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कवर्धा में डायरिया से मासूम की मौत, चैन की नींद सो रहा प्रशासन

जिले के वनांचल क्षेत्रों में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. ग्राम डेंगुरजाम में उल्टी-दस्त से 2 साल के मासूम की मौत हो गई. वहीं स्वास्थ्य अधिकारी मामले की कोई जानकारी नहीं होने की बात कह रहे हैं.

कवर्धा में डायरिया से मासूम की मौत
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Published : Aug 22, 2019, 1:44 PM IST

कवर्धा : सरकार वनांचल क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. स्वास्थ्य केंद्र खोलने और चिकित्सा कर्मचारियों की व्यवस्था करने की बात कहती है, लेकिन सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जिले के पंडरिया के ग्राम डेंगुरजाम में उल्टी-दस्त से 2 साल के मासूम की मौत हो गई है.

जिले के वनांचल क्षेत्रों में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं

परिजनों ने बताया कि 'बच्चा एक हफ्ते से उल्टी-दस्त से बीमार था. उसका इलाज घर पर ही चल रहा था क्योंकि गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र 10 किमी दूर है. वहां तक जाने का रास्ता भी नही हैं. कच्ची सड़क थी, जो बाढ़ की वजह से खराब हो चुकी है'.

'स्वास्थ्य विभाग को नहीं है खबर'

ग्रामीणों ने बताया कि 'रुखमीदादर में उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन वहां के कर्मचारी क्षेत्र का दौरा नहीं करते. उन्हें पता ही नहीं रहता कि उनके क्षेत्र के ग्रामीण कौन सी बीमारी से जूझ रहे हैं. जबकि यह क्षेत्र डायरिया और मलेरिया संवेदनशील क्षेत्र है. गांव में बैगा बच्चा एक हफ्ते से बीमार था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को खबर तक नहीं थी'.

पढ़ें :कांकेर : झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से 9 साल के मासूम की मौत, विभाग उदासीन

चैन की नींद सो रहा जिला प्रशासन

जिले में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. बीते 20 अगस्त को लोहारा ब्लॉक के गैंदपुर गांव में डायरिया के 12 मरीज मिले थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे और लोगों का चेकअप कराया. बोडला ब्लॉक के वनांचल ग्रामों में भी स्वास्थ्य कैंप लगाया गया था. सड़क नहीं होने के कारण मरीजों को खटिया पर सुलाकर कंधे पर लादकर उपस्वास्थ्य केंद्र लाया गया था.

कही स्वास्थ्य परीक्षण की बात

मासूम की मौत पर विभाग के अधिकारी ने मामले की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि 'वे खुद गांवों के निरीक्षण के लिए जाएंगे'.

कवर्धा : सरकार वनांचल क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. स्वास्थ्य केंद्र खोलने और चिकित्सा कर्मचारियों की व्यवस्था करने की बात कहती है, लेकिन सरकार के तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जिले के पंडरिया के ग्राम डेंगुरजाम में उल्टी-दस्त से 2 साल के मासूम की मौत हो गई है.

जिले के वनांचल क्षेत्रों में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं

परिजनों ने बताया कि 'बच्चा एक हफ्ते से उल्टी-दस्त से बीमार था. उसका इलाज घर पर ही चल रहा था क्योंकि गांव से उपस्वास्थ्य केंद्र 10 किमी दूर है. वहां तक जाने का रास्ता भी नही हैं. कच्ची सड़क थी, जो बाढ़ की वजह से खराब हो चुकी है'.

'स्वास्थ्य विभाग को नहीं है खबर'

ग्रामीणों ने बताया कि 'रुखमीदादर में उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन वहां के कर्मचारी क्षेत्र का दौरा नहीं करते. उन्हें पता ही नहीं रहता कि उनके क्षेत्र के ग्रामीण कौन सी बीमारी से जूझ रहे हैं. जबकि यह क्षेत्र डायरिया और मलेरिया संवेदनशील क्षेत्र है. गांव में बैगा बच्चा एक हफ्ते से बीमार था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को खबर तक नहीं थी'.

पढ़ें :कांकेर : झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से 9 साल के मासूम की मौत, विभाग उदासीन

चैन की नींद सो रहा जिला प्रशासन

जिले में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन चैन की नींद सो रहा है. बीते 20 अगस्त को लोहारा ब्लॉक के गैंदपुर गांव में डायरिया के 12 मरीज मिले थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे और लोगों का चेकअप कराया. बोडला ब्लॉक के वनांचल ग्रामों में भी स्वास्थ्य कैंप लगाया गया था. सड़क नहीं होने के कारण मरीजों को खटिया पर सुलाकर कंधे पर लादकर उपस्वास्थ्य केंद्र लाया गया था.

कही स्वास्थ्य परीक्षण की बात

मासूम की मौत पर विभाग के अधिकारी ने मामले की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि 'वे खुद गांवों के निरीक्षण के लिए जाएंगे'.

Intro:कवर्धा-जिसका डर था वही हुआ।डायरिया एक बच्चे की मौत हो गई ।वनांचल मे डायरिया बिमारी ने अपना पैर पसार चुका है, बावजूद स्वास्थ्य विभाग की आँख अब तक पुरी तरहा नही खुली है हालांकि कुछ क्षेत्रों मे स्वास्थ्यकर्मी इसे गंभीरता से ले रहें है और वनांचल के अंदर तक पहुंच कर लोगों को स्वास्थ्य केंद्र तक लाने की कोशिश कर रहे है ताकि उनका इलाज अच्छे से हो सके।Body:एंकर जिले मे डायरिया ने अपना पैर पसार लिया है, और इस बिमारी से लोग इसका शिकार भी सुरू बन चुके है। दरअसल जिले के विकासखंड पंडरिया अंतर्गत ग्राम पंचायत अमनिया के आश्रित ग्राम डेंगुरजाम मे उल्टी दस्स से 02 साल के बच्चे कि मौत हो गई है। मृतक बच्चा बुधलाल बैगा, लोगों ने बताया कि बच्चा एक हफ्ते से उल्टी दस्त से बिमार था इलाज घर मे ही चल रहा था कियूकि इस गाँव से उपस्वास्थ्य केंद्र कि दूरी 10 किमी है और वहा ताक लेजाने रास्ता भी नही है,कच्ची पैडगरी सड़क बनी हुई थी जोकि नदी मे बाढ आने से वह भी बह गया है। वही रुखमीदादर मे उपस्वास्थ्य केंद्र तो है परंतु वहा के कर्मचारी क्षेत्र का दौरा नही करते है। इस कारण उन्हें पता नही रहता उनके क्षेत्र के ग्रामीण कौन से बिमारी से जूझ रहे है। जबकि यहां क्षेत्र डायरिया व मलेरिया के लिए संवेदनशील क्षेत्र है। बावजूद डेंगुरजाम गाँव मे बैगा बच्चा एक हफ्ते से बिमार रहने के बाद उसकी मौत हो गई और स्वास्थ्य विभाग को खबर तक नही लगी। आपको बता दे की डायरिया का प्रकोप जिले मे इतना बढ चुका है कि जगह-जगह से इसकी खबरे आ रही है, वही बिते 20 अगस्त को लोहारा ब्लॉक के गैंदपुर गाँव मे डायरिया के 12 मरीज मिले थे तब तत्काल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उस गाँव मे पहुंचे कर पुरे गाँव का चेकअप कराया था। उसके बाद बोडला ब्लॉक के वनांचल ग्रामों मे विभाग कैप लगाकर लोगों के स्वास्थ्य चेकप कर रही है, और उल्टी दस्त के मरीज बडी़ संख्या मे मिले जिन्हें सड़क नही होने के कारण खटीया मे कावर के माध्यम से उपस्वास्थ्य केंद्र लाया गया जिनमे से कुछ की हालांकि अधिक खराब होने पर जिला हस्पिटल रेफर किया जा रहा है।Conclusion:बच्चे की मौत की मामले मे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जानकारी नही होना बता रहे है, उनका कहना है मै पता लगाता हू अगर ऐसा मामला हुआ है तो मै खुद वहा तत्काल निरिक्षण मे जाता हू और उस गाँव के साथ-साथ आसपास के भी सभी गाव मे लोगों का स्वास्थ्य परिक्षण करवाता हू।

शासन और प्रशासन ने मैदानी क्षेत्र से लेकर वनांचल के बीहण क्षेत्रों तक लोगों को स्वास्थ्य कि सुविधा मेल सके इस उद्देश्य से लाखों करोड़ों खर्च कर स्वास्थ्य केंद्र खोलती है वही अपने कर्मचारियों को वहा सेवाएं देने की व्यवस्था करती है बावजूद स्तिथि ऐसी है कि लोगों का इजाज के अभाव मे मौत हो रहा है इससे साफ होता है शासन द्वारा व्यवस्था तो सही किया जा रहा है पर जिला प्रशासन की लापरवाही का खमियाजा जनता को भूगतान पड रहा है।
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