कवर्धा: एक तरफ जहां प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में बच्चे टीचरों की कमी से जूझ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जिले का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां केवल दस बच्चों को दो टीचर मिलकर प्रायमरी शिक्षा की तालीम दे रहे हैं.
शासन और प्रशासन भले ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावे करे, लेकिन जमीनीस्तर पर कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पसंद नहीं कर रहे हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण है जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बसे बीजाझोरी गांव के प्राइमरी स्कूल का, जहां कक्षा पहली से लेकर कक्षा पांचवीं तक क्लास लगाई जाती है.
सुविधा होकर भी नहीं हैं बच्चे
इस प्रायमरी स्कूल के पास भवन है, शौचालय की भी व्यवस्था है, सही समय पर गुणवत्ता वाला मध्याह्न भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. गांव के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए यहां सन् 1994-95 में इस स्कूल की शुरुआत की गई थी. ये प्राइमरी स्कूल बिलासपुर नेशनल हाईवे से लगा हुआ है.
'बच्चों को निजी स्कूल में भर्ती कराते हैं अभिभावक'
स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि, 'इस स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं और ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करा दिया है. किसी न किसी वजह से कुछ बच्चे आए दिन स्कूल नहीं आते हैं, जिसकी वजह से कुछ बच्चों को अकेले पढ़ने में असहज महसूस होता है और वो मन लगाकर नहीं पढ़ते हैं.'
कार्रवाई करेंगे : डीईओ
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) का कहना है कि, 'इस स्कूल के बारे में जानकारी नहीं है. अगर बच्चों की संख्या कम है और शिक्षक दो है, तो हम स्कूल का निरीक्षण कर उचित कार्रवाई करेंगे.'