कांकेर: सुरक्षाबलों की टीम ने एक बार फिर साबित किया है कि चाहे परिस्थिति कितनी ही कठिन क्यों न हो. उनके लिए जन सेवा सर्वोपरि है. नक्सलियों से लोहा लेने के साथ ही क्षेत्र की जनता के हर मुसीबतों में खड़े रहते है. कोयलीबेड़ा क्षेत्र के उदनपुर में 12वीं कक्षा की 17 वर्षीय किशोरी के शरीर में सिर्फ 3 ग्राम खून था. जिसके बाद जवानों से संपर्क किया गया. जवानों ने पहुंचकर ब्लड डोनेट किया.
खून की कमी के चलते किशोरी को कोयलीबेड़ा सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया गया था. बेहतर स्वास्थ्य के लिए 5 दिन पहले जिला मुख्यालय में कोमलदेव शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां किशोरी की खून की मात्रा मात्र 3 ग्राम थी, खून की आवश्यकता के चलते एक यूनिट ब्लड तो उपलब्ध हो गया लेकिन और ब्लड की आवश्यकता थी, जो उपलब्ध नहीं हो पा रहा था. जिसके बाद जवानों से संपर्क किया गया.
3 जवानों ने डोनेट किया ब्लड
परिजनों ने गांव में घर वालों को इसकी जानकारी दी. घर वालों ने कोयलीबेड़ा उदनपुर में स्थित बीएसएफ कैंप के मेजर को इसकी जानकारी दी, फिर क्या था अपने क्षेत्र की बच्ची की जान बचाने BSF कैंप से 3 जवान 130 किलोमीटर सफर कर जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल में आकर ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट कर किशोरी की जान बचाई.
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सुख- दुख के साथी है जवान
BSF के हेड कांस्टेबल मुकेश कुमार ने बताया कि कोयलीबेड़ा उदनपुर कैम्प से आए है, बच्ची को ब्लड की जरूरत थी. हमें सूचना मिली हमारे क्षेत्र में जहां कैंप है .उस गांव की है तो हम मदद करने आ गए, मेरे साथ 2 और जवान बच्ची को ब्लड डोनेट करने आए है, हम क्षेत्र के लोगो के साथ हमेशा कड़े है उनके सुख दुख के साथी है.
ब्लड देने की हो रही है तारीफ
अस्पताल में भर्ती किशोरी की बहन हसीना दुग्गा ने कहा कि बहन को खून की मात्रा 4 ग्राम थी. खून की कमी होने के कारण अस्पताल में भर्ती थी. एक बार खून चढ़ गया था लेकिन और जरूरत था तो हमारे गांव के BSF के जवानों ने आकर ब्लड डोनेट किया है. मैं उनका बहुत आभारी हूं. उत्तर बस्तर में बीएसएफ के इस काम की पूरे ब्लड बैंक में तारीफ हो रही है. नक्सल प्रभावित कैंप से अपने क्षेत्र की बच्ची को ब्लड डोनेट करने 130 किमी दूर से जवान अस्पताल पहुंचे.