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कवर्धा: चिल्फी घाटी के ग्राम बेंदा में बिखरी पड़ी हैं प्राचीन और दुर्लभ मूर्तियां, उदासीन है प्रशासन

बोडला के ग्राम बेंदा में सालों पुरानी शिवलिंग और भगवान गणेश का मूर्ति जंगल में विद्यमान है. पुरातात्विक टीम के मुताबिक ये मूर्ति कई दशक पुरानी है.

एतिहासिक धरोहर
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Published : Apr 26, 2019, 9:10 PM IST

कवर्धा: जिले के विकासखंड़ में वर्षों पुराना इतिहास छुपा हुआ है. प्रशासन ने कुछ एतिहासिक धरोहर के इतिहास को तो विदेशों तक चर्चित कर दिया है. वहीं कुछ ऐसी धरोहर भी हैं, जिसे जिले में रहने वाले लोग तक नहीं जानते.

बेंदा में बिखरी पड़ी हैं प्राचीन मूर्तियां

बोडला के ग्राम बेंदा में सालों पुरानी शिवलिंग और भगवान गणेश का मूर्ति जंगल में विद्यमान है. पुरातात्विक टीम के मुताबिक ये मूर्ति कई दशक पुरानी है. बताया जाता है कि मूर्ति लगभग 9वीं शताब्दी की है. मूर्ति से जुड़ी इतिहास के बारे में ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ये मध्यप्रदेश के मंडला रियासत के राजाओं द्वारा बनाया गई हो.

उदासीन है प्रशासन

इन सबके बीच एक और ऐसी ही एतिहासिक शिव मंदिर के भी अवषेश मिले हैं, जो मैकल पर्वत के तट पर चिल्फी घाटी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बेंदा में भी हैं, जहां इतिहास बिखरा पड़ा हुआ है, लेकिन देखरेख के अभाव में मूर्ति क्षीर्ण अवस्था में है. इधर पुरातत्व टीम की मानें, तो वे इन मूर्तियों को व्यवस्थित कर कवर्धा के प्रसिद्ध पुरातात्विक मंदिर के म्यूजियम में रखने के लिए प्रशासन को कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते ये प्राचीन मूर्तियां जंगल में ही अव्यवस्थित हालात में है.

कवर्धा: जिले के विकासखंड़ में वर्षों पुराना इतिहास छुपा हुआ है. प्रशासन ने कुछ एतिहासिक धरोहर के इतिहास को तो विदेशों तक चर्चित कर दिया है. वहीं कुछ ऐसी धरोहर भी हैं, जिसे जिले में रहने वाले लोग तक नहीं जानते.

बेंदा में बिखरी पड़ी हैं प्राचीन मूर्तियां

बोडला के ग्राम बेंदा में सालों पुरानी शिवलिंग और भगवान गणेश का मूर्ति जंगल में विद्यमान है. पुरातात्विक टीम के मुताबिक ये मूर्ति कई दशक पुरानी है. बताया जाता है कि मूर्ति लगभग 9वीं शताब्दी की है. मूर्ति से जुड़ी इतिहास के बारे में ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ये मध्यप्रदेश के मंडला रियासत के राजाओं द्वारा बनाया गई हो.

उदासीन है प्रशासन

इन सबके बीच एक और ऐसी ही एतिहासिक शिव मंदिर के भी अवषेश मिले हैं, जो मैकल पर्वत के तट पर चिल्फी घाटी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बेंदा में भी हैं, जहां इतिहास बिखरा पड़ा हुआ है, लेकिन देखरेख के अभाव में मूर्ति क्षीर्ण अवस्था में है. इधर पुरातत्व टीम की मानें, तो वे इन मूर्तियों को व्यवस्थित कर कवर्धा के प्रसिद्ध पुरातात्विक मंदिर के म्यूजियम में रखने के लिए प्रशासन को कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते ये प्राचीन मूर्तियां जंगल में ही अव्यवस्थित हालात में है.

Intro:पुरातत्व व जिला प्रशासन कि अंदेखी के चलते जिला के अनेकों इतिहास के कई पन्ने गुमनाम


Body:महबुब खान , कवर्धा



कवर्धा जिले मे अनेकों इतिहास दफन है। प्रशासन ने कुछ इतिहासिक धरोहर के इतिहास को विदेशों तक चर्चित कर दिया और कुछ को जिला मे रहने वाले लोग नही जानते, इसी कडी मे इन्ही सबके बीच एक और ऐसी इतिहासिक शिव मंदिर के भी अवषेश मिले है। जो मैकल पर्वत के तठ पर चिल्फी घाटी से कुछ किलोमीटर की दुरी पर ग्राम बेंदा मे भी है, जहा इतिहास बिखरा पडा हुआ है।


एकंर-दरअसल कवर्धा जिले के विकासखण्ड बोडला के ग्राम बेंदा मे वर्षों पुरानी शिवलिंग और गणेश जी का मूर्ति जंगल मे है,जिले के पुरातात्विक टीम की माने तो यह कई दशक प्राचिन लगभग 09 वीं शताब्दी की मूर्ति है,और मूर्ति से जुड़ी इतिहास के बारे में ऐसी संभावनाये जताई जा रही है कि मध्यप्रदेश के मण्डला रियासत के राजाओं द्वारा बनाया गया हो। मगर देखरेख के अभाव में मूर्ति क्षीर्ण अवस्था मे है।इधर पुरातत्व टीम की माने तो वे इस मूर्तियों को व्यवस्थित कर कवर्धा के प्रसिद्ध पुरातात्विक मंदिर के म्यूजियम में रखने के लिए प्रशासन को कई बार आवेदन कर चुके हैं,लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह प्राचीन मूर्तियां जंगल मे ही अव्ययवस्थित हालात में है।

बाईट01 हरिश यदू, ग्रामीण (टी सर्ट)
बाईट02 बृजलाल मेरावी, सरपंच
बाईट03 आदित्य श्रीवास्तव, जिला पुरातत्व टीम सदस्य


Conclusion:
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