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प्रकृति की गोद में बसा है चर्रे-मर्रे जलप्रपात, उदासीनता से खो रहा है पहचान - चर्रे-मर्रे जलप्रपात की खूबसूरती

कांकेर जिले में स्थित खूबसूरत चर्रे-मर्रे जलप्रपात अपनी पहचान से वंचित होते जा रहा है, जिस पर प्रशासन ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है.

प्रकृति की गोद में बसा चर्रे-मर्रे जलप्रपात
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Published : Aug 26, 2019, 7:19 PM IST

कांकेर : जिले के अन्तागढ़ से महज 12 किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में बसे चर्रे-मर्रे जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है. 50 फुट ऊंचा ये जलप्रपात जोगी नदी पर है, जो आगे जाकर कोटरी नदी में मिल जाता है.

अंतागढ़ से आमाबेड़ा जाने वाले रास्ते में पिंजारीन घाटी में बसे इस जलप्रपात में एक समय में पर्यटकों की काफी भीड़ हुआ करती थी, लेकिन अब गिनती के लोग ही यहां नज़र आते हैं. नक्सली दहशत की वजह से यहां लोगों का आना अब काफी कम हो चुका है.

पर्यटकों के लिए बनाई गई हैं सीढ़ियां
शुरू में इस जलप्रपात में उतरना जान जोखिम में डालने जैसा था क्योंकि इसकी गहराई काफी ज्यादा थी, लेकिन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने यहां सीढ़ियों का निर्माण कराया ताकि पर्यटकों को कोई परेशानी न हो और हर कोई घने जंगल के बीच छुपे इस प्राकृतिक सौंदर्य को अपनी आंखों में कैद कर सके.

विकास को लेकर प्रशासन नहीं है गंभीर
जलप्रपात में नक्सली चहलकदमी की वजह से लोगों का आना कम हुआ है, लेकिन अब इस इलाके में पुलिस कैंप खुलने के बाद नक्सल गतिविधियों में कमी आई है फिर भी बाहर से आने वाले लोग इस इलाके में आने से कतराते हैं.

charre marre waterfall kanker
पर्यटकों के सुविधा के लिए बनाई गई सीढ़ियां
जलप्रपात पहुंचने वाली सड़क जर्जर हालत में है. आठ साल से सड़क की यही स्थिति है फिर भी प्रशासन ने इस पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है. जलप्रपात में न पेयजल की सुविधा है, न स्वल्पाहार की और न ही किसी भी तरह की कोई सुरक्षा व्यवस्था है.

पढ़ें- फैलोशिप पूरा कर स्वदेश लौटी नित्या, फ्रांस में 'स्पेस' पर रिसर्च का मिला था मौका

मनोरम रहता है जलप्रपात का नजारा
जुलाई से अक्टूबर तक जलप्रपात अपने शबाब पर रहता है और पहाड़ों के बीच से निकलते इस झरने की खूबसूरती में चार-चांद लग जाते हैं.

कांकेर : जिले के अन्तागढ़ से महज 12 किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में बसे चर्रे-मर्रे जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है. 50 फुट ऊंचा ये जलप्रपात जोगी नदी पर है, जो आगे जाकर कोटरी नदी में मिल जाता है.

अंतागढ़ से आमाबेड़ा जाने वाले रास्ते में पिंजारीन घाटी में बसे इस जलप्रपात में एक समय में पर्यटकों की काफी भीड़ हुआ करती थी, लेकिन अब गिनती के लोग ही यहां नज़र आते हैं. नक्सली दहशत की वजह से यहां लोगों का आना अब काफी कम हो चुका है.

पर्यटकों के लिए बनाई गई हैं सीढ़ियां
शुरू में इस जलप्रपात में उतरना जान जोखिम में डालने जैसा था क्योंकि इसकी गहराई काफी ज्यादा थी, लेकिन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने यहां सीढ़ियों का निर्माण कराया ताकि पर्यटकों को कोई परेशानी न हो और हर कोई घने जंगल के बीच छुपे इस प्राकृतिक सौंदर्य को अपनी आंखों में कैद कर सके.

विकास को लेकर प्रशासन नहीं है गंभीर
जलप्रपात में नक्सली चहलकदमी की वजह से लोगों का आना कम हुआ है, लेकिन अब इस इलाके में पुलिस कैंप खुलने के बाद नक्सल गतिविधियों में कमी आई है फिर भी बाहर से आने वाले लोग इस इलाके में आने से कतराते हैं.

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पर्यटकों के सुविधा के लिए बनाई गई सीढ़ियां
जलप्रपात पहुंचने वाली सड़क जर्जर हालत में है. आठ साल से सड़क की यही स्थिति है फिर भी प्रशासन ने इस पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है. जलप्रपात में न पेयजल की सुविधा है, न स्वल्पाहार की और न ही किसी भी तरह की कोई सुरक्षा व्यवस्था है.

पढ़ें- फैलोशिप पूरा कर स्वदेश लौटी नित्या, फ्रांस में 'स्पेस' पर रिसर्च का मिला था मौका

मनोरम रहता है जलप्रपात का नजारा
जुलाई से अक्टूबर तक जलप्रपात अपने शबाब पर रहता है और पहाड़ों के बीच से निकलते इस झरने की खूबसूरती में चार-चांद लग जाते हैं.

Intro:कांकेर - जिले के अन्तागढ़ से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति की गोद के बसे चर्रेमर्रे जल प्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है , 50 फुट ऊंचा यह जलप्रपात जोगी नदी में है जो कि आगे जाकर कोटरी नदी में मिल जाती है । अंतागढ़ से आमाबेड़ा जाने वाले मार्ग पर पिंजारीन घाटी में स्तिथ इस जलप्रपात में एक समय मे पर्यटकों की भीड़ जुटा करती थी , काफी संख्या में लोग यहां पहुचते थे , लेकिन अब गिनती के लोग ही यहां नज़र आते है , नक्सल दहशत के चलते यहां लोगो का आना अब काफी कम हो चुका है।


Body:चर्रे मर्रे जलप्रपात पिंजरीन घाटी के बीच स्थित है , शुरू में इस जल प्रपात में उतरना जान जोखिम में डालने जैसा था क्योंकि इसकी गहराई काफी अधिक थी लेकिन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने प्रशासन ने यहां सीढ़ियों का निर्माण करवाया ताकि पर्यटक कांकेर जिले के घने जंगल के बीच छुपे इस प्राकृतिक सौदर्य को देख सके । यहां एक समय मे काफी संख्या में लोग पहुचने भी लगे थे और यह चर्रे मर्रे जलप्रपात कांकेर जिले की पहचान भी बन गया था लेकिन फिर इस इलाके में नक्सलियों ने पांव पसारे और यह इलाका इस जलप्रपात के बजाय नक्सलियों के नाम से जाने जाना लगा, हालांकि अब इस इलाके में पुलिस कैम्प खुलने के बाद नक्सल गतिविधि में कमी आई है लेकिन फिर भी बाहर से आने वाले लोग इस इलाके में आने से कतराते है , अगर यही हालात बने रहे तो वह दिन दूर नही जब यह खूबसूरत जल प्रपात अपना अस्तित्व खो देगा ।

प्रशासन भी क्षेत्र के विकास को लेकर गम्भीर नही
इस क्षेत्र के विकास को लेकर प्रशासन भी गम्भीर नज़र नही आता है ,अन्तागढ़ आमाबेड़ा मार्ग पर यह जलप्रपात स्थित है , यहां की सड़क जर्जर है पिछले 8 साल में प्रशासन यहां मरम्मत कार्य पूर्ण नही करवा सका है । इस जल प्रपात में किसी तरह की सुविधा नही है , ना पीने का साफ पानी ना हो खाने की कोई सुविधा यहां है ।


पर्यटक बोले अच्छी जगह, प्रशासन दे ध्यान
ईटीवी भारत ने यहां घूमने आए युवाओ के ग्रुप से बात की इस दौरान युवाओ ने कहा कि प्रकति की गोद मे बसा यहां बेहद सुंदर नज़ारा है इसे अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने प्रशासन को ध्यान देना चाहिए , नक्सल दहशत के बारे में उन्होंने कहा कि सुने जरूर है थे लेकिन यहां आकर ऐसा कुछ लगा नही , इसे अच्छे पर्यटन स्थल का रूप दिया जाना चाहिए ताकि ज्यादा लोग यहां आए ।


Conclusion:जुलाई से अक्टूबर तक सबाब पर रहता है जल प्रपात
चर्रे मर्रे जलप्रपात बारिश के मौसम जुलाई से अक्टूबर तक अपने सबाब पर रहता है , हालांकि इस वर्ष अभी तक बारिश काफी कम हुई है जिससे जल प्रपात में पानी अभी कम है , लेकिन जैसे ही बारिश रफ्तार पकड़ेगी यहां का नजारा काफी खूबसूरत नजर आता है ।

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