कवर्धा: पंडरिया विकासखंड के ग्राम कुंडा में महिलाओं ने वट सावित्री का उपवास रख कर वट वृक्ष के पास पूजा अर्चना की. जिसके बाद की वट वृक्ष परिक्रमा करते हुए पति की लंबी उम्र के लिए कामनाएं की. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष में जाकर पूजा अर्चना करती हैं.
इस धार्मिक मान्यताओं से अनुसार माता सावित्री सपने पति के प्रणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थी. इसी वट वृक्ष के नीचे सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस पाए थे. तभी से सावित्री को देवी का रूप मन जाता है. उसी समय से सुहागिनों की ओर से वट सावित्री की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करती है. पति की लंबी उम्र की कामना इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना करती हैं.
पति की लंबी उम्र के लिए पत्नी रखती है उपवास
पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं ने वट सावित्री का व्रत किया. महिलाएं सुबह से ही वट वृक्षों के पास पूजा करने के लिए पहुंच रही थी. वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ का बहुत महत्व है. हिंदू पंचांग के मुताबिक जेष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को ये व्रत किया जाता है. इसके अलावा इसी दिन के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है.
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इसलिए पड़ा वट सावित्री नाम
कहा जाता है कि सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को जीवित किया था, इसलिए इस व्रत का नाम वट सावित्री पड़ा है. इस व्रत के लिए पूजन सामग्री थाली में प्रसाद, गुड़, भीगा चना, आटे से बनी मिठाई, कुमकुम, रोली, मौली धागा, फल, पान का पत्ता, धूप और घी का दीया के साथ वट वृक्ष की पूजा की जाती है. सुहागिन महिलाएं मौली धागा लेकर बरगद पेड़ की परिक्रमा लगाती हैं.