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स्कूल खुलने की सुगबुगाहट के बीच अधर में लटका बच्चों का भविष्य, असमंजस में अभिभावक - ऑनलाइन पढ़ाई

छत्तीसगढ़ में कोरोना के केस (corona cases in chhattisgarh) कम होने लगे हैं. इसी बीच अब स्कूल खुलने की सुगबुगाहट भी तेज होने लगी है. ऐसे में ETV भारत ने बच्चों और अभिभावकों से जाना कि स्कूल खोलने को लेकर उनकी क्या राय है ?

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छत्तीसगढ़ में कब से खुलेंगे स्कूल
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Published : Jun 12, 2021, 2:52 PM IST

जशपुर: कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के कमजोर पड़ते ही प्रदेश में स्कूलों को अनलॉक करने की सुगबुगाहट होने लगी है. हालांकि प्रदेश सरकार ने अब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं लिया है. लेकिन छात्रों और अभिभावकों में इसे लेकर चिंता सताने लगी है. स्कूल खोलने को लेकर ज्यादातर अभिभावक स्कूल खोलने के समर्थन में नहीं है. वहीं छात्र भी कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को लेकर चिंतित हैं. स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास (online class) को ही और बेहतर तरीके से संचालित करने की मांग कर रहे हैं. कुछ छात्र स्कूलों को संक्रमण के और भी कम होने के बाद कोविड-19 गाइडलाइन के मुताबिक खोलने को लेकर सहमति भी जता रहे हैं.

स्कूल खुलने की सुगबुगाहट के बीच अधर में लटका बच्चों का भविष्य

मार्च 2020 में देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद से छत्तीसगढ़ के स्कूल और कॉलेजों में ताले लटकने लगे. लगातार दो शैक्षणिक सत्र कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गए. जिससे शिक्षा विभाग (education Department) के अफसरों के साथ अभिभावकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है. वैज्ञानिकों के तीसरी लहर को लेकर दी जा रही चेतावनी ने आला अधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है. साथ ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन की अनुपलब्धता भी स्कूल के अनलॉक होने में बाधा साबित हो रही है.

बच्चों की पढ़ाई का हुआ नुकसान

स्कूल खोले जाने को लेकर जब ETV भारत में अभिभावकों से बात की. इस पर ज्यादातर अभिभावकों में स्कूल बंद ही रखने को लेकर अपनी सहमति जताई. कुछ ने कोरोना के गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूल खोलने के लिए कुछ नियम बनाने की भी बात कही. अभिभावक अशोक सोनी का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ अलग से नियम बनाते हुए स्कूल खोलना चाहिए. जिससे बच्चों का भविष्य खराब न हो.

तीसरी लहर का खतरा

अभिभावक गणेश नारायण मिश्रा कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है. ऐसे में स्कूल खोलना कतई उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं जहां बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. तो ये समय स्कूल खोलने के लिए सही नहीं है. अभिभावक सुनील सिन्हा ने कहा कि सरकार स्कूल खोलने को लेकर विचार कर रही है.

फीस निर्धारण नहीं होने के बाद भी हो रही वसूली के खिलाफ पालक संघ ने सौंपा ज्ञापन

बच्चों को नहीं लगी है वैक्सीन

वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र थवाईत का कहना है कि सरकार की पहली प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा होनी चाहिए. अभी भारत में बच्चों का टीकाकरण भी शुरू नहीं हुआ है. इसे देखते हुए स्कूल खोलना किसी भी तरह से जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अभी ऑनलाइन पढ़ाई (online study) कराई जा रही है, उसी तरह पढ़ाई जारी रखनी चाहिए. इसके अलावा दूसरे विकल्प ढूंढने चाहिए. जिससे बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके. क्योंकि आने वाली कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है.

स्कूल बंद ही रहने चाहिए

कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को लेकर बच्चों में भी डर समाया हुआ है. बच्चे ऑनलाइन ही पढ़ाई करना चाहते हैं. छात्र अभिनव सिंहा ने कहा कि स्कूलों को अभी नहीं खोला जाना चाहिए. क्योंकि इसका सीधा असर बच्चों पर हो सकता है. परिस्थिति देखते हुए ऑनलाइन क्लास ही सही है. छात्रा हसीबा अमान ने कहा कि अभी जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, इसी तरह अन्य देशों में भी कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में कमी के बाद उस स्कूल खोले गए थे. स्कूल खुलते ही संक्रमण दोबारा बढ़ गया था. जिसके चलते स्कूलों को दोबारा से बंद करना पड़ा था.

डिजिटल माध्यम बेहतर

हसीबा का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचते हुए डिजिटल माध्यमों से अच्छी तरह से पढ़ाई हो सकती है. इंटरनेट पर आज के समय में पढ़ने के बहुत कुछ है. हसीबा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास जो संचालित हो रही हैं उनके समय में बदलाव करते हुए उनके समय को बढ़ाना चाहिए. साथ ही स्टूडेंट को भी ऑनलाइन क्लासेस जरिए जुड़कर, समय देकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए. हसीबा का कहना है कि अगर संक्रमण के मामले न्यूनतम दर पर आ जाते हैं, तब जाकर कोविड-19 गाइडलाइन के साथ स्कूल खोला जाना चाहिए.

EXCLUSIVE: सरकारी स्कूलों में बच्चों को बांटी जाने वाली ड्रेस शिक्षा विभाग के क्लर्क के घर में मिली

पढ़ाई के स्तर में आई कमी

कक्षा 11वीं के छात्र असद मलिक का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल संचालित किया जाना चाहिए. क्योंकि बीते दो सत्र से स्कूल बंद पड़े हैं. जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. असद का कहना है कि पिछले साल भी एग्जाम नहीं हो पाए थे. इस साल भी परीक्षा नहीं ली गई. अगर एग्जाम होते तो बच्चों के पढ़ाई के स्तर को जांचा जा सकता था. असद का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इंटरनेट से, मोबाइल से कटे हुए हैं. इस कारण ज्यादातर लोगों के पास इंटरनेट सहित मोबाइल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिससे वह पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

जिले में 2266 स्कूल भवन

इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) एन कुजूर ने बताया कि फिलहाल जिले में स्कूलों को खोले जाने के लिए कोई निर्देश नहीं मिला है. निर्देश मिलने पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों का संचालन सुनिश्चित किया जाएगा. फिलहाल स्कूलों को खोलने की जिले में कोई प्रक्रिया संचालित नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि जिले में पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चों के पढ़ने के लिए 2 हजार 266 स्कूल भवन हैं. इनमें से 1 हजार 651 प्राथमिक स्कूल हैं और 466 मिडिल स्कूल. इसके अलावा 147 हायर सेकंडरी और हाईस्कूल भवन हैं. शिक्षा विभाग के लिए चिंता की बात जिले के 18 अति जर्जर भवन हैं. जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर का कहना है कि जर्जर इन सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है. फिलहाल नए भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं मिल पाई है. लेकिन स्कूलों में निर्मित अतिरिक्त भवनो में बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

खुलने पर किया जाएगा सैनिटाइज

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि पिछले सत्र में कुछ दिनों के लिए स्कूल संचालित किए गए थे. इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए स्कूलों में मास्क, सैनिटाइजर, हाथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था की गई थी. इसके साथ ही उस स्कूल भवनों को खोलने से पहले ही सैनिटाइज किया गया था. इस बार भी अगर स्कूल खुलते हैं तो उन्हें सैनिटाइज किया जाएगा.

जशपुर: कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) के कमजोर पड़ते ही प्रदेश में स्कूलों को अनलॉक करने की सुगबुगाहट होने लगी है. हालांकि प्रदेश सरकार ने अब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं लिया है. लेकिन छात्रों और अभिभावकों में इसे लेकर चिंता सताने लगी है. स्कूल खोलने को लेकर ज्यादातर अभिभावक स्कूल खोलने के समर्थन में नहीं है. वहीं छात्र भी कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को लेकर चिंतित हैं. स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लास (online class) को ही और बेहतर तरीके से संचालित करने की मांग कर रहे हैं. कुछ छात्र स्कूलों को संक्रमण के और भी कम होने के बाद कोविड-19 गाइडलाइन के मुताबिक खोलने को लेकर सहमति भी जता रहे हैं.

स्कूल खुलने की सुगबुगाहट के बीच अधर में लटका बच्चों का भविष्य

मार्च 2020 में देश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद से छत्तीसगढ़ के स्कूल और कॉलेजों में ताले लटकने लगे. लगातार दो शैक्षणिक सत्र कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गए. जिससे शिक्षा विभाग (education Department) के अफसरों के साथ अभिभावकों के माथे पर भी चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है. वैज्ञानिकों के तीसरी लहर को लेकर दी जा रही चेतावनी ने आला अधिकारियों को असमंजस में डाल दिया है. साथ ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन की अनुपलब्धता भी स्कूल के अनलॉक होने में बाधा साबित हो रही है.

बच्चों की पढ़ाई का हुआ नुकसान

स्कूल खोले जाने को लेकर जब ETV भारत में अभिभावकों से बात की. इस पर ज्यादातर अभिभावकों में स्कूल बंद ही रखने को लेकर अपनी सहमति जताई. कुछ ने कोरोना के गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूल खोलने के लिए कुछ नियम बनाने की भी बात कही. अभिभावक अशोक सोनी का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार को कुछ अलग से नियम बनाते हुए स्कूल खोलना चाहिए. जिससे बच्चों का भविष्य खराब न हो.

तीसरी लहर का खतरा

अभिभावक गणेश नारायण मिश्रा कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर आने वाली है. ऐसे में स्कूल खोलना कतई उचित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों से ऐसी भी खबरें आ रही हैं जहां बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. तो ये समय स्कूल खोलने के लिए सही नहीं है. अभिभावक सुनील सिन्हा ने कहा कि सरकार स्कूल खोलने को लेकर विचार कर रही है.

फीस निर्धारण नहीं होने के बाद भी हो रही वसूली के खिलाफ पालक संघ ने सौंपा ज्ञापन

बच्चों को नहीं लगी है वैक्सीन

वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र थवाईत का कहना है कि सरकार की पहली प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा होनी चाहिए. अभी भारत में बच्चों का टीकाकरण भी शुरू नहीं हुआ है. इसे देखते हुए स्कूल खोलना किसी भी तरह से जायज नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अभी ऑनलाइन पढ़ाई (online study) कराई जा रही है, उसी तरह पढ़ाई जारी रखनी चाहिए. इसके अलावा दूसरे विकल्प ढूंढने चाहिए. जिससे बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके. क्योंकि आने वाली कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है.

स्कूल बंद ही रहने चाहिए

कोरोना की तीसरी लहर (third wave of corona) को लेकर बच्चों में भी डर समाया हुआ है. बच्चे ऑनलाइन ही पढ़ाई करना चाहते हैं. छात्र अभिनव सिंहा ने कहा कि स्कूलों को अभी नहीं खोला जाना चाहिए. क्योंकि इसका सीधा असर बच्चों पर हो सकता है. परिस्थिति देखते हुए ऑनलाइन क्लास ही सही है. छात्रा हसीबा अमान ने कहा कि अभी जिस तरह से कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, इसी तरह अन्य देशों में भी कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में कमी के बाद उस स्कूल खोले गए थे. स्कूल खुलते ही संक्रमण दोबारा बढ़ गया था. जिसके चलते स्कूलों को दोबारा से बंद करना पड़ा था.

डिजिटल माध्यम बेहतर

हसीबा का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचते हुए डिजिटल माध्यमों से अच्छी तरह से पढ़ाई हो सकती है. इंटरनेट पर आज के समय में पढ़ने के बहुत कुछ है. हसीबा ने बताया कि ऑनलाइन क्लास जो संचालित हो रही हैं उनके समय में बदलाव करते हुए उनके समय को बढ़ाना चाहिए. साथ ही स्टूडेंट को भी ऑनलाइन क्लासेस जरिए जुड़कर, समय देकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए. हसीबा का कहना है कि अगर संक्रमण के मामले न्यूनतम दर पर आ जाते हैं, तब जाकर कोविड-19 गाइडलाइन के साथ स्कूल खोला जाना चाहिए.

EXCLUSIVE: सरकारी स्कूलों में बच्चों को बांटी जाने वाली ड्रेस शिक्षा विभाग के क्लर्क के घर में मिली

पढ़ाई के स्तर में आई कमी

कक्षा 11वीं के छात्र असद मलिक का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल संचालित किया जाना चाहिए. क्योंकि बीते दो सत्र से स्कूल बंद पड़े हैं. जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है. असद का कहना है कि पिछले साल भी एग्जाम नहीं हो पाए थे. इस साल भी परीक्षा नहीं ली गई. अगर एग्जाम होते तो बच्चों के पढ़ाई के स्तर को जांचा जा सकता था. असद का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इंटरनेट से, मोबाइल से कटे हुए हैं. इस कारण ज्यादातर लोगों के पास इंटरनेट सहित मोबाइल की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जिससे वह पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

जिले में 2266 स्कूल भवन

इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) एन कुजूर ने बताया कि फिलहाल जिले में स्कूलों को खोले जाने के लिए कोई निर्देश नहीं मिला है. निर्देश मिलने पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों का संचालन सुनिश्चित किया जाएगा. फिलहाल स्कूलों को खोलने की जिले में कोई प्रक्रिया संचालित नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि जिले में पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चों के पढ़ने के लिए 2 हजार 266 स्कूल भवन हैं. इनमें से 1 हजार 651 प्राथमिक स्कूल हैं और 466 मिडिल स्कूल. इसके अलावा 147 हायर सेकंडरी और हाईस्कूल भवन हैं. शिक्षा विभाग के लिए चिंता की बात जिले के 18 अति जर्जर भवन हैं. जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर का कहना है कि जर्जर इन सभी भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है. फिलहाल नए भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं मिल पाई है. लेकिन स्कूलों में निर्मित अतिरिक्त भवनो में बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.

खुलने पर किया जाएगा सैनिटाइज

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि पिछले सत्र में कुछ दिनों के लिए स्कूल संचालित किए गए थे. इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए स्कूलों में मास्क, सैनिटाइजर, हाथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था की गई थी. इसके साथ ही उस स्कूल भवनों को खोलने से पहले ही सैनिटाइज किया गया था. इस बार भी अगर स्कूल खुलते हैं तो उन्हें सैनिटाइज किया जाएगा.

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