कवर्धा: स्कूल भवन में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में अकेले रह रहे मजदूर का रो-रोकर बुरा हाल है. क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूर को आए 17 दिन से उपर हो गया है, लेकिन कोई भी अधिकारी मजदूर को देखने तक नहीं आया है.
पंडरिया विकासखण्ड के गांव खैलटुकड़ी का रहने वाला मजदूर मोहन निसाद जीवन यापन के लिए मजदूरी करने बाहर गया था, जिसे वापस अपने गांव आते ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. इस मजदूर को क्वॉरेंटाइन सेंटर में रूके 17 दिन से ऊपर होने को आया है, लेकिन इसे अभी तक छुट्टी नहीं मिली है.
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बताया जा रहा है कि इससे पहले आए 40 मजदूरों को छोड़ दिया गया है, वे अपने घर भी चले गये हैं, लेकिन उन्नाव उत्तर प्रदेश से आये अकेले मोहन निसाद को 17 दिन पूरा हो जाने के बाद भी नहीं छोड़ा गया है और न ही उसका सैंपल लिया गया है.
मजदूर का रो-रोकर हुआ बुरा हाल
मोहन निसाद ने रोते-रोते बताया कि स्कूल भवन में रात-दिन कोई नहीं रहता है सिर्फ वह ही अकेले रहता है. मजदूर ने बताया कि अकेले रात को उसे डर लगता है. कल रात को उसे डर और घबराहट की वजह से नींद नहीं आई, इसकी वजह से वह रात भर रोया, जिसके बाद गांव के कुछ लोग रात भर क्वॉरेंटाइन सेंटर के बाउन्ड्री के बाहर से हिम्मत देते रहे.
17 दिन बाद भी नहीं मिली छुट्टी
इधर, ग्रामीणों का कहना है कि यह मजदूर रात भर डर से रोते रहता है. 17 दिन होने के बावजूद अभी तक इसे छुट्टी नहीं दी गई है. यदि इस मजदूर के साथ कोई दुर्घटना न हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. हालांकि गांव के कुछ लोग इस शख्स के आसपास दिनरात रहते हैं, बावजूद इसके स्कूल भवन में इसे अकेले ही सोना पड़ता है, क्योंकि किसी भी ग्रामीण को स्कूल भवन के अंदर जाने की अनुमती नहीं है.