कवर्धा: कवर्धा में किडनी के मरीजों का शासकीय अस्पताल में डायलिसिस नहीं हो पा रहा है. डायलिसिस के लिए भटक रहे मरीजों ने गुरुवार को कलेक्टर से गुहार लगाई है. कवर्धा के जिला अस्पताल के डायलिसिस सेंटर के मरीजों ने निःशुल्क डायलिसिस के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है, जिसके बाद कलेक्टर ने तत्कालीन व्यवस्था करने का निर्देश दिया है.
30 से 40 हजार का आता है खर्च: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से गंभीर से गंभीर बिमारियों का इलाज सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क करने की व्यवस्था की गई है. इनमें से किडनी संबंधित बीमारी भी शामिल है. किडनी के मरीजों को सप्ताह में कम से कम 4 बार डायलिसिस करना जरूरी होता है. एक बार डायलिसिस में तकरीबन 15 सौ से 2 हजार रुपए का खर्च आता है. यानी कि महीने में 30-40 हजार का खर्च पड़ जाता है.
पैसा न देने के कारण कंपनी नहीं कर रही डायलिसिस:कवर्धा में तकरीबन 35 से अधिक किडनी के मरीज हैं. इनमें से 90 फीसद मरीज गरीब हैं. इनके लिए प्राइवेट अस्पताल में डायलिसिस का खर्च उठा पाना संभव नहीं है. यही कारण है कि चलते स्थानीय विधायक व मंत्री मोहम्मद अकबर की पहल से जिला अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. इसके लिए शासन ने स्कर्ट संजीवनी नाम के प्राइवेट कंपनी के साथ अनुबंध भी किया था. लेकिन लंबे समय से कंपनी को राशि भुगतान नहीं किया गया है. यही कारण है कि कंपनी की ओर से मरीजों को डायलिसिस करने से इंकार कर दिया गया है.
कलेक्टर ने तत्काल दिलवाई सुविधा: कवर्धा जिला अस्पताल के मरीजों से कंपनी डायलिसिस कीट के लिए पैसे मांग रही है. ये पैसा गरीब लोग भुगतान नहीं कर सकते. यही कारण है कि ये कलेक्टर जन्मेजय महोबे समस्या निपटान के लिए गुहार लगाने पहुंचे. जानकारी मिलते ही कलेक्टर ने तुरंत डिप्टी कलेक्टर को भेज कर तत्कालीन व्यवस्था शुरू की. हालांकि आगामी दिनों में भी मरीजों के सामने दिक्कते पेश आ सकती है.