जशपुर : हर साल सावन महीने की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी पर अगर नागों का जोड़ा दिख जाए, तो दिन और भी शुभ हो जाता है. इस बार 25 जुलाई को नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. नागपंचमी के मौके पर ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के नागलोक के दर्शन कराएगा.
छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर पर बसे जशपुर जिले के फरसाबहार तहसील से लगे इलाकों को नागलोक के नाम से जाना जाता है. प्रदेश को ओडिशा से जोड़ने वाली स्टेट हाईवे के किनारे स्थित तपकरा और इसके आसपास के गांव में किंग कोबरा, करैत जैसे अत्यंत विषैल सर्प यहां पाए जाते हैं. बताया जाता है कि यहां पाए जाने वाले सांप बहुत जहरीले होते हैं.
देश में कोबरा और करैत की सबसे जहरीली प्रजाति यदि कहीं पाई जाती है, तो वह है छत्तीसगढ़ का जशपुर और यही कारण है कि इस जगह को लोग छत्तीसगढ़ के 'नागलोक' के नाम से जानते हैं. किवदंती है कि इस क्षेत्र में एक गुफा है जहां नागलोक का प्रवेश है. इस गुफा के जरिए नागलोक तक जाया जा सकता है.
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जशपुर की आबोहवा खासकर कोबरा जैसी जहरीली प्रजाति के सांपों को बेहद रास आती है. यह सांप खतरे की आशंका मात्र पर हमला कर देता है. इलाज न मिलने पर व्यक्ति की मौत होना तय है. यहां हर साल कई मौतें सिर्फ सर्पदंश से ही होती हैं और ज्यादातर मामलों के पीछे कोबरा या करैत ही होते हैं. जिले में सर्पदंश से अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि वन विभाग, प्रशासन और युवाओं की साझा पहल के कारण पिछले कुछ सालों में यहां सर्पदंश से होने वाली मौत का आंकड़ा कम हुआ है. इसके साथ ही अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, जिसकी वजह से सर्पदंश से मृत्य दर में कमी आई है.
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बहुतायत में पाए जाते हैं सांप
ऐसा कहा जाता है कि सांप इस इलाके में तब से रह रहे हैं, जब से आदिवासी रहते आए हैं. बताया जाता है कि नागलोक और उससे लगे इलाके में सांपों की 70 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कोबरा की चार और करैत की तीन अत्यंत विषैली प्रजातियां भी शामिल हैं. सांपों का रेस्क्यू करने वाले केसर हुसैन बताते हैं कि जशपुर क्षेत्र में बहुतायत मात्रा में सांप पाए जाते हैं. वे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में जितने भी प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, उनमें से 80% सांपों की प्रजाति जशपुर में मौजूद है.
हुसैन बताते हैं कि उन्होंने सांपों के रेस्क्यू के दौरान 26 प्रजातियों के सांपों को बचाया है. उन्होंने बताया कि जशपुर में अब तक सांपों को लेकर कोई सर्वे नहीं किया गया है. अगर सर्वे हो तो और भी प्रजातियों के सांप मिल सकते हैं. जशपुर में कॉपरहेड ट्रिक्स, वाईटलिट् पिट वाइपर, बम्बू पिट वाइपर, इसके साथ ही एशिया में सबसे जहरीले सांप में कॉमन करैत सब से अधिक पाए जाते हैं.
तीन साल में 35 लोगों की मौत
जशपुर में बीते तीन साल में 35 लोग सर्पदंश का शिकार हो चुके हैं. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने आंकड़े भी जारी किए हैं. जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पी सुथार ने बताया कि सर्पदंश के मामले से निपटने के लिए जिले के सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध कराया गया है. इसके साथ ही जागरूकता के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े
- साल 2017 में 16 लोगों की मौत सांप के काटने से हुई थी.
- साल 2018 में सर्पदंश से 6 लोगों की मौत हो चुकी है.
- साल 2019 में 12 लोगों की मौत सांप के काटने से हुई है.
डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव ने बताया कि क्षेत्र में सांपों के सबसे ज्यादा पाए जाने का कारण यहां की जलवायु है. जशपुर की जलवायु सांपों के लिए अनुकूल है. उन्होंने बताया कि यहां स्नेक पार्क और रेस्क्यू सेंटर बनाने की दिशा में काम चल रहा है, साथ ही लोगों को सांपों के प्रति जागरूक किया जा रहा है.