कांकेर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से हरेली त्योहार के दिन गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया. इस मौके पर कांकेर जिले के सभी विकासखंडों के 197 गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गौठान समितियों के माध्यम से दो रुपये प्रति किलो की दर से 4 हजार 368 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई. वहीं कांकेर विकासखंड में 12.04 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है. इसी तरह नरहरपुर में 30.80 क्विंटल, चारामा में 11.22 क्विंटल, भानुप्रतापपुर में 52 किलो ग्राम, दुर्गूकोंदल में 332.02 क्विंटल, अंतागढ़ में 1764.80 क्विंटल और कोयलीबेड़ा में 2166 क्विंटल गोबर की खरीदी गौठान समितियों ने की है.
हरेली त्योहार के दिन प्रदेश भर में गोधन न्याय योजना का शुभारंभ किया गया था. इसी कड़ी में जिले में भी प्रभारी मंत्री गुरु रूद्रकुमार ने चारामा ब्लॉक के खैरखेड़ा गांव में गोधन योजना का शुरुआत की थी. इस दौरान प्रभारी मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा था कि गौठान समिति के माध्यम से गोबर खरीदी कर पारंपरिक खेती को बढ़ावा मिलेगा. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से गोबर खरीदी के निर्णय को लेकर किसानों में खुशी है. उन्होंने आगे कहा कि शुरुआती दो दिनों में ही गोबर की खरीदी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की इस योजना लाभ उठाना ग्रामीणों ने शुरू कर दिया है.
राशन कार्ड की तर्ज पर दिया गया कार्ड
किसानों को राशन कार्ड की तर्ज पर ही गोबर बिक्री के लिए गोधन न्याय योजना का कार्ड दिया गया है, जिसमें गोबर बिक्री करने की पूरी एंट्री की जाएगी और 15 दिनों में किसानों के खाते में पैसा दिया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में 11 हजार किसानों ने बेचा गोबर
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी 'गोधन न्याय योजना' के तहत शुभारंभ के पहले दिन तकरीबन 2 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गई. बताया जा रहा है 11 हजार से ज्यादा किसानों ने गोबर बेचा है, जिसमें एक हजार 642 गौठानों से करीब दो हजार क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है. राज्य के 11 हजार 277 पशुपालकों ने गौठानों में गोबर को बेचा है. इसमें जांजगीर-चांपा के 134 गौठानों में 655 गौपालकों ने सर्वाधिक 477 क्विंटल गोबर की बिक्री की है.
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क्या है गोधन न्याय योजना?
'गोधन न्याय योजना' छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों, किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचाने की प्रदेश सरकार की एक नई योजना है. इस योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिसके जरिए गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण और अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे. इससे गांव के लोगों को रोजगार और आर्थिक लाभ मिल सकेगा.