कवर्धा : सावन सोमवार के पहले दिन भोरमदेव में श्रद्धालु भगवान शंकर की पूजा अर्चना में लीन दिखे.हर-हर महादेव और बम भोले के जयकारों से मंदिर प्रांगण गूंज उठा. बूढ़ा महादेव मंदिर से भोरमदेव मंदिर तक श्रद्धालु 18 किलोमीटर की पदयात्रा करके आए.इस दौरान एसपी, कलेक्टर समेत सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने शिव की विशेष पूजा अर्चना की.
क्या है हिंदू मान्यता : हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव की पूजा से आपको मन चाहा फल मिल सकता है. इसलिए सावन माह में शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. लोग भगवान भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए नंगे पांव कांवड़ यात्रा करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो जितना कष्ट उठाकर भोलेनाथ के दर्शन करेगा उसकी मनोकामना उतनी ही जल्दी पूरी होगी.
भोरमदेव का इतिहास : छत्तीसगढ़ का खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर 11वीं सदी के नागवंशी राजाओं ने बनाया था. पुरातनकाल से ही ये मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र है.यह मंदिर भगवान शिव और भगवान गणेश की छवियों के अलावा, भगवान विष्णु के दस अवतारों की छवियों को भी चित्रित करता है. भोरमदेव मंदिर नागर शैली और जटिल नक्काशीदार चित्र कला का एक शानदार नमूना है.श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है.
भक्तों के लिए जिला प्रशासन ने की है व्यवस्था : जिला प्रशासन ने इस बार मंदिर में दर्शन करने आने वाले लोगों के लिए खास व्यवस्था की है. जिसमें बाहर से आने वाले कावंड़िएं और श्रद्धालु मंदिर के पास ही रुक सकते हैं.उनके खानपान की व्यवस्था जिला प्रशासन ने करवाई है.साथ ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और यातायात की टीम मौजूद है.