कवर्धा: बोड़ला विकासखंड के पथरा टोला गांव (अगरी) में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) से लोगों को रोजगार मिल रहा है. जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर बम्हनी ग्राम पंचायत की कुल आबादी करीब 1 हजार 450 है. जिनमें 460 परिवार रहते हैं. बम्हनी निवासियों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती है. जिसमें मुख्य फसल के तौर पर धान, कोदो, कुटकी और मक्का है. कुछ लोग दो फसलीय खेती भी करते हैं. जिसमें गेंहू की फसल मुख्य है. वहीं कई ग्रामीणों के लिए वनोपज संग्रहण के साथ मजदूरी और अन्य कार्य जीविकोपार्जन का मुख्य जरिया है. जिसमें मनरेगा ने भी अहम भूमिका निभाई है.
9 लाख रुपये की लागत से हुआ तालाब का निर्माण
ग्रामीणों को रोजगार देने के उद्देश्य से पथरा टोला में 9 लाख रुपये की लागत से मनरेगा के तहत ताजिया तालाब के गहरीकरण का काम शुरू किया गया था. रोजगार सहायक निर्मला धुर्वे ने बताया की इस काम में 230 मजदूरों को रोजगार मिला.
पढ़ें: मछली पालन को छत्तीसगढ़ में मिलेगा खेती का दर्जा: सीएम भूपेश बघेल
तालाबों में डाले गए मछली के बीज
ताजिया तालाब में 12 सदस्यीय जय सेवा गोंडवाना समूह, मछली पालन का काम भी कर रहा है. समूह के सदस्य कुंजू सिंह मरावी ने बताया कि, 24 किलो मछली का बीज तालाब में डाला गया है. जिसमें मुख्य रूप से रोहू, कतला, मृगल प्रजाति के बीज हैं. उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र में कार्य करने वाले सामर्थ चेरीटेबल ट्रस्ट के सदस्यों ने मछली पालन और उससे होने वाले फायदे के बारे में हमें जानकारी दी.
मत्स्य पालन विभाग ने दिया बीज
सामर्थ ट्रस्ट इन ग्रामीणों को मछली पालन के लिए प्रशिक्षित भी करता है. साथ ही मत्स्य पालन विभाग की ओर से ग्रामीणों को 4 किलो मछली का बीज और ट्रस्ट की ओर से 5 किलो बीज दिया गया. समूह के सदस्यों ने बताया कि जुलाई महीने में डाला गया मछली का बीज, फरवरी-मार्च तक तैयार हो जाएगा. जिसे 140 से 160 रूपये प्रति किलो की दर से, पास के रेंगाखारकला और रोल पंचायत के बाजार में बेचा जाएगा.
21 समूह मछलीपालन से जुड़े
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विजय दयाराम के. ने बताया कि, बोड़ला विकासखंड के वनांचल क्षेत्र के 50 ग्राम पंचायतों में भारत रूलर लाइवलीहुड फाउंडेशन का काम चल रहा है. क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में 21 समूह मछली पालन का काम कर रहे हैं. जिसमें 8 पुरूष समूह हैं और 13 महिला समूह हैं.