कांकेर : जिले के अन्तागढ़ से महज 12 किलोमीटर दूर प्रकृति की गोद में बसे चर्रे-मर्रे जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है. 50 फुट ऊंचा ये जलप्रपात जोगी नदी पर है, जो आगे जाकर कोटरी नदी में मिल जाता है.
अंतागढ़ से आमाबेड़ा जाने वाले रास्ते में पिंजारीन घाटी में बसे इस जलप्रपात में एक समय में पर्यटकों की काफी भीड़ हुआ करती थी, लेकिन अब गिनती के लोग ही यहां नज़र आते हैं. नक्सली दहशत की वजह से यहां लोगों का आना अब काफी कम हो चुका है.
पर्यटकों के लिए बनाई गई हैं सीढ़ियां
शुरू में इस जलप्रपात में उतरना जान जोखिम में डालने जैसा था क्योंकि इसकी गहराई काफी ज्यादा थी, लेकिन इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने यहां सीढ़ियों का निर्माण कराया ताकि पर्यटकों को कोई परेशानी न हो और हर कोई घने जंगल के बीच छुपे इस प्राकृतिक सौंदर्य को अपनी आंखों में कैद कर सके.
विकास को लेकर प्रशासन नहीं है गंभीर
जलप्रपात में नक्सली चहलकदमी की वजह से लोगों का आना कम हुआ है, लेकिन अब इस इलाके में पुलिस कैंप खुलने के बाद नक्सल गतिविधियों में कमी आई है फिर भी बाहर से आने वाले लोग इस इलाके में आने से कतराते हैं.
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मनोरम रहता है जलप्रपात का नजारा
जुलाई से अक्टूबर तक जलप्रपात अपने शबाब पर रहता है और पहाड़ों के बीच से निकलते इस झरने की खूबसूरती में चार-चांद लग जाते हैं.