जांजगीर-चांपा: छत्तीसगढ़ सरकार के राम वन गमन पथ को विकसित किए जाने के लिए प्रथम चरण में 8 स्थानों का चयन किया गया था. इसमें शिवरीनारायण को शामिल किया गया है लेकिन शबरी मंदिर को शामिल नहीं किया गया है. इसे लेकर खरौद के निवासियों में निराशा देखी जा रही है.
भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में जिन जगहों से श्रीराम गुजरे थे उन जगहों को पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करने का एलान किया था. इसके लिए प्रदेश में विभिन्न स्थानों को चिन्हित किया था. कुल 48 स्थानों को राम वन गमन पथ के रुप में विकसित करने का फैसला लिया गया है. प्रथम चरण में 8 स्थान चिन्हांकित है, जिसमें शबरी मंदिर शामिल नहीं है. ये शबरी मंदिर खरौद में स्थित है इस स्थान पर माता शबरी ने श्रीराम को बेर खिलाए थे.
लक्ष्मणेश्वर मंदिर भी प्रथम चरण में शामिल नहीं
खरौद में शबरी मंदिर के साथ ही लक्ष्मणेश्वर मंदिर भी मौजूद है. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां लक्ष्मण को क्षय रोग होने पर लक्ष्य शिवलिंग की स्थापना की गई थी. ये शिवलिंग आज भी विद्यमान है. ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में प्रथम चरण में नहीं जोड़े जाने पर खरौद नगरवासी दुखी हैं. इसके अलावा स्थानीय सबर जाति भी बड़ी संख्या में यहां निवास करती है, जिन्होंने शबरी मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में शामिल नहीं किए जाने पर दुख जताया है.