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जांजगीर-चांपा : हसदेव नदी से पानी लाने का रास्ता नहीं हो रहा साफ, नल जल योजना का काम नहीं बढ़ रहा आगे - चांपा

जांजगीर-चांपा में नल जल योजना का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है, जिससे लोगों को इस बार भी गर्मी में पानी की समस्या से दो चार होना पड़ सकता है.

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Published : Mar 21, 2019, 11:25 PM IST

जांजगीर-चाम्पा :जांजगीर में हसदेव नदी से पानी लाने का रास्ता साफ ही नहीं हो पा रहा है. पांच बार टेंडर रिकॉल करने, तीन बार नेगोसिएशन करने के बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो पाई है, लेकिनअब तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया जिसकी वजह से जिला मुख्यालय में नल जल योजना का काम आगे बढ़ नहीं पा रहा है.

2 साल में 5 बार रिकॉल करने के बाद जैसे तैसे टेंडर हुआ, पहले आचार संहिता के कारण देरी हुई, फिर मामला ड्रॉइंग डिजाइन और मिट्टी टेस्ट अप्रूवल पर अटका रहा. रीटेंडर और रिकॉल करने के बाद पांचवीं बार नागपुर की मल्टी अरबन कंपनी को 33.55 लाख में इस काम का ठेका मिला. अक्टूबर में वर्क ऑर्डर जारी हुआ और ठेकेदार ने कुछ काम भी शुरू किया.

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गौरतलब है कि शहर में 2006 से हर साल गर्मी में पनी की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है. शहर में 8 मई 2006 को जल आवर्धन योजना की शुरुआत हो चुकी थी,इसमें 4 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.शहर में पुलिस कंट्रोल के पास पानी टंकी बनाई गई.शहर के सभी वार्डों में पाइप लाइन बिछाईगईथी.हसदेव नदी में फिल्टर कर पानी लाने इंटकवेल बनाया था, जिस स्थान पर इंटकवेल बनाया गया था, उस स्थान पर बारह माह पानी तक नहीं पहुंचता था,इस कारण इस बार जगह बदलकर नई योजना बनाई गई है.

जांजगीर-चाम्पा :जांजगीर में हसदेव नदी से पानी लाने का रास्ता साफ ही नहीं हो पा रहा है. पांच बार टेंडर रिकॉल करने, तीन बार नेगोसिएशन करने के बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो पाई है, लेकिनअब तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया जिसकी वजह से जिला मुख्यालय में नल जल योजना का काम आगे बढ़ नहीं पा रहा है.

2 साल में 5 बार रिकॉल करने के बाद जैसे तैसे टेंडर हुआ, पहले आचार संहिता के कारण देरी हुई, फिर मामला ड्रॉइंग डिजाइन और मिट्टी टेस्ट अप्रूवल पर अटका रहा. रीटेंडर और रिकॉल करने के बाद पांचवीं बार नागपुर की मल्टी अरबन कंपनी को 33.55 लाख में इस काम का ठेका मिला. अक्टूबर में वर्क ऑर्डर जारी हुआ और ठेकेदार ने कुछ काम भी शुरू किया.

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गौरतलब है कि शहर में 2006 से हर साल गर्मी में पनी की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है. शहर में 8 मई 2006 को जल आवर्धन योजना की शुरुआत हो चुकी थी,इसमें 4 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.शहर में पुलिस कंट्रोल के पास पानी टंकी बनाई गई.शहर के सभी वार्डों में पाइप लाइन बिछाईगईथी.हसदेव नदी में फिल्टर कर पानी लाने इंटकवेल बनाया था, जिस स्थान पर इंटकवेल बनाया गया था, उस स्थान पर बारह माह पानी तक नहीं पहुंचता था,इस कारण इस बार जगह बदलकर नई योजना बनाई गई है.

Intro:जांजगीर चाम्पा:- जांजगीर मे हसदेव नदी से पानी लाने का रास्ता साफ ही नहीं हो पा रहा है। पांच बार टेंडर रिकॉल करने, तीन बार नेगोसिएशन करने के बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो पाई है। तो नगर पालिका के अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही यह है कि इतना समय टेंडर में लगने के बाद भी जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया जिसकी वजह से जिला मुख्यालय में नल जल योजना का काम आगे बढ़ नहीं पा रहा 2 साल में 5 बार रिकाल करने के बाद जैसे तैसे टेंडर हुआ पहले आचार संहिता के कारण देरी हुई फिर मामला ड्राइंग डिजाइन और मिट्टी टेस्ट अप्रूवल पर अटका रिटेंडर और रिकॉल करने के बाद पांचवी बार नागपुर की मल्टी अरबन कंपनी को 33.55 लाख में इस काम का ठेका मिला अक्टूबर में वर्क आर्डर जारी हुआ और ठेकेदार ने कुछ काम भी शुरू किया गौरतलब है कि शहर में 2006 से पानी की समस्या हर साल गर्मी में शहर में होने रही पानी की इस किल्लत से मई 2006 के बाद से नहीं जूझना पड़ता। शहर में 8 मई 2006 को जल आवर्धन योजना की शुरुआत हो चु1
की थी। इसमें 4 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। शहर में पुलिस कंट्रोल के पास पानी टंकी बनाई गई। शहर के सभी वार्डों में पाइप लाइन बिछाए गए थे। हसदेव नदी में फिल्टर कर पानी लाने इंटकवेल बनाया था, जिस स्थान पर इंटकवेल बनाया गया था उस स्थान पर बारह माह पानी तक नहीं पहुंचता था। इस कारण इस बार जगह बदलकर नई योजना बनाई गई है।

बाईट- 1 पी एन पटनायक मुख्य नगर पालिका अधिकारी जांजगीर


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