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कवर्धा में सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ा हजारों क्विंटल धान

कवर्धा में लाखों क्विंटल धान सरकारी अव्यवस्था के चलते बर्बादी की कगार पर है. धान खरीदी केंद्र (paddy procurement center) में 31 मई तक धान का उठाव करना था, लेकिन अब तक धान केंद्रों में 6 महीनों से खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है. जिसे अगर हफ्ते भर में नहीं उठाया गया तो लाखों क्विंटल धान बर्बाद हो जाएगा.

Thousands of quintals of paddy donated
सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ा हजारों क्विंटल धान
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Published : Jun 13, 2021, 12:35 PM IST

कवर्धा: जिले में पंडरिया ब्लॉक में किसानों से कई लाख क्विंटल धान की खरीद की गई है. धान खरीदी बंद हुए लगभग 6 महीने हो गए हैं, लेकिन धान के उठाव और रख रखाव की स्थिति ठीक नहीं है. जिला प्रशासन ने 31 मई तक धान के उठाव के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक यह काम नहीं किया जा सका है. जिसके कारण धान खरीदी केंद्र में ही 6 महीनों से खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं. जिसके कारण अब लाखों क्विंटल धान बर्बादी की कगार पर है.

सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ा हजारों क्विंटल धान

बेमेतरा में 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में डंप

धान खरीदी के बाद सरकार के पूर्ण परिवहन नियमों के चलते केंद्र से धान का उठाव नहीं हुआ है. पिछले 6 महीनों से खरीदी केंद्रों में हजारों क्विंटल धान के बोरे खुले आसमान के नीचे लगातार कभी बारिश तो कभी तेज धूप की मार झेल रहे हैं. जिनकी हालत इतनी जीर्ण और खराब हो चुकी है कि हाथ लगाने से ही धान के बोरे फटने लगते हैं. कई बोरियों के धान की ऐसी हालत है कि उसमें धान अंकुरित हो गए हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में मानसून ने दस्तक भी दे दी है. जिसके चलते बारिश शुरू हो गई है. ऐसे में धान से भरे इन खस्ताहाल बारदाना की बोरियां पूरी तरह से खराब हो जाएंगी. फिलहाल हफ्ते भर में अगर इन बोरियों का उठाव कर लिया जाता तो धान को पूरी तरह से बर्बाद होने से बचाया जा सकता है.

लाखों रुपए के धान बर्बादी की कगार पर

पंडरिया ब्लॉक के कुंडा समिति केंद्र के प्रभारी गंगाराम चंद्राकर ने बताया कि समिति के अंतर्गत 5 धान खरीदी केंद्र आते हैं. जहां लगभग 2 लाख क्विंटल धान खरीदी किया गया था. जिसमें लगभग 54 हजार क्विंटल धान जाम है. इन्हें अगर बारिश शुरू होने के पहले नहीं उठाया गया तो ये पानी में सड़ जाएंगे, हजारों क्विंटल धान मैदान में बिखर कर कीचड़ में मिल जाएंगे. लाखों रुपए के धान की बर्बादी से शासन को आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी. इसके अलावा धान के सड़ने से निकली गैस और बदबू ग्रामीणों के परेशानी का सबब भी बन सकती है. वही बारिश के समय कच्ची सड़क के चलते धान खरीदी केंद्रों में परिवहन नहीं किया जा सकता. सुकली गोविंद धान खरीदी केन्द्र के प्रभारी रामप्रसाद चन्द्राकर ने बताया कि लगातर उच्च अधिकारियों को परिवहन के लिए अवगत कराया गया था. लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बस्तर संभाग के 4 जिलों में जाम हुआ धान, कोंडागांव में सबसे ज्यादा हाल खराब

कुंडा समिति के अंतर्गत खरीदी केंद्रों में बचे हुए धान

  • धान खरीदी केन्द्र कुंडा में 24 हजार 940 क्विंटल
  • दामापुर धान खरीदी केन्द्र में 13 हजार 493.42 क्विंटल
  • सुकली गोविंद धान खरीदी केन्द्र में 6 हजार 428.99 क्विंटल
  • कुआमालगी धान खरीदी केन्द्र में 8 हजार 100 क्विंटल
  • पटुवा धान खरीदी केन्द्र में 580 क्विंटल

कवर्धा: जिले में पंडरिया ब्लॉक में किसानों से कई लाख क्विंटल धान की खरीद की गई है. धान खरीदी बंद हुए लगभग 6 महीने हो गए हैं, लेकिन धान के उठाव और रख रखाव की स्थिति ठीक नहीं है. जिला प्रशासन ने 31 मई तक धान के उठाव के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक यह काम नहीं किया जा सका है. जिसके कारण धान खरीदी केंद्र में ही 6 महीनों से खुले आसमान के नीचे रखे हुए हैं. जिसके कारण अब लाखों क्विंटल धान बर्बादी की कगार पर है.

सरकारी अव्यवस्था की भेंट चढ़ा हजारों क्विंटल धान

बेमेतरा में 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में डंप

धान खरीदी के बाद सरकार के पूर्ण परिवहन नियमों के चलते केंद्र से धान का उठाव नहीं हुआ है. पिछले 6 महीनों से खरीदी केंद्रों में हजारों क्विंटल धान के बोरे खुले आसमान के नीचे लगातार कभी बारिश तो कभी तेज धूप की मार झेल रहे हैं. जिनकी हालत इतनी जीर्ण और खराब हो चुकी है कि हाथ लगाने से ही धान के बोरे फटने लगते हैं. कई बोरियों के धान की ऐसी हालत है कि उसमें धान अंकुरित हो गए हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में मानसून ने दस्तक भी दे दी है. जिसके चलते बारिश शुरू हो गई है. ऐसे में धान से भरे इन खस्ताहाल बारदाना की बोरियां पूरी तरह से खराब हो जाएंगी. फिलहाल हफ्ते भर में अगर इन बोरियों का उठाव कर लिया जाता तो धान को पूरी तरह से बर्बाद होने से बचाया जा सकता है.

लाखों रुपए के धान बर्बादी की कगार पर

पंडरिया ब्लॉक के कुंडा समिति केंद्र के प्रभारी गंगाराम चंद्राकर ने बताया कि समिति के अंतर्गत 5 धान खरीदी केंद्र आते हैं. जहां लगभग 2 लाख क्विंटल धान खरीदी किया गया था. जिसमें लगभग 54 हजार क्विंटल धान जाम है. इन्हें अगर बारिश शुरू होने के पहले नहीं उठाया गया तो ये पानी में सड़ जाएंगे, हजारों क्विंटल धान मैदान में बिखर कर कीचड़ में मिल जाएंगे. लाखों रुपए के धान की बर्बादी से शासन को आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी. इसके अलावा धान के सड़ने से निकली गैस और बदबू ग्रामीणों के परेशानी का सबब भी बन सकती है. वही बारिश के समय कच्ची सड़क के चलते धान खरीदी केंद्रों में परिवहन नहीं किया जा सकता. सुकली गोविंद धान खरीदी केन्द्र के प्रभारी रामप्रसाद चन्द्राकर ने बताया कि लगातर उच्च अधिकारियों को परिवहन के लिए अवगत कराया गया था. लेकिन इसपर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

बस्तर संभाग के 4 जिलों में जाम हुआ धान, कोंडागांव में सबसे ज्यादा हाल खराब

कुंडा समिति के अंतर्गत खरीदी केंद्रों में बचे हुए धान

  • धान खरीदी केन्द्र कुंडा में 24 हजार 940 क्विंटल
  • दामापुर धान खरीदी केन्द्र में 13 हजार 493.42 क्विंटल
  • सुकली गोविंद धान खरीदी केन्द्र में 6 हजार 428.99 क्विंटल
  • कुआमालगी धान खरीदी केन्द्र में 8 हजार 100 क्विंटल
  • पटुवा धान खरीदी केन्द्र में 580 क्विंटल
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