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कवर्धा के इस प्रायमरी स्कूल में सिर्फ 10 बच्चों को पढ़ाते हैं 2 मास्साब - two teacher educate ten students

जिले से छह किलोमीटर दूर बसे बीजाझोरी गांव के प्राइमरी स्कूल में सिर्फ10 बच्चों को 2 शिक्षक पढ़ाते हैं.

सिर्फ दस बच्चों का है ये प्रायमरी स्कूल
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Published : Aug 22, 2019, 3:30 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 6:18 PM IST

कवर्धा: एक तरफ जहां प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में बच्चे टीचरों की कमी से जूझ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जिले का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां केवल दस बच्चों को दो टीचर मिलकर प्रायमरी शिक्षा की तालीम दे रहे हैं.

प्रायमरी स्कूल में सिर्फ 10 बच्चों को पढ़ाते हैं 2 मास्साब

शासन और प्रशासन भले ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावे करे, लेकिन जमीनीस्तर पर कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पसंद नहीं कर रहे हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण है जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बसे बीजाझोरी गांव के प्राइमरी स्कूल का, जहां कक्षा पहली से लेकर कक्षा पांचवीं तक क्लास लगाई जाती है.

सुविधा होकर भी नहीं हैं बच्चे
इस प्रायमरी स्कूल के पास भवन है, शौचालय की भी व्यवस्था है, सही समय पर गुणवत्ता वाला मध्याह्न भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. गांव के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए यहां सन् 1994-95 में इस स्कूल की शुरुआत की गई थी. ये प्राइमरी स्कूल बिलासपुर नेशनल हाईवे से लगा हुआ है.

'बच्चों को निजी स्कूल में भर्ती कराते हैं अभिभावक'
स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि, 'इस स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं और ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करा दिया है. किसी न किसी वजह से कुछ बच्चे आए दिन स्कूल नहीं आते हैं, जिसकी वजह से कुछ बच्चों को अकेले पढ़ने में असहज महसूस होता है और वो मन लगाकर नहीं पढ़ते हैं.'

कार्रवाई करेंगे : डीईओ
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) का कहना है कि, 'इस स्कूल के बारे में जानकारी नहीं है. अगर बच्चों की संख्या कम है और शिक्षक दो है, तो हम स्कूल का निरीक्षण कर उचित कार्रवाई करेंगे.'

कवर्धा: एक तरफ जहां प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों में बच्चे टीचरों की कमी से जूझ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ जिले का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां केवल दस बच्चों को दो टीचर मिलकर प्रायमरी शिक्षा की तालीम दे रहे हैं.

प्रायमरी स्कूल में सिर्फ 10 बच्चों को पढ़ाते हैं 2 मास्साब

शासन और प्रशासन भले ही सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावे करे, लेकिन जमीनीस्तर पर कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पसंद नहीं कर रहे हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण है जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बसे बीजाझोरी गांव के प्राइमरी स्कूल का, जहां कक्षा पहली से लेकर कक्षा पांचवीं तक क्लास लगाई जाती है.

सुविधा होकर भी नहीं हैं बच्चे
इस प्रायमरी स्कूल के पास भवन है, शौचालय की भी व्यवस्था है, सही समय पर गुणवत्ता वाला मध्याह्न भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है. गांव के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए यहां सन् 1994-95 में इस स्कूल की शुरुआत की गई थी. ये प्राइमरी स्कूल बिलासपुर नेशनल हाईवे से लगा हुआ है.

'बच्चों को निजी स्कूल में भर्ती कराते हैं अभिभावक'
स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि, 'इस स्कूल में बहुत कम बच्चे हैं और ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करा दिया है. किसी न किसी वजह से कुछ बच्चे आए दिन स्कूल नहीं आते हैं, जिसकी वजह से कुछ बच्चों को अकेले पढ़ने में असहज महसूस होता है और वो मन लगाकर नहीं पढ़ते हैं.'

कार्रवाई करेंगे : डीईओ
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) का कहना है कि, 'इस स्कूल के बारे में जानकारी नहीं है. अगर बच्चों की संख्या कम है और शिक्षक दो है, तो हम स्कूल का निरीक्षण कर उचित कार्रवाई करेंगे.'

Intro:कवर्धा-एक तरफ जहा शिक्षक की कमी है , वही दूसरी ओर जिले मे एक ऐसा भी स्कूल है जहा महजब 10 बच्चों मे दो शिक्षक कार्यरत है। बावजूद शिक्षा का स्तर निम्न है। सरकारी सिस्टम पर अपने आप मे एक बडा सवाल है यहां स्कूल।


Body:पेकेज स्टोरी


एंकर-शासन और प्रशासन भले ही सरकारी स्कूलों के शिक्षा मे सुधार के दावे करें लेकिन धरातल पर अभिभावक सरकारी स्कूल मे अपने बच्चों को भेजना भी पसंद नही कर रहे है। इसका जिता जागता उदाहरण है , ग्राम बीजाझोरी का प्रथमिक स्कूल । जहां गाँव के महज 10 बच्चों के नाम दर्ज है। जबकि मध्याह्न भोजन भी संचालित है। बकायदा अध्यापन कार्य के लिए स्कूल मे दो शिक्षक पदस्त है।सर्वसुविधा होने के बावजूद स्कूल मे कक्षा पहली से पाचवीं अध्ययनरत है।

जिला मुख्यालय से महज 06 किलोमीटर दूर ग्राम बीजाझोरी की बसावट है। गाँव के बच्चों को शिक्षा से जोडने के लिए यहा सन् 1994/95 मे यहां स्कूल संचालित किया गया है ।यहां प्रथमिक शाला बिलासपुर नेशनल हाईवे के पास लगा हुआ है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि शासकीय स्कूलों से पालकों का मोह भंग हो चुका है। कारण यहीं है कि पालक अपने बच्चों को स्कूल प्रवेश नही करा रहे है। कक्षा पहली से पाचवीं तक मात्र 10 बच्चे ही दर्ज संख्या इसका जीता जागता उदाहरण है। इसके बाद भी छात्र-छात्राओं को सुविधा नही मिल पा रही है। स्कूल के सामने बारिश का पानी जाम हो जाने के कारण स्कूल परिसर दलदल का रुप ले लेता है, ऐसे मे बच्चे कीचड से होकर के स्कूल पहुते है वही कभी-कभी बच्चे किचड मे फिसल कर गिर भी जाते है जिससे उनके ड्रेस कॉपी किताब भी खराब हो जाते है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की शासकीय स्कूलों मे शिक्षा गुणवत्ता का क्या हाल है।


Conclusion:स्कूल के शिक्षकों का मानना है इस स्कूल मे बहुत कम बच्चे है। और जादातर अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों मे दाखिला करा दिये है वही कुछ ना कुछ कारणों से आऐ दिन स्कूल नही आते है तो एक दो बच्चों को पढने मे असहज महसुस करते है और ठिक से पड नही पाते है।


इस संबंध मे जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उनका कहा था कि उन्होंने इस स्कूल के बारे मे जानकारी नही है अगर ऐसा है की बच्चों की दर्ज संख्मा कम है और शिक्षक दो है तो इस संबंध मे हम स्कूल का निरिक्षण कर उचित कारवाई करेगें।

कवर्धा महबुब खान कि रिपोर्ट

बाईट01 राधा, छात्रा
बाईट02शिमला, रसोइया
बाईट03 पूर्णिमा चौवरसिया प्रधानपाठिका
बाईट04सीडी भट्ट, शिक्षक
बाईट04 केएल महिलांगे, जिला शिक्षा अधिकारी कवर्धा
Last Updated : Aug 22, 2019, 6:18 PM IST
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