जांजगीर-चांपा: KSK महानदी पावर प्लांट के करीब तीन दर्जन मजदूरों को दो महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. इधर निलंबन को लेकर विवाद निपटाने के लिए श्रम विभाग ने चौथी बार प्रबंधन और मजदूरों की बैठक रखी थी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका.
मजदूर संघ का आरोप है कि, नोटिस मिलने पर मजदूर श्रम विभाग की बैठक में जाने को मजबूर हैं, जबकि प्रबंधन और श्रम विभाग को विवादों का निपटारा करने का कोई अधिकार नहीं है. श्रम विभाग समझौता करने की पहल के नाम पर बार-बार बैठक बुला रहा है, जबकि प्लांट के प्रबंधन के अड़ियल रवैये में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
मजदूर संघ के नेता बलराम गोस्वामी ने कहा कि, 'प्रबंधन ने जानबूझकर प्लांट बंद किया गया है, ताकि प्लांट में गतिरोध बरकार रहे. प्रबंधन ने बाहरी लोगों से प्लांट में तोड़फोड़ करवाई, ताकि प्लांट में तनाव की स्थिति निर्मित हो. इस स्थिति से प्लांट प्रबंधन को बैंक प्रशासकों को उलझाने में कामयाबी मिल गई, क्योंकि प्लांट फिलहाल बैंकर के हाथों है'.
उन्होंने कहा कि, 'इस गतिरोध से KSK प्रबंधन को प्लांट में अपना वर्चस्व बनाए रखने में कामयाबी मिल गई है, क्योंकि बैंक प्रशासक वर्तमान गतिरोध को संभालने में सक्षम नहीं हैं'.
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संघ नेता का कहना है कि, 'मानवाधिकार आयोग, राज्यपाल और संबंधित शासन स्तर के जितने भी मंत्री और नेता हैं, सभी को अपनी इस परेशानी से अवगत कराया है. जिला प्रशासन का जो रवैया है उसे देखने के बाद ऐसा लगता है कि अब हमें अपने पूरे परिवार के साथ फिर से मुख्यमंत्री निवास के बाहर आंदोलन करना होगा. पिछले दो महीने से मजदूरों को उनकी मेहनत का एक रुपए भी नहीं दिया है. हमारी रोजी-रोटी बंद हो गई है, बच्चों को स्कूलों से बाहर निकाला जा रहा है और अगर ऐसी ही स्थिति रही तो हम पलायन के लिए मजबूर होंगे'.