पंडरिया: पंडरिया नगर और ग्रामीण क्षेत्रो में भी बड़े हर्ष उल्लास के साथ जगह-जगह दशहरा पर्व मनाया गया. पंडरिया के ग्रामीण क्षेत्रों में विधि विधान के साथ राम, लक्ष्मण और हनुमान का रुप छोटे-छोटे बच्चे रथ में बैठा कर हरि कीर्तन के साथ गांव का भ्रमण किया गया और रावण मैदान पर लाया गया. जहां राम रावण का चित्राकंन को दर्शाते हुए मंच पर नाटकीय रूपांतरण किया गया. राम ने रावण का वध करते हुए बुराई के प्रतीक के रूप में रावण का पुतला दहन किया गया. रावण दहन के साथ ही साथ आतिशबाजी भी किया गया. रावण दहन के बाद लोगों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दी. (Dussehra Festival Celebrated In Pandariya)
बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक:आचार्य विजय दत्त शर्मा ने बताया कि " दशहरे का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध करके अपनी पत्नी सीता को उसके चुंगल से आजाद कराया था. तबसे हर साल विजय दशमी पर रावण, वही कई जगहों पर कुंभकरण और मेघनाद का पुतला दहन करने की परंपरा चली आ रही है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को विजय दशमी का त्योहार मनाया जाता है. इसे दशहरा भी कहते हैं. दशहरे का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है."
खास उपाय करने से बड़ा लाभ: वास्तु के अनुसार, विजय दशमी के दिन तिजोरी या धन के स्थान पर जयंती रखना बहुत शुभ होता है. नवरात्र के दिनों में जौ से जौ अंकुर निकल आते हैं, उन्हें ही जयंती कहा जाता है. नवरात्रि पारण के बाद एक लाल कपड़े में थोड़ी सी जयंती लेकर तिजोरी में रख लें.
रावण दहन की राख : दशहरे पर रावण दहन की राख या लकड़ी घर लाना भी बहुत उत्तम माना जाता है. रावण के पुतले का दहन होने के बाद उसकी छोटी सी लकड़ी या राख लाकर लाल कपड़े में बांधें और उसे मुख्य द्वार पर बांध दें. ऐसा कहते हैं कि ये उपाय करने से नकारात्मक शक्तियां घर से कोसों दूर रहती हैं. कुछ लोग इन्हें रावण की अस्थियां भी कहते हैं.