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जांजगीर-चांपा: मजदूरों और किसानों के पलायन से वीरान हो रहे गांव - किसान जा रहे अन्य राज्य

जांजगीर-चांपा जिले से दोबारा मजदूरों और किसानों का पलायन शुरू हो गया है. ETV भारत की टीम ने 2 गांव का दौरा किया. यहां कई घरों पर ताले नजर आए. ग्रामीणों का कहना है कि आर्थिक स्थिति बदतर हो गई है. ऐसे में तेजी से पलायन हो रहा है. उनका मानना है कि छेरछेरा पुन्नी त्योहार के बाद बड़ी सख्या में मजदूर और किसान अन्य राज्यों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करेंगे.

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किसानों के पलायन से वीरान हो रहे गांव
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Published : Jan 23, 2021, 9:42 PM IST

Updated : Jan 23, 2021, 10:34 PM IST

जांजगीर-चांपा: धान खरीदी के बाद एक बार फिर जिले में मजदूरों और किसानों का बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों की ओर पलायन देखा जा रहा है. हालात ऐसे हैं कि गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान दूसरे राज्यों के मजदूर कई सालों बाद अपने गांव वापस लौटे थे. उस दौरान प्रदेश की भूपेश सरकार ने रोजगार देने की बात कही थी. लेकिन अब जिस तरीके से गांव खाली हो रहे हैं,वह चौंकाने वाले हैं.

नहीं थम रहा पलायन

जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश का सबसे बड़े धान उत्पादक जिला है. मजदूरों के लौटने की अपेक्षा दोगुनी रफ्तार से पलायन हो रहा है. सरकारी दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं. जांजगीर-चापां जिले से सबसे अधिक पलायन होता रहा है. कोरोना काल के दौरान वापस लौटने वालों की संख्या भी यहां लाखों में थी. रोजगार की कमी को पलायन का बड़ा कारण माना जा रहा है.

पढ़ें: SPECIAL: बस्तर झेल रहा बेरोजगारी का दंश, अपनी जमीन और घर छोड़ने को मजबूर युवा

पलायन के बाद वीरान हुए गांव

ETV भारत की टीम ने 2 गांव का दौरा किया. इस दौरान गांव के हालात खराब थे. एक अजीब सी खामोशी और वीरानी छाई हुई थी. यहां के कई घरों में ताला लगा हुआ था. बारगांव और पेंड्री में किसानों का पलायन शुरू हो गया है. ETV भारत की टीम ने पाया कि गांव की आधी आबादी पलायन कर चुकी है. ETV भारत ने ग्रामीणों से बातचीत की है. ग्रामीणों ने बताया कि आर्थिक हालात खराब होने के कारण किसान और मजदूर वर्ग पलायन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल के दौरान प्रवासी मजदूरों को अचानक दूसरे राज्यों से लौटना पड़ा था, जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति उनकी और भी बदतर हो गई थी.

ग्रामीणों का कहना है कि सालों बाद प्रवासियों के लौटने से गांव में चहल-पहल बढ़ी थी. लेकिन धीरे-धीरे रोजगार के अभाव और आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण लोग दोबारा पलायन कर रहे हैं. गांव वीरान होता जा रहा है. पलायन कर रहे लोगों में अब कोरोना का डर भी नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि छेरछेरा पुन्नी त्योहार के बाद बड़ी सख्या में मजदूर और किसान अन्य राज्यों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करेंगे.

85% सिंचित जिला होने के बावजूद पलायन
जांजगीर-चांपा जिला वैसे तो सिंचित क्षेत्र के मामले में 85% क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. इसके बावजूद जिले में सबसे अधिक पलायन होता है. जिले के पामगढ़ तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक पलायन होता है. इस मामले में जनपद पंचायत सीईओ से बात की गई. जनपद पंचायत सीईओ ने कहा कि सचिवों के हड़ताल के कारण मनरेगा के कार्य प्रभावित हो रहा है. लेकिन जल्द ही शासकीय योजनाएं संचालित की जाएगी. जिसमें रोजगार के लिए मनरेगा महत्वपूर्ण योजना है.

पढ़ें: SPECIAL: प्रवासी मजदूरों का दर्द, 15 हजार में सिर्फ 15 सौ को मिला काम, पलायन शुरू

जांजगीर-चांपा से सबसे ज्यादा पलायन

प्रदेश में सबसे अधिक पलायन की स्थिति जांजगीर-चांपा जिले में देखने को मिलती है. जिले के पामगढ़ क्षेत्र में यह संख्या सबसे अधिक है. जिले में पर्याप्त पैदावार खरीफ सीजन में हुई है. उसके बावजूद पलायन दशकों से होने के कारण अब भी किसान दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. श्रम विभाग की मानें तो पिछले साल एक लाख से अधिक लोगों ने दूसरे राज्यों में पलायन किया था. अकेले पामगढ़ क्षेत्र में 27 हजार के लगभग किसान दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे. यह आंकड़ा शासकीय है. जबकि पलायन की वास्तविक आंकड़े काफी अधिक हो सकते हैं.

जांजगीर-चांपा: धान खरीदी के बाद एक बार फिर जिले में मजदूरों और किसानों का बड़े पैमाने पर अन्य राज्यों की ओर पलायन देखा जा रहा है. हालात ऐसे हैं कि गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान दूसरे राज्यों के मजदूर कई सालों बाद अपने गांव वापस लौटे थे. उस दौरान प्रदेश की भूपेश सरकार ने रोजगार देने की बात कही थी. लेकिन अब जिस तरीके से गांव खाली हो रहे हैं,वह चौंकाने वाले हैं.

नहीं थम रहा पलायन

जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश का सबसे बड़े धान उत्पादक जिला है. मजदूरों के लौटने की अपेक्षा दोगुनी रफ्तार से पलायन हो रहा है. सरकारी दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं. जांजगीर-चापां जिले से सबसे अधिक पलायन होता रहा है. कोरोना काल के दौरान वापस लौटने वालों की संख्या भी यहां लाखों में थी. रोजगार की कमी को पलायन का बड़ा कारण माना जा रहा है.

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पलायन के बाद वीरान हुए गांव

ETV भारत की टीम ने 2 गांव का दौरा किया. इस दौरान गांव के हालात खराब थे. एक अजीब सी खामोशी और वीरानी छाई हुई थी. यहां के कई घरों में ताला लगा हुआ था. बारगांव और पेंड्री में किसानों का पलायन शुरू हो गया है. ETV भारत की टीम ने पाया कि गांव की आधी आबादी पलायन कर चुकी है. ETV भारत ने ग्रामीणों से बातचीत की है. ग्रामीणों ने बताया कि आर्थिक हालात खराब होने के कारण किसान और मजदूर वर्ग पलायन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल के दौरान प्रवासी मजदूरों को अचानक दूसरे राज्यों से लौटना पड़ा था, जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति उनकी और भी बदतर हो गई थी.

ग्रामीणों का कहना है कि सालों बाद प्रवासियों के लौटने से गांव में चहल-पहल बढ़ी थी. लेकिन धीरे-धीरे रोजगार के अभाव और आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण लोग दोबारा पलायन कर रहे हैं. गांव वीरान होता जा रहा है. पलायन कर रहे लोगों में अब कोरोना का डर भी नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि छेरछेरा पुन्नी त्योहार के बाद बड़ी सख्या में मजदूर और किसान अन्य राज्यों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करेंगे.

85% सिंचित जिला होने के बावजूद पलायन
जांजगीर-चांपा जिला वैसे तो सिंचित क्षेत्र के मामले में 85% क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. इसके बावजूद जिले में सबसे अधिक पलायन होता है. जिले के पामगढ़ तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक पलायन होता है. इस मामले में जनपद पंचायत सीईओ से बात की गई. जनपद पंचायत सीईओ ने कहा कि सचिवों के हड़ताल के कारण मनरेगा के कार्य प्रभावित हो रहा है. लेकिन जल्द ही शासकीय योजनाएं संचालित की जाएगी. जिसमें रोजगार के लिए मनरेगा महत्वपूर्ण योजना है.

पढ़ें: SPECIAL: प्रवासी मजदूरों का दर्द, 15 हजार में सिर्फ 15 सौ को मिला काम, पलायन शुरू

जांजगीर-चांपा से सबसे ज्यादा पलायन

प्रदेश में सबसे अधिक पलायन की स्थिति जांजगीर-चांपा जिले में देखने को मिलती है. जिले के पामगढ़ क्षेत्र में यह संख्या सबसे अधिक है. जिले में पर्याप्त पैदावार खरीफ सीजन में हुई है. उसके बावजूद पलायन दशकों से होने के कारण अब भी किसान दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. श्रम विभाग की मानें तो पिछले साल एक लाख से अधिक लोगों ने दूसरे राज्यों में पलायन किया था. अकेले पामगढ़ क्षेत्र में 27 हजार के लगभग किसान दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे. यह आंकड़ा शासकीय है. जबकि पलायन की वास्तविक आंकड़े काफी अधिक हो सकते हैं.

Last Updated : Jan 23, 2021, 10:34 PM IST
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