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कांकेर की 'ख्वाब' का सपना जानकर पूरे परिवार को करेंगे सैल्यूट

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Published : Apr 6, 2021, 10:52 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 10:58 PM IST

अगर आपकी जिंदगी के बाद भी आपके शरीर के अंग किसी और के काम आ जाए तो इससे बेहतर शायद ही आपके जीवन के लिए कुछ हो. वो इंसान महान ही होगा जो मरने के बाद दूसरों की जिंदगी को बेहतर बना जाए या जीने का मौका दे दे. कांकेर के आमापारा के एक परिवार ने कुछ ऐसा किया है, जिसे सुन आप पूरे परिवार को सैल्यूट करेंगे.

family decided to donate organ
पूरे परिवार ने लिए अंगदान का फैसला

कांकेर: शहर के आमापारा में रहने वाले नागवानी परिवार के 15 वर्षीय ख्वाब नागवानी के ख्वाब सुनकर आपको सलाम करने का मन करेगा. 15 वर्षीय ख्वाब ने अपने जन्मदिन पर दुनिया को एक बेहतरीन तोहफा दिया है. ख्वाब के फैसले कई लोगों को नई जिंदगी दे सकती है. ख्वाब ने जन्मदिन पर अंगदान का फैसला लिया है. इतना ही नहीं बेटी के जन्मदिन पर ख्वाब के साथ उनके माता-पिता, भाई और दादा-दादी ने भी अंगदान का फैसला लिया है.

कांकेर की 'ख्वाब' का सपना सुन पूरे परिवार को करेंगे सैल्यूट

ईटीवी भारत से बात करते हुए ख्वाब ने बताया कि उसका भाई गणेश नागवानी पिछले अपने जन्मदिन पर ऐसा ही फैसला लेते हुए नेत्रदान का संकल्प लिया था. उसके साथ उसके पूरे परिवार ने नेत्रदान का फैसला लिया है. ख्वाब भी अपने छोटे भाई से प्रेरित होकर अपने जन्मदिन पर अंग दान करने का फैसला लिया है.

पूरे परिवार ने लिए अंगदान का फैसला

जन्मदिन के अवसर पर ख्वाब परिवार के सदस्यों के साथ जिला अस्पताल पहुंचकर अंगदान के लिए भरे फॉम को जिला अस्पताल सिविल सर्जन कार्यलय में जमा कर दी है. ख्वाब के जन्मदिन पर उसके साथ छोटा भाई गणेश नागवानी, पिता महेश नागवानी, माता देवी नागवानी, दादा कल्याणदास नागवानी, दादी कमला नागवानी ने भी अंगदान करने का फैसला लिया है. ख्वाब ने बताया कि अपने जन्मदिन पर अंगदान करने की इच्छा अपने पिता से जाहिर की थी और उनकी सहमति मिलने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह बात बताई.

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बेटी के फैसले का पिता ने किया सम्मान

ख्वाब के फैसले के बाद सभी ने अंगदान करने की इच्छा जाहिर की. ख्वाब ने कहा कि मृत्यु के बाद शरीर हमारे काम का नहीं रहता है. इसलिए मृत्यु के बाद हमारे अंग किसी व्यक्ति के काम आ जाए तो यह अच्छी बात होगी. महेश नागवानी ने बताया कि उनकी पुत्री ने अंगदान की इच्छा जाहिर की है, उसके इस कार्य में हम भी उसका साथ दे रहे हैं. इसके लिए जिला अस्पताल में संपर्क कर जानकारी ली गई है. मंगलवार को परिवार के सभी सदस्य एक साथ अंगदान के लिए फार्म भरा है. ख्वाब नागवानी और उनका पूरा परिवार पिछले वर्ष नेत्रदान के लिए फार्म भर चुका है. ख्वाब नागवानी ने बताया कि उनके छोटे भाई गणेश नागवानी के जन्मदिन पर उन्होंने अपने परिवार के साथ जिला अस्पताल पहुंचकर नेत्रदान का फार्म भरा था. इसमें उनके पड़ोसी भी शामिल हुए थे और उन्होंने भी नेत्रदान का फार्म भरा था.

पिता ने जाहिर की खुशी

जन्मदिन पर अपने बच्चे की इच्छा जानकर पिता महेश नागवानी काफी खुश हैं. महेश नागवानी ने बताया कि उनकी बेटी ने अंगदान की इच्छा जाहिर की, जिससे वे खुश हैं. उसके साथ सबने अंगदान करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए. जिससे किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद हो सके.

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कौन कर सकता है अंगदान ?

मेडिकल साइंस के मुताबिक दो गुर्दों में से एक दान में दिया जा सकता है. जबकि आंत और लीवर के अंश को किसी की जान बचाने के लिए दिया जा सकता है. आंत और लीवर अपने आप बढ़ते हैं. अंगदान सभी कर सकता है. अंगदान इंसान के मरने का बाद किया जाता है. अगर कोई शख्स जीते जी अंगदान के लिए आवेदन कर दिया है, तो मरने के बाद उसका अंग लिया जा सकता है. कुछ केस में इंसान के जिंदा रहते हुए ही उसका अंग लिया जा सकता है. 'ब्रेन डेड' मरीजों ने अगर अंगदान का संकल्प नहीं लिया है तो मरीज के घरवाले उनके अंगदान का फैसला ले सकते हैं.

कांकेर: शहर के आमापारा में रहने वाले नागवानी परिवार के 15 वर्षीय ख्वाब नागवानी के ख्वाब सुनकर आपको सलाम करने का मन करेगा. 15 वर्षीय ख्वाब ने अपने जन्मदिन पर दुनिया को एक बेहतरीन तोहफा दिया है. ख्वाब के फैसले कई लोगों को नई जिंदगी दे सकती है. ख्वाब ने जन्मदिन पर अंगदान का फैसला लिया है. इतना ही नहीं बेटी के जन्मदिन पर ख्वाब के साथ उनके माता-पिता, भाई और दादा-दादी ने भी अंगदान का फैसला लिया है.

कांकेर की 'ख्वाब' का सपना सुन पूरे परिवार को करेंगे सैल्यूट

ईटीवी भारत से बात करते हुए ख्वाब ने बताया कि उसका भाई गणेश नागवानी पिछले अपने जन्मदिन पर ऐसा ही फैसला लेते हुए नेत्रदान का संकल्प लिया था. उसके साथ उसके पूरे परिवार ने नेत्रदान का फैसला लिया है. ख्वाब भी अपने छोटे भाई से प्रेरित होकर अपने जन्मदिन पर अंग दान करने का फैसला लिया है.

पूरे परिवार ने लिए अंगदान का फैसला

जन्मदिन के अवसर पर ख्वाब परिवार के सदस्यों के साथ जिला अस्पताल पहुंचकर अंगदान के लिए भरे फॉम को जिला अस्पताल सिविल सर्जन कार्यलय में जमा कर दी है. ख्वाब के जन्मदिन पर उसके साथ छोटा भाई गणेश नागवानी, पिता महेश नागवानी, माता देवी नागवानी, दादा कल्याणदास नागवानी, दादी कमला नागवानी ने भी अंगदान करने का फैसला लिया है. ख्वाब ने बताया कि अपने जन्मदिन पर अंगदान करने की इच्छा अपने पिता से जाहिर की थी और उनकी सहमति मिलने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों को भी यह बात बताई.

20 महीने की बच्ची ने पांच लोगों को दी जिंदगी, सबसे कम उम्र में किया अंगदान

बेटी के फैसले का पिता ने किया सम्मान

ख्वाब के फैसले के बाद सभी ने अंगदान करने की इच्छा जाहिर की. ख्वाब ने कहा कि मृत्यु के बाद शरीर हमारे काम का नहीं रहता है. इसलिए मृत्यु के बाद हमारे अंग किसी व्यक्ति के काम आ जाए तो यह अच्छी बात होगी. महेश नागवानी ने बताया कि उनकी पुत्री ने अंगदान की इच्छा जाहिर की है, उसके इस कार्य में हम भी उसका साथ दे रहे हैं. इसके लिए जिला अस्पताल में संपर्क कर जानकारी ली गई है. मंगलवार को परिवार के सभी सदस्य एक साथ अंगदान के लिए फार्म भरा है. ख्वाब नागवानी और उनका पूरा परिवार पिछले वर्ष नेत्रदान के लिए फार्म भर चुका है. ख्वाब नागवानी ने बताया कि उनके छोटे भाई गणेश नागवानी के जन्मदिन पर उन्होंने अपने परिवार के साथ जिला अस्पताल पहुंचकर नेत्रदान का फार्म भरा था. इसमें उनके पड़ोसी भी शामिल हुए थे और उन्होंने भी नेत्रदान का फार्म भरा था.

पिता ने जाहिर की खुशी

जन्मदिन पर अपने बच्चे की इच्छा जानकर पिता महेश नागवानी काफी खुश हैं. महेश नागवानी ने बताया कि उनकी बेटी ने अंगदान की इच्छा जाहिर की, जिससे वे खुश हैं. उसके साथ सबने अंगदान करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए. जिससे किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद हो सके.

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कौन कर सकता है अंगदान ?

मेडिकल साइंस के मुताबिक दो गुर्दों में से एक दान में दिया जा सकता है. जबकि आंत और लीवर के अंश को किसी की जान बचाने के लिए दिया जा सकता है. आंत और लीवर अपने आप बढ़ते हैं. अंगदान सभी कर सकता है. अंगदान इंसान के मरने का बाद किया जाता है. अगर कोई शख्स जीते जी अंगदान के लिए आवेदन कर दिया है, तो मरने के बाद उसका अंग लिया जा सकता है. कुछ केस में इंसान के जिंदा रहते हुए ही उसका अंग लिया जा सकता है. 'ब्रेन डेड' मरीजों ने अगर अंगदान का संकल्प नहीं लिया है तो मरीज के घरवाले उनके अंगदान का फैसला ले सकते हैं.

Last Updated : Apr 6, 2021, 10:58 PM IST
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