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राहत की खबर: कांकेर में 43 हजार 299 मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला काम

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए देश-प्रदेश में लॉकडाउन है. इस दौरान अधिकतर काम बंद थे, लेकिन अब मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है, जो उनके लिए राहत की बात है.

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Published : Apr 21, 2020, 6:41 PM IST

43 thousand 299 laborers employed under manrega
43 हजार 299 मजदूरों को मनरेगा में रोजगार

कांकेर: लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आय के सभी साधन बन्द हो गए थे, लेकिन अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरों को काम दिया जा रहा है, जिससे उन्हें राहत मिली है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि मनरेगा का काम शुरू होने से उनकी जिन्दगी पटरी पर एक बार फिर लौट जाएगी.

43 thousand 299 laborers employed under manrega
43 हजार 299 मजदूरों को मनरेगा में रोजगार

मनरेगा के तहत कराए जा रहे काम में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. मजदूर मास्क या गमछे का उपयोग कर रहे हैं. कांकेर जिले के 357 ग्राम पंचायतों के 454 ग्रामों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्य संचालित हो रहे हैं.

43 हजार 299 मजदूरों को मिला काम

  • इस योजना तहत कांकेर विकासखण्ड में 5 हजार 789 मजदूरों को मिला काम
  • चारामा में 8 हजार 142 मजदूरों को मिला काम
  • नरहरपुर में 7 हजार 472 मजदूरों को मिला काम
  • भानुप्रतापपुर में 7 हजार 955 मजदूरों को मिला काम
  • दुर्गूकोंदल में 4 हजार 906 मजदूरों को मिला काम
  • अन्तागढ़ में 3 हजार 508 मजदूरों को मिला काम
  • कायेलीबेड़ा विकासखण्ड में 5 हजार 527 मजदूरों को रोजगार मिला है.

मनरेगा के कार्यों में मजदूरी दर 176 रुपए से बढ़ाकर 190 रुपए कर दिया गया है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. संजय कन्नौजे ने बताया कि पिछले वर्ष 2019-20 में अप्रैल माह में जहां 26 हजार मजदूर कार्यरत थे, वहीं इस वर्ष लॉकडाउन होने के बावजूद 43 हजार 299 मजदूर कार्यरत हैं. ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों की ओर से काम की मांग लगातार आ रही है, जिससे मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है.

मनरेगा से ठीक हुई मजदूरों की अर्थव्यवस्था

जिले में मनरेगा के तहत वर्तमान में जल संरक्षण, जल संर्वधन, गौठान और चारागाह, नरूवा, व्यक्तिगत डबरी निर्माण, तालाब गहरीकरण, नए तालाबों का निर्माण, कुआं निर्माण आदि कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किए जा रहे हैं.

कांकेर: लॉकडाउन के कारण ग्रामीणों की आय के सभी साधन बन्द हो गए थे, लेकिन अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मजदूरों को काम दिया जा रहा है, जिससे उन्हें राहत मिली है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि मनरेगा का काम शुरू होने से उनकी जिन्दगी पटरी पर एक बार फिर लौट जाएगी.

43 thousand 299 laborers employed under manrega
43 हजार 299 मजदूरों को मनरेगा में रोजगार

मनरेगा के तहत कराए जा रहे काम में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. मजदूर मास्क या गमछे का उपयोग कर रहे हैं. कांकेर जिले के 357 ग्राम पंचायतों के 454 ग्रामों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के कार्य संचालित हो रहे हैं.

43 हजार 299 मजदूरों को मिला काम

  • इस योजना तहत कांकेर विकासखण्ड में 5 हजार 789 मजदूरों को मिला काम
  • चारामा में 8 हजार 142 मजदूरों को मिला काम
  • नरहरपुर में 7 हजार 472 मजदूरों को मिला काम
  • भानुप्रतापपुर में 7 हजार 955 मजदूरों को मिला काम
  • दुर्गूकोंदल में 4 हजार 906 मजदूरों को मिला काम
  • अन्तागढ़ में 3 हजार 508 मजदूरों को मिला काम
  • कायेलीबेड़ा विकासखण्ड में 5 हजार 527 मजदूरों को रोजगार मिला है.

मनरेगा के कार्यों में मजदूरी दर 176 रुपए से बढ़ाकर 190 रुपए कर दिया गया है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. संजय कन्नौजे ने बताया कि पिछले वर्ष 2019-20 में अप्रैल माह में जहां 26 हजार मजदूर कार्यरत थे, वहीं इस वर्ष लॉकडाउन होने के बावजूद 43 हजार 299 मजदूर कार्यरत हैं. ग्राम पंचायतों में ग्रामीणों की ओर से काम की मांग लगातार आ रही है, जिससे मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है.

मनरेगा से ठीक हुई मजदूरों की अर्थव्यवस्था

जिले में मनरेगा के तहत वर्तमान में जल संरक्षण, जल संर्वधन, गौठान और चारागाह, नरूवा, व्यक्तिगत डबरी निर्माण, तालाब गहरीकरण, नए तालाबों का निर्माण, कुआं निर्माण आदि कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किए जा रहे हैं.

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