रहे युवा, प्रतिबंधित दवाइयों पर नहीं कसा जा रहा शिकंजा

खंडहर में तब्दील हो रहा प्रशिक्षण केंद्र

किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए लाखों रुपए का भवन और उसमें बैठने के लिए कुर्सी भी लगाए गए थे, लेकिन अब उन कुर्सियों में जंग लग गई है. खिड़कियों में मकड़ियों ने जाला बनाकर कब्जा कर रखा है. यहां कभी साफ सफाई भी नहीं किया गया है. इतना ही नहीं प्रशिक्षण केंद्र भवन के मुख्य द्वार पर ताला लटका हुआ है. परिसर के चारों तरफ बरसाती घास के बड़े पैमाने पर जंगल बन चुका है. प्रशिक्षण केंद्र को जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं आते हैं, जिससे यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

Farmers are not getting training due to negligence of Agriculture Department in kanker
भवन में हमेशा लटकता रहता है 'सरकारी ताला'

नुमाइंदों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा
बता दें कि कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कार्यालय हमेशा बंद रहता है. अधिकारी 150 किलोमीटर दूर कांकेर में रहते हैं. ऐसे में किसानों को शासन से मिलने वाला लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसानों को नए कृषि कार्य का प्रशिक्षण भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में शासन के नुमाइंदों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

कांकेर: छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए तरह-तरह की योजनाएं चला रही है, ताकि मेहतनकश किसान को फायदा मिल सके, लेकिन सरकारी नुमाइंदे सरकार की योजनाओं पर पानी फेरने पर तुले हुए हैं. ताजा मामला पखांजूर में देखने को मिला. यहां किसानों के लिए कृषक प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया है, लेकिन प्रशिक्षण केंद्र मात्र शोपीस बन कर रहा गया है.

पखांजूर का कृषक प्रशिक्षण केंद्र बना शोपीस

जानकारी के मुताबिक पखांजूर में 2010-11 में 20 लाख की लागत से कृषक प्रशिक्षण केंद्र भवन बनाया गया था, जो सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है. प्रशिक्षण केंद्र बनने को लेकर क्षेत्र के किसानों में भारी उत्साह भी था, लेकिन नए-नए टेक्नोलॉजी से खेती किसानी का अनुभव किसानों को नहीं मिल पाया. किसानों की मानें को कुछ दिनों तक ठीक रहा, बाद में कृषकों को प्रशिक्षण देना बंद हो गया.

Farmers are not getting training due to negligence of Agriculture Department in kanker
. खिड़कियों में मकड़ियों ने जाला बनाकर कब्जा कर रखा

SPECIAL: नशे का शिकार हो रहे युवा, प्रतिबंधित दवाइयों पर नहीं कसा जा रहा शिकंजा

खंडहर में तब्दील हो रहा प्रशिक्षण केंद्र

किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए लाखों रुपए का भवन और उसमें बैठने के लिए कुर्सी भी लगाए गए थे, लेकिन अब उन कुर्सियों में जंग लग गई है. खिड़कियों में मकड़ियों ने जाला बनाकर कब्जा कर रखा है. यहां कभी साफ सफाई भी नहीं किया गया है. इतना ही नहीं प्रशिक्षण केंद्र भवन के मुख्य द्वार पर ताला लटका हुआ है. परिसर के चारों तरफ बरसाती घास के बड़े पैमाने पर जंगल बन चुका है. प्रशिक्षण केंद्र को जिम्मेदार अधिकारी झांकने तक नहीं आते हैं, जिससे यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

Farmers are not getting training due to negligence of Agriculture Department in kanker
भवन में हमेशा लटकता रहता है 'सरकारी ताला'

नुमाइंदों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा
बता दें कि कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कार्यालय हमेशा बंद रहता है. अधिकारी 150 किलोमीटर दूर कांकेर में रहते हैं. ऐसे में किसानों को शासन से मिलने वाला लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसानों को नए कृषि कार्य का प्रशिक्षण भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में शासन के नुमाइंदों की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

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