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ये है छत्तीसगढ़ का 'काशी', स्थापित है एक लाख छिद्रों वाला अनोखा शिवलिंग

जांजगीर चांपा के खरौद नगर में एक लाख छिद्रों वाला अनोखा शिवलिंग है, जिसे लक्ष्मणेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.भगवान राम ने भाई लक्ष्मण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की थी.

lakshneshwar temple of jangir chama
छत्तीसगढ़ का 'काशी
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Published : Feb 20, 2020, 3:36 PM IST

Updated : Feb 20, 2020, 7:27 PM IST

जांजगीर चांपा: शिवरात्रि के मौके पर ETV भारत आपको जांजगीर-चांपा के एक लाख छिद्रों वाले उस अनोखा शिवलिंग के दर्शन करा रहा है. जिसे छत्तीसगढ़ का काशी कहा जाता है. बताया जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. दूर-दूर से लोग इस शिवलिंग का दर्शन करने यहां आते हैं.

छत्तीसगढ़ का 'काशी'

जांजगीर चांपा के खरौद नगर में एक लाख छिद्रों वाला अनोखा शिवलिंग है, जिसे लक्ष्मणेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.बताया जाता है कि यहां पर भगवान राम ने खर और दूषण का वध किया था जिस वजह से इस जगह का नाम खरौद पड़ा. भगवान राम ने भाई लक्ष्मण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की थी.

जमीन से 20 फीट ऊपर है लक्ष लिंग

मंदिर के गर्भ गृह में एक लक्ष लिंग स्थापित है, कहा जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं लक्ष्मण जी ने की थी. इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है इसलिए इसे लक्ष लिंग भी कहा जाता है. बताया जाता है कि इन छिद्रों में एक छिद्र ऐसा है जो कि पाताल तक जाता है. इस शिवलिंग में जितना भी पानी डालो वो उसमे समा जाता है. जबकि एक छिद्र अक्षय कुंड कहलाता है, क्योंकि उसमें जल हमेशा भरा ही रहता है. यह लक्ष लिंग जमीन से 20 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू शिवलिंग भी माना जाता है.

मजबूत पत्थरों से बनी हैं दिवारें

यह मंदिर नगर के पश्चिम में पूर्वाभिमुख है. इसके चारों ओर पत्थर की मजबूत दिवारें हैं. वहीं एक विशाल मंदिर की संरचना भी की गई थी जिसके अवशेष नजर आते हैं. जिसका आधा भाग षष्टक मंदिर के आकृति में बना दिखाई देता है. इसके दक्षिण भाग में एक प्राचीन शिलालेख लिखा हुआ है, जिसकी भाषा को आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. वहीं मंदिर के बाएं ओर संस्कृत भाषा में लिखा एक शिलालेख पाया जाता है, जिसमें आठवीं शताब्दी के इंद्रबलदेव और ईशानदेव नामक शासकों का उल्लेख है. इसमें 44 श्लोक हैं.

ये है मान्यता

श्रावण मास और महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग पर सवा लाख दाने चावल चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इससे निःसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. सारे मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

जांजगीर चांपा: शिवरात्रि के मौके पर ETV भारत आपको जांजगीर-चांपा के एक लाख छिद्रों वाले उस अनोखा शिवलिंग के दर्शन करा रहा है. जिसे छत्तीसगढ़ का काशी कहा जाता है. बताया जाता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. दूर-दूर से लोग इस शिवलिंग का दर्शन करने यहां आते हैं.

छत्तीसगढ़ का 'काशी'

जांजगीर चांपा के खरौद नगर में एक लाख छिद्रों वाला अनोखा शिवलिंग है, जिसे लक्ष्मणेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.बताया जाता है कि यहां पर भगवान राम ने खर और दूषण का वध किया था जिस वजह से इस जगह का नाम खरौद पड़ा. भगवान राम ने भाई लक्ष्मण के कहने पर इस मंदिर की स्थापना की थी.

जमीन से 20 फीट ऊपर है लक्ष लिंग

मंदिर के गर्भ गृह में एक लक्ष लिंग स्थापित है, कहा जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं लक्ष्मण जी ने की थी. इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है इसलिए इसे लक्ष लिंग भी कहा जाता है. बताया जाता है कि इन छिद्रों में एक छिद्र ऐसा है जो कि पाताल तक जाता है. इस शिवलिंग में जितना भी पानी डालो वो उसमे समा जाता है. जबकि एक छिद्र अक्षय कुंड कहलाता है, क्योंकि उसमें जल हमेशा भरा ही रहता है. यह लक्ष लिंग जमीन से 20 फीट ऊपर है और इसे स्वयंभू शिवलिंग भी माना जाता है.

मजबूत पत्थरों से बनी हैं दिवारें

यह मंदिर नगर के पश्चिम में पूर्वाभिमुख है. इसके चारों ओर पत्थर की मजबूत दिवारें हैं. वहीं एक विशाल मंदिर की संरचना भी की गई थी जिसके अवशेष नजर आते हैं. जिसका आधा भाग षष्टक मंदिर के आकृति में बना दिखाई देता है. इसके दक्षिण भाग में एक प्राचीन शिलालेख लिखा हुआ है, जिसकी भाषा को आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. वहीं मंदिर के बाएं ओर संस्कृत भाषा में लिखा एक शिलालेख पाया जाता है, जिसमें आठवीं शताब्दी के इंद्रबलदेव और ईशानदेव नामक शासकों का उल्लेख है. इसमें 44 श्लोक हैं.

ये है मान्यता

श्रावण मास और महाशिवरात्रि में इस मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि यहां स्थापित शिवलिंग पर सवा लाख दाने चावल चढ़ाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इससे निःसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. सारे मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Last Updated : Feb 20, 2020, 7:27 PM IST
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