कवर्धा : भोरमदेव महोत्सव में पहले सी रौनक नहीं दिख रही है. पहले 3 दिन तक चलने वाला ये महोत्सव 2 दिन का हुआ और ऊपर से कलाकारों की संख्या भी कम कर दी गई. इस बार रौनक आचार संहिता की वजह से भी फीकी रही.
भोरमदेव महोत्सव की शुरुआत 1995 में हुई थी. महोत्सव में जिले के साथ-साथ राज्य के बहार से भी शामिल होने और मेला घूमने आया करते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों से इसे जैसे नजर लग गई हो. इस बार का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ी कलाकारों और स्कूली बच्चों से कराया गया है.
लोगों को भोरमदेव महोत्सव के तारीख की जानकारी भी नहीं मिल पाई. प्रशासन ने इसका प्रचार-प्रसार भी नहीं कराया. एक वक्त था जब इस महोत्सव के दौरान यहां पैर रखने को जगह नहीं होती थी लेकिन इस बार कुर्सियां खाली ही दिख रही हैं.