कवर्धा: बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाले कवर्धा के पिपरिया नगर पंचायत में भी बीजेपी का शुरू से दबदबा रहा है. 2003 में उप तहसील और 2008 में नगर पंचायत बनने के बाद यहां मूलभूत सुविधाओं पर तो काभी काम किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर में बिजली की समस्या और आवारा मवेशियों का जमावड़ा अब भी लगा रहता है.
बिजली कटौती यहां की सबसे गंभीर समस्या है. जिसका हल आज तक नहीं हुआ है. शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों के कारण आये दिन लोग हादसे का शिकार होते रहते हैं. हालांकि शहर में सीसी रोड, पेयजल, ओपन जीम, पार्क, समुदायिक भवन निर्माण, तलाब सुंदरीकरण जैसे कई बेहतर काम भी हुए हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर में सबसे ज्यादा पेयजल को लेकर काम हुआ है. शहर में पेयजल की समस्या न हो इसलिए बीते पाच साल में दो बड़े पानी टंकी का भी निर्माण कराया गया है. जबकि नगर पंचायत में पहले से भी दो पानी टंकी बना है. साफ-सफाई के मामले में भी नगर पंचायत काफी आगे है. नगर पंचायत बनने के बाद शहर में कई विकास कार्य हुए हैं, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि पिपरिया को उप तहसील के बजाय तहसील बना दिया जाए तो शहर के लोगों के साथ आसपास के ग्रामीणों को भी इसका काफी लाभ मिलेगा.