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जांजगीर चांपा : पैरा बनाने की जगह उसे खेत में ही जला रहे, जैविक खेती को हो रहा है नुकसान

किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने की बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं, जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान पहुंच रहा है.

पैरा
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Published : May 15, 2019, 5:59 PM IST

जांजगीर चांपा : इन दिनों जिले में धान की कटाई चल रही है. हार्वेस्टर से धान की कटाई हो रही है. किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने की बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं, जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान हो रहा है.

जैविक खेती को हो रहा है नुकसान

आग से मर जाते हैं कीड़े और बैक्टीरिया
वहीं कृषि विस्तार अधिकारी जेआर जांगड़े ने बताया कि किसानों को खेत में पैरा को नहीं जलाना चाहिए. ऐसा करने से खेत में मौजूद जमीन को उपजाऊ बनाने वाले कीड़े और बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिसकी वजह से जमीन बंजर हो सकती है. वहीं आस-पास के हरे-भरे पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर जल जाते हैं. कई मासूम पशु-पक्षी भी आग से झुलस जाते हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है.

पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है
खासतौर से चिड़ियां जो अंडे दी रहती हैं. अंडा होने की वजह से वह अपना घोंसला नहीं छोड़ती और उनकी भी मौत हो जाती है, जिसकी वजह से पर्यावरण के साथ-साथ अन्य पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है और आग लगने की वजह से वायु प्रदूषण भी होता है. ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पेरा नहीं चलाना चाहिए बल्कि उसे खाद बनाने के उपयोग में लाना चाहिए.

जांजगीर चांपा : इन दिनों जिले में धान की कटाई चल रही है. हार्वेस्टर से धान की कटाई हो रही है. किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने की बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं, जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान हो रहा है.

जैविक खेती को हो रहा है नुकसान

आग से मर जाते हैं कीड़े और बैक्टीरिया
वहीं कृषि विस्तार अधिकारी जेआर जांगड़े ने बताया कि किसानों को खेत में पैरा को नहीं जलाना चाहिए. ऐसा करने से खेत में मौजूद जमीन को उपजाऊ बनाने वाले कीड़े और बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिसकी वजह से जमीन बंजर हो सकती है. वहीं आस-पास के हरे-भरे पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर जल जाते हैं. कई मासूम पशु-पक्षी भी आग से झुलस जाते हैं, जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है.

पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है
खासतौर से चिड़ियां जो अंडे दी रहती हैं. अंडा होने की वजह से वह अपना घोंसला नहीं छोड़ती और उनकी भी मौत हो जाती है, जिसकी वजह से पर्यावरण के साथ-साथ अन्य पशु-पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है और आग लगने की वजह से वायु प्रदूषण भी होता है. ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पेरा नहीं चलाना चाहिए बल्कि उसे खाद बनाने के उपयोग में लाना चाहिए.

Intro:जांजगीर चांपा :- इन दिनों जिले में ग्रीष्मकालीन धान की फसलों की कटाई हो रही है। क्योंकि अब जिले में खेती आधुनिकीकरण से हो रही है तो स्वाभाविक सी बात है कि धान की कटाई हार्वेस्टर से होगी किसान धान की कटाई करने के बाद बचे पैरा का इस्तेमाल खाद बनाने के बजाय खेत में ही जला दे रहे हैं जिसकी वजह से जैविक खेती को नुकसान हो रहा है वहीं कृषि विस्तार अधिकारी जे आर जांगड़े ने बताया कि किसानों को खेत में पैरा को नहीं जलाना चाहिए खेत में जलाने की वजह से खेत में मौजूद जमीन को उपजाऊ करने वाले कीड़े और बैटरी मर जाते हैं जिसकी वजह से जमीन बंजर होते जाती है वहीं आसपास के हरे भरे पेड़ पौधे भी आग की चपेट में आकर जल जाते हैं साथ ही साथ कई मासूम पशु-पक्षी भी आग से झुलस जाते हैं जिसकी वजह से उनकी मौत हो जाती है खासतौर से चिड़िया जो अंडे दिए रहती है अंडा होने की वजह से वह अपना घोंसला नहीं छोड़ती और उनकी भी मौत हो जाती है। जिसकी वजह से पर्यावरण के साथ साथ अन्य पशु पक्षी को भी नुकसान पहुंचता है और आग लगने की वजह से वह वायु प्रदूषण का कारण बनता है ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पेरागोन नहीं चलाना चाहिए बल्कि उसे खाद बनाने में उपयोग में रहना चाहिए।

बाइट G R जांगड़े कृषि विस्तार अधिकारीBody:विसुअल बाइटConclusion:
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