कवर्धा: एक ओर जहां प्रदेश सरकार गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा कर रही है. वहीं इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही बया कर रही है. जिले के वनांचल इलाके में एक बार फिर एक चार वर्षीय आदिवासी बैगा बच्ची की समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण मौत हो गई. वहीं इस मामले में जब स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से बात की गई, तो वे गोलमोल जवाब दे रहे हैं.
वैसे तो बैगा आदिवासियों को विशेष जनजाति का दर्जा प्राप्त है, लेकिन कवर्धा जिले के पंडरिया ब्लॉक के वनांचल इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से ठप है. सुदूर वनांचल के सेंदुरखार गांव में एक और चार वर्षीय बच्ची की सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने से मौत हो गई है. बच्ची का नाम रामकली बैगा बताया जा रहा है जो बुखार से पीड़ित थी.
झाड़-फूंक कराने की वजह से हुई है मौत
वहीं इस मामले में जब जिला स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. जिला स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि 'बच्ची को कीड़े ने काट लिया था, जिसके बाद परिजनों ने उसका झाड़-फूंक कराया, जिससे उसकी मौत हुई है. बता दें कि एक सप्ताह के अंदर बैगा आदिवासी बच्ची की मौत का ये दूसरा मामला है.