ETV Bharat / state

मशरूम की खेती से स्व सहायता समूह की महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

जांजगीर-चांपा के सोनादुला गांव में जय चंद्रहासिनी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने मशरूम उत्पादन को जीविकोपार्जन का साधन बनाया है. समूह द्वारा प्रतिदिन 20 से 25 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन कर सब्जी मंडी में बेचा जा रहा है.

mushroom cultivation
मशरूम की खेती
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 6:21 PM IST

Updated : Jul 5, 2020, 6:40 PM IST

जांजगीर-चांपा : जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के सोनादुला में जय चंद्रहासिनी महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. मशरूम उत्पादन इन महिलाओं के जीविकोपार्जन का साधन बन चुका है.

मशरूम की खेती से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

बता दें कि सोनादुला गांव की महिलाओं ने स्व-सहायता समूह का गठन किया है. जिसमें 10 महिलाएं शामिल हैं. वे 3 सालों से अपने निजी खर्चों से घरों में मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. वहीं मशरूम उत्पादन के इनकम से महिलाएं खुद घर के खर्चे चला रही हैं.

प्रतिदिन 20 से 25 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन

महिला संगठन की सचिव ने बताया कि साल 2013 से उनका समूह काम कर रहा है.जांजगीर-चांपा के टीएलएन योजना के तहत उन्हें एक प्रोजेक्ट से जोड़ा गया था. प्रोजेक्ट के संचालकों ने उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए गाइडलाइन दिया. समूह द्वारा गाइडलाइन को फॉलो कर लगातार 3 साल से सफल तरीके से मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. प्रतिदिन 20 से 25 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन होता है. जिससे महिलाओं को हजारों रुपये की आदमनी होती है.

पढ़ें:-छत्तीसगढ़ में जमकर बरसा 'हरा सोना', गदगद हुए अदिवासी

उन्होंने बताया कि समूह की आमदनी लगातार बढ़ रही है. महिला संगठन को किसी प्रकार से सरकारी सहायता सरकार से नहीं मिली है. न ही बैंकों से ऋण मिला है. महिला सदस्यों द्वारा हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर समूह का बैंक बैलेंस किया गया है, जिसे अब वे अपने उत्पादन को बढ़ाने में लगा रहे है. इसके साथ ही स्व सहायता समूह की महिलाओं की भी आमदनी में वृद्धि हो रही है.

जांजगीर-चांपा : जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के सोनादुला में जय चंद्रहासिनी महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. मशरूम उत्पादन इन महिलाओं के जीविकोपार्जन का साधन बन चुका है.

मशरूम की खेती से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

बता दें कि सोनादुला गांव की महिलाओं ने स्व-सहायता समूह का गठन किया है. जिसमें 10 महिलाएं शामिल हैं. वे 3 सालों से अपने निजी खर्चों से घरों में मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. वहीं मशरूम उत्पादन के इनकम से महिलाएं खुद घर के खर्चे चला रही हैं.

प्रतिदिन 20 से 25 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन

महिला संगठन की सचिव ने बताया कि साल 2013 से उनका समूह काम कर रहा है.जांजगीर-चांपा के टीएलएन योजना के तहत उन्हें एक प्रोजेक्ट से जोड़ा गया था. प्रोजेक्ट के संचालकों ने उन्हें मशरूम उत्पादन के लिए गाइडलाइन दिया. समूह द्वारा गाइडलाइन को फॉलो कर लगातार 3 साल से सफल तरीके से मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है. प्रतिदिन 20 से 25 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन होता है. जिससे महिलाओं को हजारों रुपये की आदमनी होती है.

पढ़ें:-छत्तीसगढ़ में जमकर बरसा 'हरा सोना', गदगद हुए अदिवासी

उन्होंने बताया कि समूह की आमदनी लगातार बढ़ रही है. महिला संगठन को किसी प्रकार से सरकारी सहायता सरकार से नहीं मिली है. न ही बैंकों से ऋण मिला है. महिला सदस्यों द्वारा हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर समूह का बैंक बैलेंस किया गया है, जिसे अब वे अपने उत्पादन को बढ़ाने में लगा रहे है. इसके साथ ही स्व सहायता समूह की महिलाओं की भी आमदनी में वृद्धि हो रही है.

Last Updated : Jul 5, 2020, 6:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.