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schools in kanker: नक्सल प्रभावित कांकेर में इस वजह से टीचर का घर बना बच्चों के लिए स्कूल - chhattisgarh latest news

कांकेर के ऊपरकामता गांव (uper Kamta village in Kanker) में पिछले ढाई साल से शिक्षक मंगल राम उसेंडी के घर में ही बच्चों का स्कूल है. उनके घर का आंगन खेल का मैदान है. मंगल राम गांव के बच्चों को अपने घर के बरामदे में पढ़ाते हैं. पढ़ें आखिर क्यों शिक्षक मंगल राम ऐसा कर रहे हैं.

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नक्सल प्रभावित कांकेर में इस वजह से शिक्षक का घर बना बच्चों के लिए स्कूल
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Published : Aug 10, 2021, 9:27 AM IST

कांकेर: शिक्षा के प्रति समपर्ण और जुनून एक शिक्षक को अपने विद्यार्थियों से कभी अलग नहीं कर सकता है. चाहे उसके सामने कोरोना जैसी महामारी ही क्यों न आ जाए. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में कोरोना संक्रमण के प्रभाव में आने से पहले ही स्कूलों की हालत कुछ ठीक नहीं थी. लिहाजा उत्तर बस्तर कांकेर के ऊपरकामता गांव (uper Kamta village in Kanker) के एक शिक्षक पिछले ढाई साल से अपने घर में स्कूली बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

टीचर का घऱ बना बच्चों के लिए स्कूल

ऊपरकामता गांव में पिछले ढाई साल से शिक्षक मंगल राम उसेंडी के घर में ही बच्चों का स्कूल (teacher house became a school) है. उनके घर का आंगन खेल का मैदान है और मंगल राम स्कूली बच्चों को अपने घर के बरामदे में पढ़ाते हैं. गांव के ही प्राथमिक पाठशाला के सहायक शिक्षक मंगल राम उसेंडी ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गांव के प्राथमिक स्कूल का भवन जर्जर अवस्था में है. गांव में कोई और सामुदायिक भवन तक नहीं है. जहां बच्चों की कक्षाएं संचालित की जा सके. हालांकि गांव में एक माध्यमिक स्कूल जरूर है, लेकिन वहां कोरोना संक्रमण के मद्देनजर एक साथ सभी बच्चों को पढ़ाया नहीं जा सकता.

कर्ज में डूबे दुर्ग के किसान ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, छोड़ा सुसाइड नोट

बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे शिक्षक मंगल राम उसेंडी ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि गांव में सामुदायिक भवन नहीं है. स्कूल जर्जर हालत में (school of kanker) है. ढाई साल होने जा रहा रहे है, लेकिन स्कूल के नाम पर गांव में कुछ भी नहीं है. इससे पहले इलाके के मिडिल स्कूल में संयुक्त क्लास लगाई जा रही थी, लेकिन वहां भी कोरोा के कारण एक साथ बैठना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं अपने एक कच्चे मकान के भवन में बच्चों को शिक्षा दे रहा हूं, यहां बच्चों को पढ़ाने में बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है.'

जिले का ऊपरकामता एक नक्सल प्रभावित गांव है. जहां जाने के लिए पक्की सड़कें तो है, लेकिन स्कूल भवन जर्जर हालत में है. प्राथमिक पाठशाला में 30 बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल भवन जर्जर होने के चलते शिक्षक को अपने घर में ही पढ़ाना पड़ता है.

ऊपरकामता प्राथमिक पाठशाला के अलावा भी बस्तर के अधिकांश इलाकों में स्कूलों की हालत ठीक नहीं है. उत्तर बस्तर में 67 स्कूल भवन जर्जर अवस्था में हैं. जिसमें सबसे ज्यादा 55 प्राथमिक स्कलों के भवन हैं. यही नहीं बस्तर में 62 स्कूल भवनविहीन हैं.

इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी आरएस देवांगन ने बताया कि ऊपरकामता प्राथमिक पाठशाला भवन की मरम्मत के लिए प्रपोजल तैयार कर भेजा गया है. कोविड काल में मोहल्ला क्लास लगने के कारण शिक्षक घर में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

कांकेर: शिक्षा के प्रति समपर्ण और जुनून एक शिक्षक को अपने विद्यार्थियों से कभी अलग नहीं कर सकता है. चाहे उसके सामने कोरोना जैसी महामारी ही क्यों न आ जाए. छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में कोरोना संक्रमण के प्रभाव में आने से पहले ही स्कूलों की हालत कुछ ठीक नहीं थी. लिहाजा उत्तर बस्तर कांकेर के ऊपरकामता गांव (uper Kamta village in Kanker) के एक शिक्षक पिछले ढाई साल से अपने घर में स्कूली बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

टीचर का घऱ बना बच्चों के लिए स्कूल

ऊपरकामता गांव में पिछले ढाई साल से शिक्षक मंगल राम उसेंडी के घर में ही बच्चों का स्कूल (teacher house became a school) है. उनके घर का आंगन खेल का मैदान है और मंगल राम स्कूली बच्चों को अपने घर के बरामदे में पढ़ाते हैं. गांव के ही प्राथमिक पाठशाला के सहायक शिक्षक मंगल राम उसेंडी ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गांव के प्राथमिक स्कूल का भवन जर्जर अवस्था में है. गांव में कोई और सामुदायिक भवन तक नहीं है. जहां बच्चों की कक्षाएं संचालित की जा सके. हालांकि गांव में एक माध्यमिक स्कूल जरूर है, लेकिन वहां कोरोना संक्रमण के मद्देनजर एक साथ सभी बच्चों को पढ़ाया नहीं जा सकता.

कर्ज में डूबे दुर्ग के किसान ने फांसी लगाकर की आत्महत्या, छोड़ा सुसाइड नोट

बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे शिक्षक मंगल राम उसेंडी ने ETV भारत से बात करते हुए बताया कि गांव में सामुदायिक भवन नहीं है. स्कूल जर्जर हालत में (school of kanker) है. ढाई साल होने जा रहा रहे है, लेकिन स्कूल के नाम पर गांव में कुछ भी नहीं है. इससे पहले इलाके के मिडिल स्कूल में संयुक्त क्लास लगाई जा रही थी, लेकिन वहां भी कोरोा के कारण एक साथ बैठना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं अपने एक कच्चे मकान के भवन में बच्चों को शिक्षा दे रहा हूं, यहां बच्चों को पढ़ाने में बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है.'

जिले का ऊपरकामता एक नक्सल प्रभावित गांव है. जहां जाने के लिए पक्की सड़कें तो है, लेकिन स्कूल भवन जर्जर हालत में है. प्राथमिक पाठशाला में 30 बच्चे पढ़ाई करते हैं. स्कूल भवन जर्जर होने के चलते शिक्षक को अपने घर में ही पढ़ाना पड़ता है.

ऊपरकामता प्राथमिक पाठशाला के अलावा भी बस्तर के अधिकांश इलाकों में स्कूलों की हालत ठीक नहीं है. उत्तर बस्तर में 67 स्कूल भवन जर्जर अवस्था में हैं. जिसमें सबसे ज्यादा 55 प्राथमिक स्कलों के भवन हैं. यही नहीं बस्तर में 62 स्कूल भवनविहीन हैं.

इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी आरएस देवांगन ने बताया कि ऊपरकामता प्राथमिक पाठशाला भवन की मरम्मत के लिए प्रपोजल तैयार कर भेजा गया है. कोविड काल में मोहल्ला क्लास लगने के कारण शिक्षक घर में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.

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