जांजगीर-चांपा: डभरा ब्लॉक की हरदी ग्राम पंचायत में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला का भवन जर्जर हो चुका है. भवन के अभाव में हरदी गांव के प्राथमिक शाला की कक्षाएं जुगाड़ से संचालित की जा रही हैं. यह भवन 30 साल पहले बनाया गया था. कोरोना काल में सरकारी स्कूल बंद हैं. इस वजह से मोहल्ला क्लास लगाकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, लेकिन बारिश के मौसम ने जिले में खनिज न्यास निधि से बनाए गए सरकारी मॉडल स्कूलों की पोल खोल कर रख दी है. प्राथमिक शाला के बच्चे सुबह 7 से 12 तक पढ़ते हैं, वहीं पूर्व माध्यमिक शाला के छात्र-छात्राएं दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक दूसरी पाली में पढ़ाई करने आते हैं.
भवन की छत से प्लास्टर गिर रहा है. जगह-जगह दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं. बारिश के दिनों में पानी टपकता रहता है. साथ ही भवन के कमरे में दीमक लग चुकी है, इसमें सांप बिच्छू का भी बसेरा बन गया है. इस प्राथमिक शाला में 2 शिक्षक पदस्थ हैं, इस शैक्षणिक सत्र में यहां महज 26 छात्र-छात्राओं ने एडमिशन लिया है. इस जर्जर भवन और विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में लगातार हर साल नौनिहालों की दर्ज संख्या कम हो रही है.
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सरकार स्कूल के लिए लाखों रुपया खर्च करने की बात करती है, लेकिन सिस्टम की लापरवाही के कारण नौनिहाल जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर हैं. विद्यालय भवन की सुविधा नहीं मिलने के कारण ग्राम हरदी के नौनिहाल प्राइवेट स्कूलों के तरफ रुक रख रहे हैं. जिस कारण हरदी गांव में इस बार सिर्फ 26 नौनिहाल पढ़ई कर रहे हैं.
जिम्मेदारों को सुध लेने की फुर्सत नहीं
स्कूल भवन की जर्जर हालत को लेकर शाला विकास समिति की ओर से ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव से लेकर इलाके के जनप्रतिनिधि और अधिकारी से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन ग्राम पंचायत को स्कूल की बदहाली से कोई मतलब नहीं है. जिम्मेदार अधिकारी को मामले की जानकारी ही नहीं है, जबकि स्कूल के शिक्षक और अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी से कई बार लिखित में शिकायत कर चुके हैं.