ETV Bharat / state

डोलोमाइट खदान के चलते ग्रामीणों का जीना हुआ दुभर, ब्लास्टिंग से घरों की दीवारों में आई दरार - खनिज अधिकारी आरके सोनी

जांजगीर-चांपा के जैजैपुर क्षेत्र के खमरिया गांव में वर्षों से डोलोमाइट खदान संचालित है. खदान से सरकार के साथ कंपनियों को हर साल करोड़ों में आय हो रही है, लेकिन आसपास के गांव के लोग पेयजल, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

upset due to Dolomite mine
डोलोमाइट खदान के चलते ग्रामीणों का जीना हुआ दुभर
author img

By

Published : Sep 24, 2020, 9:34 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 12:05 AM IST

जांजगीर चांपा: 2000 लोगों की आबादी वाले खमरिया के लोग बीते कई वर्षों से पेयजल, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. जबकि उनके गांव से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिल रहा है. गांव के बीच से एक सड़क निकलती है, जो 10 गांवों को आपस में जोड़ती है. इस रास्ते से पत्थर खदान से ओवरलोडेड वाहन के आने-जाने से सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसपर पैदल चलना भी मुश्किलों से भरा हो गया है, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

डोलोमाइट खदान के चलते ग्रामीणों का जीना हुआ दुभर

ग्रामीण बताते हैं, पत्थर खनन के चलते गांव में जलस्तर काफी नीचे जा चुका है. वहीं धूल से आसपास का वातावरण भी प्रदूषित हो चुका है. गांव में लगे कई हैंडपंप और बोर भी फेल हो चुके हैं. दूषित पेयजल से गांव में आए दिन डायरिया जैसी बीमारी फैलते रहती है, लेकिन जिम्मेदारों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं है, जबकि ग्रामीण कई बार जिले के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करा चुके हैं.

पढ़ें: IPL सट्टा के 7 मास्टर माइंड सटोरिए गिरफ्तार, 11 करोड़ से ज्यादा की सट्टा-पट्टी जब्त

दम तोड़ रहे इंसान और मवेशी

घनी आबादी के बीच से होकर ओवरलोड वाहनों के गुजरने से दुर्घटना में मवेशी के साथ इंसान दम तोड़ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है, जो सड़क हादसों से बच जाते हैं, वे धूल के उड़ते गुबार से या तो अपनी आंखें गवां देते हैं या श्वास संबंधी बीमारी जैसे दमा, टीवी से अपनी जान गंवा देते हैं. सड़क हादसे या प्रदूषण के कारण जान गंवाने वाले लोगों को डोलोमाइट कंपनी कोई क्षतिपूर्ति या मुआवजा भी नहीं देती है.

निर्धारित नहीं है ब्लास्टिंग का समय

ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर के टुकड़े, उड़ती धूल का खतरनाक प्रभाव आसपास के फसलों पर पड़ती है. कई बार पत्थरों के टुकड़ों से खेते में काम करने वाले किसान भी चोटिल हो जाते हैं. आसपास के लोगों का कहना है कि ब्लास्टिंग के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है. जिसके कारण कभी खेतों में काम करते वक्त उन्हें चोट लग जाती है, तो कभी खाते-खाते उनकी थाली में धूल भर जाती है. जिसकी बार-बार शिकायत पर भी कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.

विभाग का काम खदानों को लीज पर देना और रॉयल्टी वसूली करना

इधर, खनिज अधिकारी आरके सोनी का कहना है कि उनके विभाग का काम खदानों को लीज पर देना और रॉयल्टी वसूली तक ही सीमित है. इस दौरान वे शिकायत मिलने पर विभाग के द्वारा यह देखा जाता है कि लीज एरिया से बाहर खदान संचालकों द्वारा खनन कार्य तो नहीं किया जा रहा है या फिर रॉयल्टी की चोरी तो नहीं की जा रही है.

जांजगीर चांपा: 2000 लोगों की आबादी वाले खमरिया के लोग बीते कई वर्षों से पेयजल, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. जबकि उनके गांव से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिल रहा है. गांव के बीच से एक सड़क निकलती है, जो 10 गांवों को आपस में जोड़ती है. इस रास्ते से पत्थर खदान से ओवरलोडेड वाहन के आने-जाने से सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है कि इसपर पैदल चलना भी मुश्किलों से भरा हो गया है, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

डोलोमाइट खदान के चलते ग्रामीणों का जीना हुआ दुभर

ग्रामीण बताते हैं, पत्थर खनन के चलते गांव में जलस्तर काफी नीचे जा चुका है. वहीं धूल से आसपास का वातावरण भी प्रदूषित हो चुका है. गांव में लगे कई हैंडपंप और बोर भी फेल हो चुके हैं. दूषित पेयजल से गांव में आए दिन डायरिया जैसी बीमारी फैलते रहती है, लेकिन जिम्मेदारों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं है, जबकि ग्रामीण कई बार जिले के अधिकारियों को इस समस्या से अवगत करा चुके हैं.

पढ़ें: IPL सट्टा के 7 मास्टर माइंड सटोरिए गिरफ्तार, 11 करोड़ से ज्यादा की सट्टा-पट्टी जब्त

दम तोड़ रहे इंसान और मवेशी

घनी आबादी के बीच से होकर ओवरलोड वाहनों के गुजरने से दुर्घटना में मवेशी के साथ इंसान दम तोड़ रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है, जो सड़क हादसों से बच जाते हैं, वे धूल के उड़ते गुबार से या तो अपनी आंखें गवां देते हैं या श्वास संबंधी बीमारी जैसे दमा, टीवी से अपनी जान गंवा देते हैं. सड़क हादसे या प्रदूषण के कारण जान गंवाने वाले लोगों को डोलोमाइट कंपनी कोई क्षतिपूर्ति या मुआवजा भी नहीं देती है.

निर्धारित नहीं है ब्लास्टिंग का समय

ब्लास्टिंग के दौरान पत्थर के टुकड़े, उड़ती धूल का खतरनाक प्रभाव आसपास के फसलों पर पड़ती है. कई बार पत्थरों के टुकड़ों से खेते में काम करने वाले किसान भी चोटिल हो जाते हैं. आसपास के लोगों का कहना है कि ब्लास्टिंग के लिए कोई समय निर्धारित नहीं है. जिसके कारण कभी खेतों में काम करते वक्त उन्हें चोट लग जाती है, तो कभी खाते-खाते उनकी थाली में धूल भर जाती है. जिसकी बार-बार शिकायत पर भी कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं.

विभाग का काम खदानों को लीज पर देना और रॉयल्टी वसूली करना

इधर, खनिज अधिकारी आरके सोनी का कहना है कि उनके विभाग का काम खदानों को लीज पर देना और रॉयल्टी वसूली तक ही सीमित है. इस दौरान वे शिकायत मिलने पर विभाग के द्वारा यह देखा जाता है कि लीज एरिया से बाहर खदान संचालकों द्वारा खनन कार्य तो नहीं किया जा रहा है या फिर रॉयल्टी की चोरी तो नहीं की जा रही है.

Last Updated : Sep 25, 2020, 12:05 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.