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जशपुर: जिले को मिला पहला बंधुआ मजदूर, पुनर्वास के लिए मिलेगी ये सुविधाएं

जशपुर जिले को 18 साल बाद पहला बंधुआ मजदूर मिला है. जिसे लेबर इंस्पेक्टर ने पुनर्वास के लिए एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया है. 21 महीने से बेंगलुरु में बोरबेल कंपनी में बंधक था दिलसाय टोप्पो.

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Published : Feb 27, 2019, 11:24 AM IST

पहला बंधुआ मजदूर

जशपुर: छत्तीसगढ़ में पलायन और बंधुआ मजदूरी का मामला आये दिन आता रहता है, लेकिन जशपुर को जिला बनने के बाद पहली बार कोई बंधुआ मजदूर मिला है. जिसके बाद जिले में हड़कंप मचा है. लेबर इंस्पेक्टर ने बताया कि, ऐसे मजदूरों को विकास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है.

मामला जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लॉक के सुरंगपानी गांव का है. जहां के दिलसाय टोप्पो रोजगार की तलाश में कर्नाटक के त्रिचूनगढ़ गया था. जहां बोरवेल कंपनी में 9 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर नौकरी देने की बात कह उसे रख लिया गया, लेकिन लगातार 21 महीने तक मजदूरी करने के बाद भी दिलसाय को मजदूरी के नाम पर एक रुपया नहीं मिला. बोर खनन करने के दौरान जमीन और घर के मालिकों द्वारा दिए जाने वाले बख्शीश से ही उसका और उसके साथी का काम चल रहा था. इस दौरान मजदूर कंपनी छोड़ कर भाग ना जाएं, इसलिए कंपनी का संचालक किसी को मजदूरी का भुगतान नहीं करता था. वहीं गैर हिंदी भाषी क्षेत्र होने की वजह से ये लोग अपनी समस्या किसी को बता भी नहीं पाते थे.

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5 जनवरी को हुआ मामले का खुलासा
मामले में 5 जनवरी को उस वक्त नया मोड़ आया, जब मध्यप्रदेश के बैतूल जिला प्रशासन को उनके मजदूर हेल्प लाइन नंबर पर बैंगलोर में सात मजदूरों को बंधक बनाए जाने की शिकायत मिली. हेल्पलाइन का संचालन जनसहास नामक स्वयंसेवी संगठन करता है. इस संगठन के लाखन जाटव ने बताया कि, शिकायत पर बैतूल के एसपी ने कार्रवाई करते हुए जांच के लिए एक टीम गठित कर दी. जांच के दौरान बंधक बनाए गए एक मजदूर का मोबाइल लोकेशन ट्रेस हो गया. इसके आधार पर पुलिस और एनजीओ की टीम बेंगलुरु पहुंची. यहां बेंगलुरु पुलिस की मदद से बोरवेल कंपनी में छापा मारा गया. जहां से 9 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया गया. इनमें 7 मजदूर मध्यप्रदेश के बैतूल जिला का रहने था. एक छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का और एक पश्चिम बंगाल का निवासी था. इन मजदूरों को जांच टीम बैतूल ले आई. जहां आवश्यक खानापूर्ति के बाद बैतूल के 7 मजदूरों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया. इसके बाद दिलसाय को लेकर जनसहास के कार्यकर्ता बुधवार को जशपुर पहुंचे थे.

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जिले को मिला पहला बंधुआ मजदूर
बंधुआ मजदूरों को विकास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शासन की कई योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन जशपुर जिले में इन योजनाओं का लाभ लेने वाला हितग्राही श्रम विभाग को नहीं मिल रहा था. जिला गठन के 18 साल के बाद दिलसाय टोप्पो के रूप में जिले को पहला बंधुआ मजदूर विभाग को मिला है. श्रम निरीक्षक सुरेश कुर्रे ने बताया कि, दिलसाय को बंधुआ श्रमिकों के पुर्नवास हेतु केन्द्रीय परिक्षेत्र की योजना 2016 के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि, इस योजना में पुरूष पीड़ित को 1 लाख, नाबालिग पीड़ित को 2 लाख और ट्रांसजेंडर और महिला पीड़ित को 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है.

मजदूरों को मिलेगा उनका हक
21 माह तक बंधुआ मजदूरी का दर्द झेलने के बाद अपने परिवार के बीच पहुंचने की खुशी तो दिलसाय को है लेकिन जिस रुपए को कमाने के लिए उसने अपनी बूढ़ी मां, पत्नी और तीन बच्चों को घर में छोड़ कर बेंगलुरु गया था, वो मेहनताना अब उसे नहीं मिल पा रहा रहा है. वहीं स्वयं सेवी संगठन के लाखन जाटव और राजू यादव का कहना है कि, मामले में बेंगलुरु पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है. कर्नाटक सरकार के नियम के मुताबिक सभी मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाएगा. उन्होंने बताया कि, इस संबंध में बोरवेल कंपनी के मालिक ने भी मजदूरी भुगतान का आश्वासन दिया है.

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जशपुर: छत्तीसगढ़ में पलायन और बंधुआ मजदूरी का मामला आये दिन आता रहता है, लेकिन जशपुर को जिला बनने के बाद पहली बार कोई बंधुआ मजदूर मिला है. जिसके बाद जिले में हड़कंप मचा है. लेबर इंस्पेक्टर ने बताया कि, ऐसे मजदूरों को विकास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है.

मामला जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लॉक के सुरंगपानी गांव का है. जहां के दिलसाय टोप्पो रोजगार की तलाश में कर्नाटक के त्रिचूनगढ़ गया था. जहां बोरवेल कंपनी में 9 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर नौकरी देने की बात कह उसे रख लिया गया, लेकिन लगातार 21 महीने तक मजदूरी करने के बाद भी दिलसाय को मजदूरी के नाम पर एक रुपया नहीं मिला. बोर खनन करने के दौरान जमीन और घर के मालिकों द्वारा दिए जाने वाले बख्शीश से ही उसका और उसके साथी का काम चल रहा था. इस दौरान मजदूर कंपनी छोड़ कर भाग ना जाएं, इसलिए कंपनी का संचालक किसी को मजदूरी का भुगतान नहीं करता था. वहीं गैर हिंदी भाषी क्षेत्र होने की वजह से ये लोग अपनी समस्या किसी को बता भी नहीं पाते थे.

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5 जनवरी को हुआ मामले का खुलासा
मामले में 5 जनवरी को उस वक्त नया मोड़ आया, जब मध्यप्रदेश के बैतूल जिला प्रशासन को उनके मजदूर हेल्प लाइन नंबर पर बैंगलोर में सात मजदूरों को बंधक बनाए जाने की शिकायत मिली. हेल्पलाइन का संचालन जनसहास नामक स्वयंसेवी संगठन करता है. इस संगठन के लाखन जाटव ने बताया कि, शिकायत पर बैतूल के एसपी ने कार्रवाई करते हुए जांच के लिए एक टीम गठित कर दी. जांच के दौरान बंधक बनाए गए एक मजदूर का मोबाइल लोकेशन ट्रेस हो गया. इसके आधार पर पुलिस और एनजीओ की टीम बेंगलुरु पहुंची. यहां बेंगलुरु पुलिस की मदद से बोरवेल कंपनी में छापा मारा गया. जहां से 9 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाया गया. इनमें 7 मजदूर मध्यप्रदेश के बैतूल जिला का रहने था. एक छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का और एक पश्चिम बंगाल का निवासी था. इन मजदूरों को जांच टीम बैतूल ले आई. जहां आवश्यक खानापूर्ति के बाद बैतूल के 7 मजदूरों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया. इसके बाद दिलसाय को लेकर जनसहास के कार्यकर्ता बुधवार को जशपुर पहुंचे थे.

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जिले को मिला पहला बंधुआ मजदूर
बंधुआ मजदूरों को विकास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शासन की कई योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन जशपुर जिले में इन योजनाओं का लाभ लेने वाला हितग्राही श्रम विभाग को नहीं मिल रहा था. जिला गठन के 18 साल के बाद दिलसाय टोप्पो के रूप में जिले को पहला बंधुआ मजदूर विभाग को मिला है. श्रम निरीक्षक सुरेश कुर्रे ने बताया कि, दिलसाय को बंधुआ श्रमिकों के पुर्नवास हेतु केन्द्रीय परिक्षेत्र की योजना 2016 के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि, इस योजना में पुरूष पीड़ित को 1 लाख, नाबालिग पीड़ित को 2 लाख और ट्रांसजेंडर और महिला पीड़ित को 3 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है.

मजदूरों को मिलेगा उनका हक
21 माह तक बंधुआ मजदूरी का दर्द झेलने के बाद अपने परिवार के बीच पहुंचने की खुशी तो दिलसाय को है लेकिन जिस रुपए को कमाने के लिए उसने अपनी बूढ़ी मां, पत्नी और तीन बच्चों को घर में छोड़ कर बेंगलुरु गया था, वो मेहनताना अब उसे नहीं मिल पा रहा रहा है. वहीं स्वयं सेवी संगठन के लाखन जाटव और राजू यादव का कहना है कि, मामले में बेंगलुरु पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है. कर्नाटक सरकार के नियम के मुताबिक सभी मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाएगा. उन्होंने बताया कि, इस संबंध में बोरवेल कंपनी के मालिक ने भी मजदूरी भुगतान का आश्वासन दिया है.

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Intro:जशपुर काम की तलाश में कर्नाटक के बेंगलुरु गए एक युवक को बंधवा मजदूरी करने का मामला प्रकाश में आया है जहा बोरबेल कम्पी में 21 महीने तक बंधवा बना कर जबरदस्ती काम करवाया जा रहा था मध्यप्रदेश सरकार व एनजीओ ने रेस्क्यू कर बंधक मजदूर को जशपुर पहुँचाया,

मामला जिले के पत्थलगांव जनपद के ग्राम सुरंगपानी का रहे वाला दिलसाय टोप्पो बेरोजगारी से जूझ रहा था, पिता के गुजरजाने के बाद अपने छोटे से खेत के भरोसे अपने पूरे परिवार का पेट नही भर पा रहा था , इस बीच उसे गांव के ही कुछ लोगो ने उसे कर्नाटक के त्रिचूनगढ में बोरवेल कंपनी में अच्छे पैसे मिलने की बात उससे कही ,इस बात से दिलसाय प्रभावित हो गया और बेंगलुरु के लिए रायगढ़ से ट्रेन पकड़ कर रवाना हो गया यहां स्टेशन पर उतरते ही त्रिलोचन गड़ जाने का रास्ता मालूम ना होने की वजह से भटक गया भटकते हुए हालात ने उसकी मुलाकात एक अजनबी से हो गई इस अजनबी ने उसे अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा देकर एक बोरवेल कंपनी में ले गया दिल साए के मुताबिक इस कंपनी का संचालन पीएम कार्टर ने उसे महीने में ₹9000 देने का आश्वासन देते हुए 1 बोर खनन करने वाले वाहनों करी दे दी और यहीं से उसकी मुसीबत की शुरुआत भी हो गई लगातार 21 महीने तक दिन में 14 घंटे मजदूरी करने के बाद भी दिल चाहे को मजदूरी के नाम पर एक पैसा भी नहीं मिला बोर खनन करने के दौरान वह घर के मालिक द्वारा दिए जाने वाले पक्षी उसका और उसके साथ काम करने वाले मजदूरों का खर्च चलता था मजदूर कंपनी थोड़ा कर भाग न जाए इसलिए कंपनी का संचार किसी भी मजदूर का भुगतान नहीं किया करता था और उनके कहीं भी आने-जाने पर भी शक्ति से पाबंदी लगा रखी थी गैर हिंदी भाषी क्षेत्र होने की वजह से आम लोगों से चाहकर भी अपने समस्या भी नहीं बता पाते थे बिना मजदूरी के दिन और रात मेहनत करना उनकी मजबूरी थी

इस मामले में 5 जनवरी को उस वक्त नया मोड़ आया जब मध्य प्रदेश के बैतूल जिला प्रशासन को उनके मजदूर हेल्पलाइन नंबर मैं बेंगलुरु ने 7 मजदूरों को बंधक बनाए जाने की शिकायत मिली हेल्पलाइन का संचालन जनसहास नामक स्वयंसेवी संगठन द्वारा किया जाता है इस संगठन के लाखन जाधव ने बताया कि शिकायत पर बैतूल के एसपी आर एनजीओ ने कार्रवाई करते हुए बंधक बनाए गए 1 मजदूर का मोबाइल लोकेशन ट्रेस करते बेंगलुरु पहुंची यहां बेंगलुरु पुलिस के सहयोग से बोरवेल कंपनी में छापा मारा गया इस छापे में बोरवेल कंपनी में 9 बंधुआ मजदूर पाए गए इनमें 7 मजदूर मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के निवासी थे एवं एक मजदूर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का और एक पश्चिम बंगाल का निवासी था इन मजदूरों को कंपनी के चुंगल से छुड़ाकर टीम बेतूल ले आई यहां आवश्यक खानापूर्ति करने के बाद बैतूल के साथ मजदूरों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया इसके बाद दिलसाय को लेकर जनसहास के कार्यकर्ता जशपुर पहुंचे,


इस मामले एक चोकाने वाली बात निकल कर सामने आई जशपुर श्रम विभाग को जिले का पहला बंधुवा मजदूर मिला ,
बंधुवा मजदूरों के विकास और समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए शासन प्रशासन द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है लेकिन जिले में इन योजनाओं का लाभ लेने वाले हितग्राही श्रम विभाग को नहीं मिल रहे थे जिला बनने के 18 साल के बाद दिल साइट ओप्पो के रूप में पहला बंधुआ मजदूर विभाग के सामने पेश हुआ श्रम निरीक्षक सुरेश कुर्रे ने बताया कि दिल साए को बंधुआ श्रमिक के पुनर्वास हेतु केंद्र परी क्षेत्र की योजना 2016 के तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया जाएगा उन्होंने बताया कि इस योजना में पुरुष वर्ग के लिए एक लाख नाबालिक पीड़ित को दो लाख और ट्रांसजेंडर महिला पीड़ित को तीन लाख तक की राशि दी जाती है उन्होंने बताया कि जिले में बंधुआ मजदूरों को आर्थिक सहायता दिए जाने का यह पहला मामला है
21 माह तक बंधुआ मजदूरी का दर्द झेलने के बाद अपने परिवार के बीच पहुंचने की खुशी तो दिल साए को है लेकिन जिन रुपयों को कमाने के लिए उसने अपनी बूढ़ी मां पत्नी और 3 बच्चों को घर में छोड़कर बेंगलुरू गया था जी तोड़ मेहनत करने के बाद भी उसके ना मिलने से मेहनत आना मिल पाने की वजह से काफी निराश है वही स्वयंसेवी संगठन के लाखन जाधव और राजू यादव का कहना है कि मामले में बेंगलुरु पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है कर्नाटक सरकार की नियम के मुताबिक सभी मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया जाएगा उन्होंने यह भी बताया कि इस संबंध में बोरवेल कंपनी के मालिक ने भी मजदूरी भुगतान का आश्वासन दिया है।

बाइट दिलसाय टोप्पो बंधुवा मजदूरी (लाल रंग की शर्ट)
बाइट राजू जाधव एनजीओ कार्यकर्ता मध्यप्रदेश (सफेद शर्ट में)
बाइट सुरेश कुर्रे लेबर इस्पेक्टर चश्मा लागये हुवे।



Body:मजदूर


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