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कवर्धा: ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाई गई विजयादशमी, शहरी क्षेत्रों में नहीं हुआ रावण दहन

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Published : Oct 26, 2020, 9:19 AM IST

कवर्धा के ग्रामीण क्षेत्रों में असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी धूमधाम से मनाया गया. कोविड-19 के मद्देनजर इस बार दशहरा मैदान में कम लोगों की भीड़ देखने को मिली.

dussehra festival celebrated with great pomp in Rural areas of  kawardha
कवर्धा में धूमधाम से मनाई गई विजयादशमी

कवर्धा: जिले के पंडरिया विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से विजयादशमी मनाई गई. लोगों ने अधर्म पर धर्म की जीत के महापर्व को खुशी से मनाया. यहां विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर रामलीला का मंचन किया गया. इसके बाद रावण दहन किया गया. कोरोना महमारी का प्रकोप दशहरा पर भी देखा गया. शहरी क्षेत्र में रावण दहन का कार्यक्रम नहीं किया गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रावण को जलाया गया.

धूमधाम से मनाया गया दशहरा

ग्रामीण क्षेत्र कुन्डा में रथ पर राम-लक्ष्मण और रावण की सवारी को जसगीत और धार्मिक गीत के साथ गांवभर में घुमाया गया. इसके बाद देवी-देवताओं की पूजा करते हुए गांव के बस स्टैंड पर रावण का पुतला दहन किया गया. रावण दहन के बाद लोगों ने कई सालों से चली आ रही परम्परा सौंन के पत्ते को देकर खुशी मनाई.

dussehra festival celebrated with great pomp in Rural areas of  kawardha
राम लीला का मंचन

पढ़ें: महासमुंद में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा गया ख्याल

क्यों मनाया जाता है दशहरा

विजय दशमी के दिन ही भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का संहार किया था. परंपरा अनुसार विजयादशमी को गोधूली बेला में देशभर में दशानन के पुतलों का दहन किया जाता है. पंचांग और पंडितों के मुताबिक, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर साल दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है.

dussehra festival celebrated with great pomp in Rural areas of  kawardha
कवर्धा में धूमधाम से मनाई गई विजयादशमी

पढ़ें: सारंगढ़ में टूटी 200 साल पुरानी परंपरा, नहीं होगा गढ़ विच्छेदन और रावण दहन

विजयादशमी का महत्व

भगवान ​श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर विजय प्राप्त किया थी. रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए. रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर साल दशहरा मनाया जाता है. वहीं धार्मिक पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी, इसलिए भी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है. श्री राम का लंका विजय और मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से विजयादशमी को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. इन्हीं गाइडलाइन का पालन करते हुए विजयादशमी मनाया गया.

कवर्धा: जिले के पंडरिया विकासखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से विजयादशमी मनाई गई. लोगों ने अधर्म पर धर्म की जीत के महापर्व को खुशी से मनाया. यहां विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर रामलीला का मंचन किया गया. इसके बाद रावण दहन किया गया. कोरोना महमारी का प्रकोप दशहरा पर भी देखा गया. शहरी क्षेत्र में रावण दहन का कार्यक्रम नहीं किया गया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में रावण को जलाया गया.

धूमधाम से मनाया गया दशहरा

ग्रामीण क्षेत्र कुन्डा में रथ पर राम-लक्ष्मण और रावण की सवारी को जसगीत और धार्मिक गीत के साथ गांवभर में घुमाया गया. इसके बाद देवी-देवताओं की पूजा करते हुए गांव के बस स्टैंड पर रावण का पुतला दहन किया गया. रावण दहन के बाद लोगों ने कई सालों से चली आ रही परम्परा सौंन के पत्ते को देकर खुशी मनाई.

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राम लीला का मंचन

पढ़ें: महासमुंद में धूमधाम से मनाया गया दशहरा, सोशल डिस्टेंसिंग का भी रखा गया ख्याल

क्यों मनाया जाता है दशहरा

विजय दशमी के दिन ही भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का संहार किया था. परंपरा अनुसार विजयादशमी को गोधूली बेला में देशभर में दशानन के पुतलों का दहन किया जाता है. पंचांग और पंडितों के मुताबिक, आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर साल दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है.

dussehra festival celebrated with great pomp in Rural areas of  kawardha
कवर्धा में धूमधाम से मनाई गई विजयादशमी

पढ़ें: सारंगढ़ में टूटी 200 साल पुरानी परंपरा, नहीं होगा गढ़ विच्छेदन और रावण दहन

विजयादशमी का महत्व

भगवान ​श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर विजय प्राप्त किया थी. रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए. रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर साल दशहरा मनाया जाता है. वहीं धार्मिक पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी, इसलिए भी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है. श्री राम का लंका विजय और मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से विजयादशमी को लेकर सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. इन्हीं गाइडलाइन का पालन करते हुए विजयादशमी मनाया गया.

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