रायपुर : भोरमदेव वन्य जीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. इस याचिका में राज्य वन्यजीव बोर्ड के फैसले को चुनौती दी गई थी.जिसमें अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने को लेकर फैसला लिया गया था. इस जनहित याचिका को लेकर राज्य वन्य जीव बोर्ड ने आदिवासियों के विस्थापन को लेकर अपनी बात कोर्ट में रखी. जिसमें वन्य जीव अभ्यारण्य में रहने वाले आदिवासियों को विस्थापित करने पर होने वाली दिक्कतों की बात कही गई थी.
इस मामले में हैरानी की बात ये है कि जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी.तब भोरमदेव वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने की स्वीकृति राज्य वन्य जीव बोर्ड ने ही दी थी.लेकिन सत्ता बदलते ही राज्य वन्य जीव बोर्ड के पुरानी मंजूरी पर सवाल उठाते हुए भोरमदेव वन्य जीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व नहीं घोषित करने की बात कही.
क्या है राज्य वन्य जीव बोर्ड की दलील ? : इस मामले में मौजूदा राज्य वन्य जीव बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी है. हाईकोर्ट में याचिका के जवाब में सरकार ने अपना पक्ष रखा. जिसमें ये कहा गया कि भोरमदेव को टाइगर रिजर्व घोषित करने पर 39 गांवों को विस्थापित करना पड़ेगा. जंगल में पीढ़ियों से निवास करने वाले 17 हजार 566 आदिवासियों को उनके मूल स्थान से हटाकर कहीं और ले जाया जाएगा.जिनमें बैगा जनजाति से जुड़े लोगों की संख्या ज्यादा है. ऐसे में आदिवासियों के विस्थापन से उनके प्राचीन संस्कृति, वनों के साथ उनके संबंधों को भी चोट पहुंचेगी.
सरकार बदलने के बाद मोहम्मद अकबर ने चलाया था अभियान : आपको बता दें जब बीजेपी ने भोरमदेव वन्य अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का फैसला किया तो कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर ने इसके खिलाफ आंदोलन चलाया. इसके बाद प्रदेश में परिस्थितियां बदली. 2018 चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार आई.जिसमें आगे चलकर मोहम्मद अकबर को वनमंत्री बनाया गया.इसके बाद बीजेपी सरकार के पुराने निर्णय को बदलने का फैसला लिया गया. मोहम्मद अकबर के प्रयास से राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक 24.11.2019 में बुलाई गई.जिसमें कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया.
सरकार की दलील से हाईकोर्ट संतुष्ट : बोर्ड के इस फैसले को पर्यावरणविद् नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. बिलासपुर में एक जनहित याचिका WPPIL 17/2019 के माध्यम बोर्ड के निर्णय पर सवाल उठाए गए.जिस पर सरकार ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखा.सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि टाइगर रिजर्व घोषित करने से भोरमदेव अभ्यारण्य में रहने वाले आदिवासियों के विकास पर असर पड़ेगा. सरकार की दलीलों से संतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं इस मामले में प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि राज्य शासन आदिवासियों के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी. भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र के आदिवासियों और बैगा जनजाति के लोगों को चिंता करने की जरुरत नहीं है.