कांकेर: मानसून आते ही उमस और बादल की गर्जनाओं के साथ ही बस्तर में लोगों के चेहरों पर एक अलग ही खुशी नजर आती (Boda is most expensive vegetable of Bastar) है. इस विशेष तरह की खुशी का कारण है एक सब्जी. यह सब्जी है बोड़ा. बोड़ा को खाने के लिये लोग साल भर इंतजार करते है. बोड़ा प्रेमी को खाने की खुशी और बेचने वाले को पैसे की खुशी बोड़ा से मिल जाती है.
साल के वृक्ष के नीचे होता है बोड़ा: बोड़ा धरती से निकलने वाली जंगली खाद्य है. यह बोड़ा साल वृक्षों के नीचे ही निकलता है. जब बादलों की गर्जना होती है.. उमस का वातावरण हो जाता है, उस समय बोड़ा स्वत: जमीन के अंदर आकार लेता है. स्थानीय ग्रामीण धरती को खोदकर बोड़ा निकालते है. बोड़ा आकार में आलू से लगभग आधा या उससे भी छोटा होता है. रंग इसका भूरा होता है. उपर पतली सी परत एवं अंदर सफेद गुदा भरा होता है. इसकी सब्जी काफी स्वादिष्ट और जायकेदार बनती है.
बोड़ा खाने में स्वादिष्ट होता है: बस्तर को सालवनों का द्वीप कहा जाता है. साल के अधिकतर वृक्ष कोंडागांव क्षेत्र में ज्यादा है. इसलिये कोंडागांव में बोड़ा की आवक सबसे ज्यादा होती है. बोड़ा खाने वालों के अनुसार बोड़ा दो किस्म का होता है. जात बोड़ा और राखड़ी बोड़ा. जिसमें से जात बोड़ा ज्यादा स्वादिष्ट होता है.
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बोड़ा खाने से होता है गजब का फायदा: बोड़ा में आवश्यक खनिज लवण एवं कार्बोहाईड्रेट भरपूर मात्रा में होता है. इसकी सब्जी बेहद ही स्वादिष्ट होती है. बाजार में आते ही लोग इसे खरीदने के लिये टूट पड़ते हैं. इसकी आवक सिर्फ शुरूआती बरसात तक लगभग एक माह तक ही होती है. इसकी शुरुआती कीमत किसी का भी होश उड़ा देती है. शुरूआती दौर में यह बोड़ा 1000-1200 रू किलो तक बिकता है. बाद में अधिक आवक से इसकी कीमत दौ सौ से तीन सौ रू किलो तक हो जाती है. इसके अधिक महंगे होने के कारण यह है कि इसका उत्पादन सिर्फ प्राकृतिक तौर पर ही होता है.
बस्तर की सबसे महंगी सब्जी बोड़ा: ग्रामीण महिलायें इसे आज भी सोली एवं पायली के पैमाने से बेचती है. एक सोली लगभग 250 ग्राम की होती है. वहीं पायली के अलग-अलग मान हैं. एक सोली बोड़ा शुरूआत में 400 रू एवं बाद में 50 रू की दर से मिलता है. यह बस्तर की सबसे महंगी सब्जियों में से एक है. फिर भी इसके स्वाद के कारण लोग बड़े शौक से बोड़ा खरीद कर खाते है. बोड़ा बेचने वालों को जबरदस्त फायदा हो जाता है.