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कांकेर: BSF कैंप के विरोध में हजारों ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी, अब तक प्रशासन ने नहीं की प्रदर्शनकारियों से बात

कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 गांव के ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने का विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों के धरना-प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है. ग्रामीण इसे उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की साजिश बता रहे हैं.

villagers protest in kanker
ग्रामीणों का विरोध-प्रदर्शन
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Published : Dec 19, 2020, 11:05 AM IST

Updated : Dec 19, 2020, 2:16 PM IST

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 68 ग्राम पंचायत के 103 गांवों के हजारों ग्रामीण हैं. इन गांवों के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. धरने का आज तीसरा दिन है. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं. उन्होंने ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कैंप खोले जाने का आरोप लगाया है.

BSF कैंप के विरोध में हजारों ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी

दरअसल शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है. इसके तहत 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल हैं. बीएसएफ कैंप खुले अभी महज 15 दिन ही हुए हैं और ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें: कांकेर: आदिवासी समाज ने रथ से मिट्टी निकाली, बिना रुके गुजरी रैली, खत्म हुआ चक्काजाम

कैंप की जरूरत नहीं: ग्रामीण

एसटी, एससी, ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर डटे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. ग्रामीण सहदेव उसेंडी का कहना है कि हमें कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है, वो उनका देवस्थल है, जहां उनके देवी-देवता निवास करते हैं. उनका कहना है कि कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप से उनके समाज के लोगों की आस्था पर असर पड़ रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि यहां से बीएसएफ कैंप हटाया जाए.

उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की साजिश : ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. उनका कहना है कि यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है. कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकालकर उन पर अत्याचार करने की साजिश है. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां कैंप इसलिए खोला गया है, ताकि सुरक्षा के साथ लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को पहुंचाया जा सके. ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं. जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है.

राज्यपाल को सौंपा जा चुका है ज्ञापन

ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन और रैली की थी. कैंप खोलने के विरोध में प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया था. इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताया था. जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी.

पढ़ें: कांकेर: बीएसएफ कैंप के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण

विकास कार्यों में आएगी तेजी

इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीएसएफ कैंप क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए खोला गया है. कैंप ग्रामीणों के हित में हैं. उन्होंने कहा कि कैंप खुलने से क्षेत्र का विकास होगा और सालों से लंबित पड़े विकास कार्य सड़क और पुल के निर्माण कार्य में तेजी आएगी.

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र में बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में 68 ग्राम पंचायत के 103 गांवों के हजारों ग्रामीण हैं. इन गांवों के ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं. धरने का आज तीसरा दिन है. कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप को ग्रामीण देवस्थल बता रहे हैं. उन्होंने ग्राम पंचायत की अनुमति के बिना उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए कैंप खोले जाने का आरोप लगाया है.

BSF कैंप के विरोध में हजारों ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी

दरअसल शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है. इसके तहत 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल हैं. बीएसएफ कैंप खुले अभी महज 15 दिन ही हुए हैं और ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

पढ़ें: कांकेर: आदिवासी समाज ने रथ से मिट्टी निकाली, बिना रुके गुजरी रैली, खत्म हुआ चक्काजाम

कैंप की जरूरत नहीं: ग्रामीण

एसटी, एससी, ओबीसी समाज अनिश्चितकालीन धरने पर राशन-पानी सहित सभी जरूरी चीजें लेकर डटे हुए हैं. उनका कहना है कि जब तक कैंप नहीं हटाया जाएगा, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा. ग्रामीण सहदेव उसेंडी का कहना है कि हमें कैंप से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जिस जगह कैंप खोला गया है, वो उनका देवस्थल है, जहां उनके देवी-देवता निवास करते हैं. उनका कहना है कि कड़काघाट और तुमिरघाट में खोले गए कैंप से उनके समाज के लोगों की आस्था पर असर पड़ रहा है. ग्रामीणों की मांग है कि यहां से बीएसएफ कैंप हटाया जाए.

उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की साजिश : ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि कैंप की उन्हें कोई आवश्यकता नहीं है. उनका कहना है कि यह जल, जंगल, जमीन को नुकसान पहुंचाने की साजिश है. कैंप बैठाकर लौह अयस्क निकालकर उन पर अत्याचार करने की साजिश है. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां कैंप इसलिए खोला गया है, ताकि सुरक्षा के साथ लौह अयस्क निकालकर उद्योगपतियों को पहुंचाया जा सके. ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी दुर्गुकोंदल, रावघाट सहित अन्य जगहों पर लौह अयस्क खदान खोले गए हैं. जिसमें आम ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. केवल यहां के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है.

राज्यपाल को सौंपा जा चुका है ज्ञापन

ग्रामीणों ने बीएसएफ कैंप खोले जाने की सूचना मिलने पर प्रतापतापुर में आंदोलन और रैली की थी. कैंप खोलने के विरोध में प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया था. इस संबंध में क्षेत्र के ग्रामीणों ने राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताया था. जिस पर राज्यपाल ने जांच कराए जाने की बात कही थी.

पढ़ें: कांकेर: बीएसएफ कैंप के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण

विकास कार्यों में आएगी तेजी

इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीएसएफ कैंप क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए खोला गया है. कैंप ग्रामीणों के हित में हैं. उन्होंने कहा कि कैंप खुलने से क्षेत्र का विकास होगा और सालों से लंबित पड़े विकास कार्य सड़क और पुल के निर्माण कार्य में तेजी आएगी.

Last Updated : Dec 19, 2020, 2:16 PM IST
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