कवर्धा : सरकार वनांचल क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. स्वास्थ्य केंद्र खोलने और चिकित्सा कर्मचारियों की व्यवस्था करने की बात कहती है, लेकिन सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जिले के पंडरिया के ग्राम डेंगुरजाम में उल्टी-दस्त से 2 साल के मासूम की मौत हो गई है.
परिजनों ने बताया कि 'बच्चा एक हफ्ते से उल्टी-दस्त से बीमार था. उसका इलाज घर पर ही चल रहा था क्योंकि गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र 10 किमी दूर है. वहां तक जाने का रास्ता भी नही हैं. कच्ची सड़क थी, जो बाढ़ की वजह से खराब हो चुकी है'.
'स्वास्थ्य विभाग को नहीं है खबर'
ग्रामीणों ने बताया कि 'रुखमीदादर में उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन वहां के कर्मचारी क्षेत्र का दौरा नहीं करते. उन्हें पता ही नहीं रहता कि उनके क्षेत्र के ग्रामीण कौन सी बीमारी से जूझ रहे हैं. जबकि यह क्षेत्र डायरिया और मलेरिया संवेदनशील क्षेत्र है. गांव में बैगा बच्चा एक हफ्ते से बीमार था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को खबर तक नहीं थी'.
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चैन की नींद सो रहा जिला प्रशासन
जिले में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. बीते 20 अगस्त को लोहारा ब्लॉक के गैंदपुर गांव में डायरिया के 12 मरीज मिले थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे और लोगों का चेकअप कराया. बोडला ब्लॉक के वनांचल ग्रामों में भी स्वास्थ्य कैंप लगाया गया था. सड़क नहीं होने के कारण मरीजों को खटिया पर सुलाकर कंधे पर लादकर उपस्वास्थ्य केंद्र लाया गया था.
कही स्वास्थ्य परीक्षण की बात
मासूम की मौत पर विभाग के अधिकारी ने मामले की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि 'वे खुद गांवों के निरीक्षण के लिए जाएंगे'.