ETV Bharat / state

धर्म कोड विवाद: छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग, लोगों ने किया विरोध - People of tribal society

छत्तीसगढ़ में झारखंड की तर्ज पर सरना धर्म कोड की मांग शुरु हो गई है. सरना धर्म कोड की मांग पर समर्थक और विरोधी आमने-सामने हैं. जनजातीय समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

Sarna Dharma Code
सरना धर्म कोड
author img

By

Published : Dec 17, 2020, 11:01 PM IST

जशपुर: बालाछापर गांव में आदिवासी समाज के एक वर्ग ने धर्म कोड की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया. बालाछापर गांव में जनजातीय समुदाय के एक वर्ग ने विरोध भी किया. समुदाय का कहना था कि वे हिन्दू नहीं आदिवासी हैं. उन्हें अलग धर्म कोड दिया जाए. झारखंड सरकार की तर्ज पर सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है. इसके लिए जनजातीय समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

सरना धर्म कोड की मांग

इस दौरान दूसरे वर्ग ने इसका पुरजोर विरोध किया. देखते ही देखते विवाद की स्थिति निर्मित हो गई. झारखंड के सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 342 के तहत उन्हें जनजाति समूह का दर्जा दिया गया है, लेकिन धारा 25 के तहत उन्हें अलग पहचान नहीं मिली है. इसलिए सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है. उन्होंने आगे कहा कि झारखंड सरकार ने सरना आदिवासियों को अलग धर्म कोड का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर केंद्र को भेजा है.

Controversy for religion code in Jashpur
मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम सौंपा गया ज्ञापन

आदिवासियों को अपनी पहचान बताने का मिले अधिकार

छत्तीसगढ़ सरकार सरना आदिवासियों के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे. ताकि 2021 में होने वाले जनगणना में आदिवासियों को अपनी पहचान और संख्या बताने का अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म कोड का विरोध कर रहे है, उन्हें धर्म कोड के बारे में जानकारी नहीं है. इस लिए वे इसका विरोध कर रहे है.

Sarna Dharma Code Demand
झारखण्ड की तर्ज पर शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग

पढ़ें: छत्तीसगढ़ सरकार का 2 साल का जश्न: चंदखुरी में राममय हुई भूपेश कैबिनेट, सिंहदेव फिर नजर आए अकेले !

दूसरे वर्ग कर रहा भड़काने का काम

जनजातीय सुरक्षा मंच के संरक्षण गणेश राम भगत ने कहा कि आदिवासी सनातन धर्म के अभिन्न अंग हैं. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने जब के रत्न राज्य बनाम चंद्रमोहनन के मामले निर्णय सुनाया था. इसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन्होनें अपना धर्मांतंरण करके अपनी जाति के रीति रिवाज और परंपराओं को बदल दिया है, उसे जनजातीय समाज का सदस्य नहीं माना जा सकता. इस निर्णय के बाद ही अलग धर्म कोड की मांग शुरू की गई है. उन्होंने आगे कहा कि महादेव पार्वती और प्रकृति की पूजा करने वाला हिन्दू है. उसे दूसरे वर्ग भड़काने का काम कर रहे हैं.

जशपुर: बालाछापर गांव में आदिवासी समाज के एक वर्ग ने धर्म कोड की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया. बालाछापर गांव में जनजातीय समुदाय के एक वर्ग ने विरोध भी किया. समुदाय का कहना था कि वे हिन्दू नहीं आदिवासी हैं. उन्हें अलग धर्म कोड दिया जाए. झारखंड सरकार की तर्ज पर सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है. इसके लिए जनजातीय समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

सरना धर्म कोड की मांग

इस दौरान दूसरे वर्ग ने इसका पुरजोर विरोध किया. देखते ही देखते विवाद की स्थिति निर्मित हो गई. झारखंड के सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 342 के तहत उन्हें जनजाति समूह का दर्जा दिया गया है, लेकिन धारा 25 के तहत उन्हें अलग पहचान नहीं मिली है. इसलिए सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है. उन्होंने आगे कहा कि झारखंड सरकार ने सरना आदिवासियों को अलग धर्म कोड का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कर केंद्र को भेजा है.

Controversy for religion code in Jashpur
मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम सौंपा गया ज्ञापन

आदिवासियों को अपनी पहचान बताने का मिले अधिकार

छत्तीसगढ़ सरकार सरना आदिवासियों के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे. ताकि 2021 में होने वाले जनगणना में आदिवासियों को अपनी पहचान और संख्या बताने का अधिकार मिले. उन्होंने कहा कि जो लोग धर्म कोड का विरोध कर रहे है, उन्हें धर्म कोड के बारे में जानकारी नहीं है. इस लिए वे इसका विरोध कर रहे है.

Sarna Dharma Code Demand
झारखण्ड की तर्ज पर शुरू हुई सरना धर्म कोड की मांग

पढ़ें: छत्तीसगढ़ सरकार का 2 साल का जश्न: चंदखुरी में राममय हुई भूपेश कैबिनेट, सिंहदेव फिर नजर आए अकेले !

दूसरे वर्ग कर रहा भड़काने का काम

जनजातीय सुरक्षा मंच के संरक्षण गणेश राम भगत ने कहा कि आदिवासी सनातन धर्म के अभिन्न अंग हैं. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने जब के रत्न राज्य बनाम चंद्रमोहनन के मामले निर्णय सुनाया था. इसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन्होनें अपना धर्मांतंरण करके अपनी जाति के रीति रिवाज और परंपराओं को बदल दिया है, उसे जनजातीय समाज का सदस्य नहीं माना जा सकता. इस निर्णय के बाद ही अलग धर्म कोड की मांग शुरू की गई है. उन्होंने आगे कहा कि महादेव पार्वती और प्रकृति की पूजा करने वाला हिन्दू है. उसे दूसरे वर्ग भड़काने का काम कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.