कवर्धा: पंडरिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत ओड़डाबड़ी में गोबर खरीदी कई महीनों से ठप है. ये हाल जिले के कई खरीदी केंद्रों का है. जहां पिछले कई महीनों से गोबर खरीदी बंद है. खरीदी बंद होने से गोबर विक्रेताओं में मायूसी छाने लगी है. चरवाहे फिर से योजना को शुरू करने की मांग कर रहे हैं. कबीरधाम जिले और सभी ब्लॉक में भी जोर-शोर से गोबड़ खरीदी शुरू हुई थी. योजना की शुरुआत तो अच्छी रही.
अधिकारियों की निष्क्रियिता के चलते योजना 1 साल भी नहीं टिक पाई. पिछले कई महीनों से गोबर खरीदी ठप है. गोबड़ खरीदी के बंद होने से पशुपालकों में गोबर बेचने में असुविधा होने लगी है. ऐसे में पशु पालक परे परेशान होकर गोबर को नाली और सड़कों पर डालने लगे हैं. जिसके चलते गोबड़ बेच रहे चरवाहे व किसानों को नुकसान हो रहा है. चरवाहे और किसानों ने कहां कि बेचे गुए गोबर की भी पूरी राशि नहीं मिली है. 50 फीसदी पैसा खाते में आ गया है. वहीं 50 फीसदी पैसा अभी उनके खाते में नहीं आया है.
गोबर को फेंक रहे हैं इधर-उधर
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) के महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजना क्षेत्र में ठप पड़ा हुआ है. जिससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है. पहले तो गोबर की कोई कीमत नहीं थी. अब जब उसकी कीमत मिल रही है. तो खरीदी ही बंद हो गई है. जिससे गोबर को इधर-उधर फेंकना पड़ रहा है. नवंबर 2018 में आने से पहले ही कांग्रेस ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने नारा दिया था. छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा ,गरवा, घुरवा , बाड़ी ऐला बचाना है संगवारी. सत्ता में आते ही इस नारे को आधार बनाकर गोठानो में गोधन न्याय योजना के तहत ₹2 प्रति किलो की दर से खरीदी शुरू की थी.
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गोबर विक्रय के लिए कलेक्टर को ज्ञापन
पंडरिया विकासखंड अंतर्गत ओड़ाडबरी निवासी और गोबर विक्रेता उमेश यादव ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है. बताया कि यहां को गोधन न्याय योजना के तहत गोबर नहीं खरीदा जा रहा है. जिससे सभी परेशान हैं. हम भूमिहीन परिवार हैं. हमारे पास एक भी जमीन नहीं है. पशुपालक प्लान को मजबूर हो रहे हैं. गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी को ग्राम सेवक के द्वारा बंद किया गया है. ग्राम सेवक ने कहा कि जिला पंचायत सीईओ ने खरीदी बंद करा दिया है. ऐसे में गठान के पूरे गोबर सूख चुके हैं. जैविक खाद बनने योग्य भी नहीं है. इस विषय पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.