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कवर्धा: भूखा है रोज कमाने और रोज खाने वालों का ये गांव, यहां नहीं पहुंची सरकारी योजनाएं

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Published : Apr 6, 2020, 4:49 PM IST

Updated : Apr 7, 2020, 10:11 AM IST

पंडरिया के कुंडा गांव में सरकारी अफसरों की गलती के कारण एक परिवार के लोग खाने के एक-एक दाने को तरस रहे हैं. रही-सही कसर लॉक डाउन ने निकाल दी है.

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घर में चूल्हा जलने की उम्मीद

कवर्धा: पंडरिया इलाके में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां सरकारी योजनाओं का अभाव है. इन गावों में जो लोग रहते हैं, वो काम न करें, तो उन्हें खाना मयस्सर नहीं होता. रात भूखे ही सोना पड़ता है, जिनकी जीविका सिर्फ मजदूरी कर के चलती है, वो गरीबी रेखा परिवार में तो आते हैं, लेकिन न उनके पास राशनकार्ड होता है, न ही गैस सिलेंडर की सुविधाएं मिल पाई है. यहां पहले से ही दुखों का अंबार था अब कोरोना वायरस ने और दुखी कर दिया है.

एक-एक दाने को तरस रहे लोग

हम बात कर रहे हैं पंडरिया के कुंडा गांव की. जहां सरकारी अफसरों की गलती के कारण एक परिवार के लोग खाने के एक-एक दाने को तरस रहे हैं. इस गरीब के हाथों पर जो फटा हुआ राशन कार्ड है, उसमें परिवार का नाम तो लिखा है, लेकिन उनके किस्मत में राशन नहीं लिखा है. बस इनके किस्मत में लाचारी लिखी है.

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नाम मात्र का राशन कार्ड

किस्मत में भूख की लकीर

परिवार ने बताया कि '3 साल पहले तक राशनकार्ड से राशन मिलता था, जो जीने के लिए कुछ सहारा देता था, लेकिन राशनकार्ड नवीनकरण के समय फिंगर प्रिंट नहीं लग पाया, जिसका खामियाजा परिवार तीन साल से झेल रहा है. परिवार वाले कहते हैं अगर ये काम करने न जाएं, तो खाना नसीब नहीं होता, लेकिन अब तो हालात ऐसे हो गए हैं, कि कोरोना वायरस ने मानों किस्मत में भूख की लकीर खींच दी हो.

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परिवार पालने में हो रही दिक्कत

सरपंच दे रहे गोल मोल जवाब

मामले में जब गांव के सरपंच से जानकारी ली गई, तो वो भी सरकारी तंत्र की तरह गोलमोल जवाब देते नजर आए. सरपंच ने कहा कि जो हितग्राहियों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें राशनकार्ड दिलाएंगे.

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बिना राशन कैसे जलेगा चूल्हा

कब जलेगा चूल्हा ?

गौरतलब है कि एक तो कोरोना वायरस की महामारी, दूसरी देशभर में लॉकडाउन. इन सबके बीच गरीब तबके के लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. अब बस परिवार को प्रशासन से मदद की उम्मीद है, जिससे उनके घर में चूल्हा जल सके.

राशनकार्ड नहीं होने से नहीं मिल रहा राशन
राशनकार्ड नहीं होने से नहीं मिल रहा राशन

कवर्धा: पंडरिया इलाके में आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां सरकारी योजनाओं का अभाव है. इन गावों में जो लोग रहते हैं, वो काम न करें, तो उन्हें खाना मयस्सर नहीं होता. रात भूखे ही सोना पड़ता है, जिनकी जीविका सिर्फ मजदूरी कर के चलती है, वो गरीबी रेखा परिवार में तो आते हैं, लेकिन न उनके पास राशनकार्ड होता है, न ही गैस सिलेंडर की सुविधाएं मिल पाई है. यहां पहले से ही दुखों का अंबार था अब कोरोना वायरस ने और दुखी कर दिया है.

एक-एक दाने को तरस रहे लोग

हम बात कर रहे हैं पंडरिया के कुंडा गांव की. जहां सरकारी अफसरों की गलती के कारण एक परिवार के लोग खाने के एक-एक दाने को तरस रहे हैं. इस गरीब के हाथों पर जो फटा हुआ राशन कार्ड है, उसमें परिवार का नाम तो लिखा है, लेकिन उनके किस्मत में राशन नहीं लिखा है. बस इनके किस्मत में लाचारी लिखी है.

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नाम मात्र का राशन कार्ड

किस्मत में भूख की लकीर

परिवार ने बताया कि '3 साल पहले तक राशनकार्ड से राशन मिलता था, जो जीने के लिए कुछ सहारा देता था, लेकिन राशनकार्ड नवीनकरण के समय फिंगर प्रिंट नहीं लग पाया, जिसका खामियाजा परिवार तीन साल से झेल रहा है. परिवार वाले कहते हैं अगर ये काम करने न जाएं, तो खाना नसीब नहीं होता, लेकिन अब तो हालात ऐसे हो गए हैं, कि कोरोना वायरस ने मानों किस्मत में भूख की लकीर खींच दी हो.

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परिवार पालने में हो रही दिक्कत

सरपंच दे रहे गोल मोल जवाब

मामले में जब गांव के सरपंच से जानकारी ली गई, तो वो भी सरकारी तंत्र की तरह गोलमोल जवाब देते नजर आए. सरपंच ने कहा कि जो हितग्राहियों के पास राशन कार्ड नहीं है, उन्हें राशनकार्ड दिलाएंगे.

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बिना राशन कैसे जलेगा चूल्हा

कब जलेगा चूल्हा ?

गौरतलब है कि एक तो कोरोना वायरस की महामारी, दूसरी देशभर में लॉकडाउन. इन सबके बीच गरीब तबके के लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं. अब बस परिवार को प्रशासन से मदद की उम्मीद है, जिससे उनके घर में चूल्हा जल सके.

राशनकार्ड नहीं होने से नहीं मिल रहा राशन
राशनकार्ड नहीं होने से नहीं मिल रहा राशन
Last Updated : Apr 7, 2020, 10:11 AM IST
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