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कांकेर: सरोना वन परिक्षेत्र में दो भालुओं का मिला शव, मौत का कारण अज्ञात

कांकेर के सरोना वन परिक्षेत्र में दो भालुओं का शव मिला है. इसकी सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. अब तक भालुओं की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है. वन विभाग इसकी जांच में जुटा है.

body of two bears found in kanker
भालू का शव
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Published : Nov 21, 2020, 6:32 PM IST

कांकेर: सरोना वन परिक्षेत्र के सारवंडी में दो भालुओं का शव मिला है. दोनों भालू कई दिनों से आसपास के इलाके में घूम रहे थे. भालुओं की मौत के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है. सूचना मिलत ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. जहां विभाग के कर्मचारियों ने पोस्टमार्टम के बाद मौत के कारणों के पता चलने की बात कही है.

कुछ दिनों पहले बस स्टैंड में देखे गए थे भालू

कुछ दिनों पहले शहर के पुराने बस स्टैंड इलाके में भालू घूमते नजर आए थे. वहीं जिले के नरहरपुर में तेंदुए भी सड़क किनारे घूमते देखे गए थे. शहर के रिहायशी इलाकों में आए दिन ऐसे जंगली जानवर घुमते दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से आए दिन जंगली जानवरों के हमले के मामले सामने आ रहे हैं.

पढ़ें: VIDEO: रिहायशी इलाके में घूम रहे हैं भालू, वन विभाग बेखबर

खाने की तलाश में आ रहे जानवर

जंगली जानवर खाने की तलाश में रिहायशी इलाकों में घूमते देखे जा रहे हैं. कुछ दिनों पहले जिले के भानुप्रतापुर वन परिक्षेत्र में भी 40 हाथियों का दल भी रिहायशी इलाकों में घुस आया था. इन हाथियों के दल की निगरानी के लिए वन विभाग के पसीने छूट गए थे. साथ ही हाथियों के दल ने किसानों की कई हेक्टेयर फसल भी बर्बाद कर दी थी.

जामवंत योजना की खुल रही पोल

कांकेर शहर के आसपास बस्ती से सटी पहाड़ी और जंगल को देखते हुए ठेलकाबोड़ और डुमाली को जामवंत योजना के तहत 2015 में भालुओं के रहने लायक बनाया गया. शासन ने इस योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर यहां भालुओं के पसंद के अमरूद, जामुन, बेर, मकोय, गुलर और आम के पौधे लगाए थे. जिससे कि भालू अपना पेट भरकर जंगल में ही रहें. खाने की तलाश में बस्ती तक न आएं. लेकिन भालू यहां रहने के बजाए बस्ती में ही घूमते नजर आते हैं.

कांकेर: सरोना वन परिक्षेत्र के सारवंडी में दो भालुओं का शव मिला है. दोनों भालू कई दिनों से आसपास के इलाके में घूम रहे थे. भालुओं की मौत के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है. सूचना मिलत ही वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. जहां विभाग के कर्मचारियों ने पोस्टमार्टम के बाद मौत के कारणों के पता चलने की बात कही है.

कुछ दिनों पहले बस स्टैंड में देखे गए थे भालू

कुछ दिनों पहले शहर के पुराने बस स्टैंड इलाके में भालू घूमते नजर आए थे. वहीं जिले के नरहरपुर में तेंदुए भी सड़क किनारे घूमते देखे गए थे. शहर के रिहायशी इलाकों में आए दिन ऐसे जंगली जानवर घुमते दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से आए दिन जंगली जानवरों के हमले के मामले सामने आ रहे हैं.

पढ़ें: VIDEO: रिहायशी इलाके में घूम रहे हैं भालू, वन विभाग बेखबर

खाने की तलाश में आ रहे जानवर

जंगली जानवर खाने की तलाश में रिहायशी इलाकों में घूमते देखे जा रहे हैं. कुछ दिनों पहले जिले के भानुप्रतापुर वन परिक्षेत्र में भी 40 हाथियों का दल भी रिहायशी इलाकों में घुस आया था. इन हाथियों के दल की निगरानी के लिए वन विभाग के पसीने छूट गए थे. साथ ही हाथियों के दल ने किसानों की कई हेक्टेयर फसल भी बर्बाद कर दी थी.

जामवंत योजना की खुल रही पोल

कांकेर शहर के आसपास बस्ती से सटी पहाड़ी और जंगल को देखते हुए ठेलकाबोड़ और डुमाली को जामवंत योजना के तहत 2015 में भालुओं के रहने लायक बनाया गया. शासन ने इस योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर यहां भालुओं के पसंद के अमरूद, जामुन, बेर, मकोय, गुलर और आम के पौधे लगाए थे. जिससे कि भालू अपना पेट भरकर जंगल में ही रहें. खाने की तलाश में बस्ती तक न आएं. लेकिन भालू यहां रहने के बजाए बस्ती में ही घूमते नजर आते हैं.

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