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ETV Bharat Reality Check : छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर रसोईया संघ, शिक्षक फूंक रहे चूल्हा

ETV Bharat Reality Check कांकेर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में रसोईया संघ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है.रसोईया संघ मानदेय बढ़ाने की मांग पर अड़ा है. ऐसे में स्कूलों में मिड डे मील की व्यवस्था गड़बड़ा गई है. हालात ये है कि स्कूलों में अब शिक्षक रसोईयों की जगह चूल्हा फूंक रहे हैं.ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर रसोईया संघ, शिक्षक फूंक रहे चूल्हा
छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर रसोईया संघ, शिक्षक फूंक रहे चूल्हा
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Published : Sep 14, 2022, 4:07 PM IST

कांकेर : मध्याह्न भोजन बनाने वाले रसोइया 3 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर (cook union strike in chhattisgarh) हैं. हड़ताल में जाने से स्कूलों में मिड डे मील का काम प्रभावित हो रहा है. स्कूलों में शिक्षक चूल्हा फूंककर मिड डे मील बनाकर बच्चों को खाना दे रहे हैं. गौरतलब है कि रसोइया संघ ने उल्लंघन करने वाले सदस्यों पर 5 हजार जुर्माना लगाने फरमान जारी किया है. इसलिए कोई रसोइया स्कूल नहीं पहुंच रहा है. स्कूलों में तैनात सफाईकर्मियों ने भी भोजन बनाने से इंकार कर दिया है. प्रशासन ने महिला समूहों को इस काम में लगाने को कहा लेकिन रसोइयों को जो दर मिल रही है, उतने पैसों में समूह भी भोजन बनाने को तैयार नहीं. ऐसे में किसी स्कूल में शिक्षक खुद ही मिड डे मील बना रहे हैं तो किसी स्कूल में शिक्षकों ने अतिरिक्त पैसे देकर खाना बनाने के लिए मजदूर रख लिए. जहां व्यवस्था नहीं हो पा रही है वहां मिड डे मील बंद है.

छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर रसोईया संघ, शिक्षक फूंक रहे चूल्हा
ETV भारत ने जानी सच्चाई : ETV भारत की टीम ने शहर से लगे मालगांव और करप स्कूल का जायजा लिया. जहां रसोइयों के हड़ताल में जाने के कारण शिक्षक खुद मध्याह्न भोजन बना रहे हैं. ETV भारत से शिक्षकों ने कहा कि पढ़ाई के दौरान खाली समय होने के बाद सभी शिक्षक मील के मध्यान्ह भोजन बना रहे हैं. वहीं शिक्षकों के मध्यान्ह भोजन बनाने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है.शिक्षक लकड़ी के चूल्हे फूंक कर मध्यान भोजन बना रहे हैं. जहां शिक्षकों ने कहा कि अगर गैस उपलब्ध हो जाता तो मध्यान्ह भोजन बनाने में आसानी (ETV Bharat Reality Check) होती. कितने रसोईए हड़ताल पर : बस्तर संभाग के भी करीब 15 हजार से ज्यादा रसोईया संघ के कर्मचारी हड़ताल पर डटे हैं. एक साथ सभी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के तहत दी जाने वाली मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई. संभाग के कई अंदरूनी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल पा रहा (teachers prepared food on schools in chhattisgarh) है.

क्या है रसोईया संघ की मांग : सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन पकाने की जिम्मेदारी रसोईया संघ की है. उनका कहना है कि '' साल 2009 से अब तक उन्हें मानदेय के रूप में केवल 1500 रुपए दिया जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार हजार रुपए और 500 रुपए छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है. 1500 रुपए के मानदेय में उनके परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. इससे पहले भी कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग की गई. इसके बावजूद सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. इसके अलावा सालों से उन्हें रेगुलर करने का वादा किया जा रहा है लेकिन अब तक ना बीजेपी और ना कांग्रेस ने उनका नियमितीकरण किया.

मांगें पूरी नहीं होने तक हड़ताल : ऐसे में वे जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन पर डटे रहने का मन बना लिया है. रसोईया संघ के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा नुकसान स्कूली बच्चों का हो रहा है. मिड डे मील के तहत बच्चों को सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन अनिवार्य है. जब से रसोईया संघ के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, तब से मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई. chhattisgarh latest news

कांकेर : मध्याह्न भोजन बनाने वाले रसोइया 3 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर (cook union strike in chhattisgarh) हैं. हड़ताल में जाने से स्कूलों में मिड डे मील का काम प्रभावित हो रहा है. स्कूलों में शिक्षक चूल्हा फूंककर मिड डे मील बनाकर बच्चों को खाना दे रहे हैं. गौरतलब है कि रसोइया संघ ने उल्लंघन करने वाले सदस्यों पर 5 हजार जुर्माना लगाने फरमान जारी किया है. इसलिए कोई रसोइया स्कूल नहीं पहुंच रहा है. स्कूलों में तैनात सफाईकर्मियों ने भी भोजन बनाने से इंकार कर दिया है. प्रशासन ने महिला समूहों को इस काम में लगाने को कहा लेकिन रसोइयों को जो दर मिल रही है, उतने पैसों में समूह भी भोजन बनाने को तैयार नहीं. ऐसे में किसी स्कूल में शिक्षक खुद ही मिड डे मील बना रहे हैं तो किसी स्कूल में शिक्षकों ने अतिरिक्त पैसे देकर खाना बनाने के लिए मजदूर रख लिए. जहां व्यवस्था नहीं हो पा रही है वहां मिड डे मील बंद है.

छत्तीसगढ़ में हड़ताल पर रसोईया संघ, शिक्षक फूंक रहे चूल्हा
ETV भारत ने जानी सच्चाई : ETV भारत की टीम ने शहर से लगे मालगांव और करप स्कूल का जायजा लिया. जहां रसोइयों के हड़ताल में जाने के कारण शिक्षक खुद मध्याह्न भोजन बना रहे हैं. ETV भारत से शिक्षकों ने कहा कि पढ़ाई के दौरान खाली समय होने के बाद सभी शिक्षक मील के मध्यान्ह भोजन बना रहे हैं. वहीं शिक्षकों के मध्यान्ह भोजन बनाने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है.शिक्षक लकड़ी के चूल्हे फूंक कर मध्यान भोजन बना रहे हैं. जहां शिक्षकों ने कहा कि अगर गैस उपलब्ध हो जाता तो मध्यान्ह भोजन बनाने में आसानी (ETV Bharat Reality Check) होती. कितने रसोईए हड़ताल पर : बस्तर संभाग के भी करीब 15 हजार से ज्यादा रसोईया संघ के कर्मचारी हड़ताल पर डटे हैं. एक साथ सभी कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के तहत दी जाने वाली मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई. संभाग के कई अंदरूनी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल पा रहा (teachers prepared food on schools in chhattisgarh) है.

क्या है रसोईया संघ की मांग : सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन पकाने की जिम्मेदारी रसोईया संघ की है. उनका कहना है कि '' साल 2009 से अब तक उन्हें मानदेय के रूप में केवल 1500 रुपए दिया जा रहा है. इसमें केंद्र सरकार हजार रुपए और 500 रुपए छत्तीसगढ़ सरकार दे रही है. 1500 रुपए के मानदेय में उनके परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है. इससे पहले भी कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग की गई. इसके बावजूद सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. इसके अलावा सालों से उन्हें रेगुलर करने का वादा किया जा रहा है लेकिन अब तक ना बीजेपी और ना कांग्रेस ने उनका नियमितीकरण किया.

मांगें पूरी नहीं होने तक हड़ताल : ऐसे में वे जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन पर डटे रहने का मन बना लिया है. रसोईया संघ के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से सबसे ज्यादा नुकसान स्कूली बच्चों का हो रहा है. मिड डे मील के तहत बच्चों को सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन अनिवार्य है. जब से रसोईया संघ के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, तब से मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई. chhattisgarh latest news

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