जशपुर: मृतका प्यारी बाई की उम्र 60 वर्ष है. वह सुबह 5 बजे शौच जाने के लिए घर से बाहर निकली थी. घर से बाहर कदम रखते ही सामने हाथी खड़ा था. महिला ने पलट कर भागने का प्रयास किया, लेकिन हाथी ने सूंड से धक्का दे कर उसे गिरा दिया और फिर उसे पैरों से कुचल (elephant attack in Jashpur ) दिया. हाथी के चिंघाड़ने की आवाज सुनकर आसपास के लोग घटनास्थल पर आए और हाथी को जंगल की ओर (Woman killed in elephant attack ) खदेड़ा.
तपकरा वन परिक्षेत्र छत्तीसगढ़ का सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र: जशपुर जिले का तपकरा वन परिक्षेत्र छत्तीसगढ़ का सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र में शामिल है. छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड की अन्तर्राज्यीय सीमा पर स्थित इस रेंज में साल के 12 महीने हाथी डेरा जमाए रहते हैं. हाथियों की बढ़ती हुई हलचल से इस क्षेत्र में जन और सम्पत्ति हानि का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.
हाथियों को साथी बनाने के लिए जागरूकता अभियान: हाथियों के हलचल से जिले के आधे ब्लॉक प्रभावित क्षेत्र में शामिल हो गए हैं. इनमें फरसा बहार के साथ पत्थलगांव, कुनकुरी, दुलदुला शामिल हैं. हाथियों को काबू में रखने के लिए किए गए सभी सरकारी उपाय, करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी बेकार साबित हुए हैं. थक हार कर वन विभाग अब हाथियों को साथी बनाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है.
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आक्रामक होता है अकेला हाथी: दरअसल दल से अलग हुआ हाथी आक्रामक होता है. विभाग में इसे लोनर एलिफेंट के नाम से जाना जाता है. जानकारों के अनुसार दल में नर हाथी के वयस्क होने पर उसे अलग कर दिया जाता है ताकि वह अपने ही दल की मादा हाथी से सम्बन्ध न बना सके. दल से अलग होने के कारण इस हाथी का स्वाभाव चिड़चिड़ा हो जाता है. इस कारण वह अपने सामने आने वाले मानव और सम्पत्ति पर तत्काल आक्रमण कर देता है.