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इसरो ने स्पेस में स्पाडेक्स सैटेलाइट की 'डॉकिंग' की, ऐसा करने वाला चौथा देश बना भारत, PM ने दी बधाई - ISRO

इसरो ने अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट के तहत सैटेलाइट को जोड़ने में सफलता हासिल कर ली है.

spadex satellites
स्पाडेक्स सैटेलाइट की डॉकिंग (ISRO)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 16, 2025, 12:55 PM IST

नई दिल्ली: इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) ने गुरुवार को स्पैडेक्स सैटेलाइट के डॉकिंग प्रोसेस को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम भी दर्ज कर लिया है. स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को 30 दिसंबर 2024 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था.

इसरो ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "गुड मॉर्निंग इंडिया इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की है. इस पल को देखकर गर्व महसूस हो रहा है!". यह ऐतिहासिक क्षण अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 12 जनवरी को दो अंतरिक्ष यान को तीन मीटर की दूरी पर लाने और फिर सैटेलाइट्स को डॉक करने के अपने परीक्षण प्रयास में उन्हें सुरक्षित दूरी पर वापस रखने के कुछ ही दिनों बाद आया है.

डॉकिंग प्रोसेस पूरा करने वाला चौथा देश बना भारत
स्पेस एजेंसी ने कहा, एक ही वस्तु के रूप में दो उपग्रहों का नियंत्रण भी सफल रहा. मिशन पर एक अपडेट में कहा गया, "आने वाले दिनों में अनडॉकिंग और पावर ट्रांसफर चेक का पालन किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रोसेस करने वाला चौथा देश बन गया है.

पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मिशन की सफलता के लिए इसरो और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "यह आने वाले साल में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है."

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक PSLV C60 रॉकेट ने दो छोटे सैटेलाइट, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) के साथ 24 पेलोड को लेकर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी. लॉन्चिंग के लगभग 15 मिनट बाद लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले छोटे स्पेसक्राफ्ट को 475 किमी की गोलाकार कक्षा में लॉन्च किया गया.

इसरो के अनुसार स्पैडेक्स मिशन एक कोस्ट इफेक्टिव मिशन है जो PSLV से लॉन्च किए गए दो छोटे स्पेस क्राफ्ट के इस्तेमाल से अंतरिक्ष में डॉकिंग दिखाने के लिए है. जब कई रॉकेट लॉन्च का उद्देश्य सामान्य मिशन लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है, तो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक आवश्यक होती है.

यह भी पढ़ें- SpaDeX को सफलतापूर्वक लॉन्च करके ISRO ने रचा इतिहास, जानें इसके फायदे

नई दिल्ली: इंडियन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) ने गुरुवार को स्पैडेक्स सैटेलाइट के डॉकिंग प्रोसेस को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया. इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष इतिहास में अपना नाम भी दर्ज कर लिया है. स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को 30 दिसंबर 2024 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था.

इसरो ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "गुड मॉर्निंग इंडिया इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की है. इस पल को देखकर गर्व महसूस हो रहा है!". यह ऐतिहासिक क्षण अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 12 जनवरी को दो अंतरिक्ष यान को तीन मीटर की दूरी पर लाने और फिर सैटेलाइट्स को डॉक करने के अपने परीक्षण प्रयास में उन्हें सुरक्षित दूरी पर वापस रखने के कुछ ही दिनों बाद आया है.

डॉकिंग प्रोसेस पूरा करने वाला चौथा देश बना भारत
स्पेस एजेंसी ने कहा, एक ही वस्तु के रूप में दो उपग्रहों का नियंत्रण भी सफल रहा. मिशन पर एक अपडेट में कहा गया, "आने वाले दिनों में अनडॉकिंग और पावर ट्रांसफर चेक का पालन किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रोसेस करने वाला चौथा देश बन गया है.

पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मिशन की सफलता के लिए इसरो और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को बधाई दी. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "यह आने वाले साल में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है."

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक PSLV C60 रॉकेट ने दो छोटे सैटेलाइट, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) के साथ 24 पेलोड को लेकर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी. लॉन्चिंग के लगभग 15 मिनट बाद लगभग 220 किलोग्राम वजन वाले छोटे स्पेसक्राफ्ट को 475 किमी की गोलाकार कक्षा में लॉन्च किया गया.

इसरो के अनुसार स्पैडेक्स मिशन एक कोस्ट इफेक्टिव मिशन है जो PSLV से लॉन्च किए गए दो छोटे स्पेस क्राफ्ट के इस्तेमाल से अंतरिक्ष में डॉकिंग दिखाने के लिए है. जब कई रॉकेट लॉन्च का उद्देश्य सामान्य मिशन लक्ष्यों को प्राप्त करना होता है, तो अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक आवश्यक होती है.

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