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राम वन गमन पथ: शिवरीनारायण ही नहीं खरौद का भी होगा विकास

राम वन गमन पथ विकसित करने के लिए शिवरीनारायण को केंद्र बिंदु माना जा रहा है. लेकिन खरोद के रहवासियों में थोड़ी निराशा है. खरौद में ही माता शबरी का प्राचीन मंदिर है. छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले लक्ष्मणेश्वर शिव का मंदिर भी है. हालांकि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि शिवरीनारायण के साथ ही खरौद का भी विकास किया जाएगा.

Shivrinarayan of janjgir champa
शिवरीनारायण और खरौद
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Published : Dec 28, 2020, 5:12 PM IST

जांजगीर-चांपा: जिले के शिवरीनारायण को राम वनगमन पथ में शामिल किया गया है. मान्यता है कि यहीं शबरी ने भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे. माता शबरी का प्राचीन मंदिर खरौद में है. कुछ लोगों का मानना है कि जो दर्जा खरौद को मिलना चाहिए, वह शिवरीनारायण को मिल रहा है. देवरघटा में भी भगवान राम अपने अनुज के साथ शिवनाथ नदी पार कर पैसर घाट पहुंचे थे. यह राम वन गमन मार्ग का प्रमुख स्थान है.

शिवरीनारायण और खरौद दोनों का होगा विकास

खरौद के माता शबरी मंदिर में स्थानीय सबर जनजाति की विशेष आस्था है. यहां से लेकर ओडिशा तक बसे सबर जनजाति के लोग अपने आपको माता शबरी के वंशज मानते हैं. खरौद में ही लक्ष्मणेश्वर महादेव का मंदिर है. इस शिवलिंग में अद्भुत कुंड भी है. इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है. लेकिन लक्ष्मणेश्वर महादेव के इस शिवलिंग के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है.

पढ़ें-वनवास के दौरान रामगढ़ की गुफाओं में ठहरे थे प्रभु श्रीराम

लक्ष्मण जी ने की थी भगवान शिव की आराधना

कहते हैं लक्ष्मण जी को क्षय रोग हो गया था. इससे निजात पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव की कृपा से खरौद में उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली थी.खरौद के लोगों में भले ही निराशा है लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शिवरीनारायण और खरौद में एक जैसी विकास की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे

कहते हैं भगवन राम ने खरौद में खर और दूषण का वध किया था. इसलिए इस जगह का नाम खरौद पड़ा. राम वन गमन पथ की महत्वाकांक्षी योजना से अब उम्मीद की जा रही है कि खरौद, देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे.

जांजगीर-चांपा: जिले के शिवरीनारायण को राम वनगमन पथ में शामिल किया गया है. मान्यता है कि यहीं शबरी ने भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे. माता शबरी का प्राचीन मंदिर खरौद में है. कुछ लोगों का मानना है कि जो दर्जा खरौद को मिलना चाहिए, वह शिवरीनारायण को मिल रहा है. देवरघटा में भी भगवान राम अपने अनुज के साथ शिवनाथ नदी पार कर पैसर घाट पहुंचे थे. यह राम वन गमन मार्ग का प्रमुख स्थान है.

शिवरीनारायण और खरौद दोनों का होगा विकास

खरौद के माता शबरी मंदिर में स्थानीय सबर जनजाति की विशेष आस्था है. यहां से लेकर ओडिशा तक बसे सबर जनजाति के लोग अपने आपको माता शबरी के वंशज मानते हैं. खरौद में ही लक्ष्मणेश्वर महादेव का मंदिर है. इस शिवलिंग में अद्भुत कुंड भी है. इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है. लेकिन लक्ष्मणेश्वर महादेव के इस शिवलिंग के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है.

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लक्ष्मण जी ने की थी भगवान शिव की आराधना

कहते हैं लक्ष्मण जी को क्षय रोग हो गया था. इससे निजात पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव की कृपा से खरौद में उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली थी.खरौद के लोगों में भले ही निराशा है लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शिवरीनारायण और खरौद में एक जैसी विकास की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे

कहते हैं भगवन राम ने खरौद में खर और दूषण का वध किया था. इसलिए इस जगह का नाम खरौद पड़ा. राम वन गमन पथ की महत्वाकांक्षी योजना से अब उम्मीद की जा रही है कि खरौद, देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे.

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