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ETV भारत की खबर का असर: इस परिवार को मिला इंसाफ, वापस लौटी जिंदगी

ETV भारत की खबर का एक बार फिर असर देखने को मिला है. ठाकुरपाली के रहने वाले प्रेमकुमार श्रीवास गांव में हेयर कटिंग कर सैलून संचालित करता है और अपने परिवार की जीविका चलाता है. उसे और उसके परिवार के सदस्यों को श्रीवास समाज के लोगों ने समाज से बहिष्कृत कर दिया है.इस मामले को उठाया इसके बाद अब प्रेमकुमार को इंसाफ मिला है.

प्रेमकुमार को इंसाफ मिला
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Published : Jun 2, 2019, 9:13 AM IST

जांजगीर चांपा: आप तक खबर और सूचनाएं पहुंचाने के अलावा हमारा एक सामाजिक सरोकार भी है, जिसे निभाने का हम समय-समय पर प्रयास करते रहते हैं. एक बार फिर हमारे प्रयास से किसी के जीवन में बदलाव हुआ है. ETV भारत की खबर का एक बार फिर असर देखने को मिला है.

प्रेमकुमार को इंसाफ मिला

मामला डभरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ठाकुरपाली का है. यहां का रहने वाला प्रेमकुमार श्रीवास गांव में ही हेयर कटिंग सैलून संचालित कर अपना और परिवार की जीविका चलाता है. उसे और उसके परिवार के सदस्यों को श्रीवास समाज के लोगों ने समाज बहिष्कृत कर दिया था. हमने इस मामले को उठाया इसके बाद अब प्रेमकुमार को इंसाफ मिला है.

ऐसा है मामला
दरअसल, करीब डेढ़ साल पहले प्रेमकुमार गांव के गाड़ा समाज के एक षष्ठी कार्यक्रम में कटिंग-सेविंग करने चला गया था. ग्राम ठाकुरपाली के उतरा कुमार के घर 20 दिसम्बर 2017 को उसकी पुत्री का षष्ठी कार्यक्रम था, जिसमें कटिंग-सेविंग कार्य के लिए प्रेमकुमार को बुलवाया गया था. प्रेमकुमार ने वहां पहुंचकर लोगों की कटिंग-सेविंग की. इसके पांच दिन बाद 25 दिसम्बर 2017 को श्रीवास समाज ने एक सामाजिक बैठक बुलाई, जिससे उन्हें दूर रखा गया.

बैठक के दूसरे दिन जानकारी मिली कि प्रेमकुमार श्रीवास को गाड़ा के घर जाकर नाई का काम करने के कारण समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है. इस घटनाक्रम के बाद से उन्हें समाज के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जा रहा था.

समाज से किया गया बहिष्कार
प्रेमकुमार की पत्नी अंबिका श्रीवास के अनुसार, फरवरी 2018 में उनके घर बहन की शादी थी, लेकिन उसे व उसके परिवार को विवाह कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया गया. दिसम्बर 2017 से समाज में उनका आना-जाना, बातचीत और उठना-बैठना बंद है.

समाज के इस रवैये से उनके समक्ष रोजगार की भी समस्या उत्पन्न हो गई. प्रेमकुमार और उसकी पत्नी ने इस पूरे मामले की शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के अफसरों से की, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई.


ETV भारत पर उनकी कहानी दिखाए जाने के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया. प्रशासनिक टीम जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट भास्कर मिश्रा, पुलिस अधिकारी साधना सिंह, थाना प्रभारी विवेक पांडे के द्वारा गांव में जाकर चौपाल लगाकर लोगों को समझाया गया. उन्हें बताया गया कि सामाजिक बहिष्कार करना संविधान के खिलाफ है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है. इसके बाद अब प्रेमकुमार और उसके परिवार को इंसाफ मिला है समाज के लोगों ने उसे साथ रखने की बात स्वीकार की है.

जांजगीर चांपा: आप तक खबर और सूचनाएं पहुंचाने के अलावा हमारा एक सामाजिक सरोकार भी है, जिसे निभाने का हम समय-समय पर प्रयास करते रहते हैं. एक बार फिर हमारे प्रयास से किसी के जीवन में बदलाव हुआ है. ETV भारत की खबर का एक बार फिर असर देखने को मिला है.

प्रेमकुमार को इंसाफ मिला

मामला डभरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ठाकुरपाली का है. यहां का रहने वाला प्रेमकुमार श्रीवास गांव में ही हेयर कटिंग सैलून संचालित कर अपना और परिवार की जीविका चलाता है. उसे और उसके परिवार के सदस्यों को श्रीवास समाज के लोगों ने समाज बहिष्कृत कर दिया था. हमने इस मामले को उठाया इसके बाद अब प्रेमकुमार को इंसाफ मिला है.

ऐसा है मामला
दरअसल, करीब डेढ़ साल पहले प्रेमकुमार गांव के गाड़ा समाज के एक षष्ठी कार्यक्रम में कटिंग-सेविंग करने चला गया था. ग्राम ठाकुरपाली के उतरा कुमार के घर 20 दिसम्बर 2017 को उसकी पुत्री का षष्ठी कार्यक्रम था, जिसमें कटिंग-सेविंग कार्य के लिए प्रेमकुमार को बुलवाया गया था. प्रेमकुमार ने वहां पहुंचकर लोगों की कटिंग-सेविंग की. इसके पांच दिन बाद 25 दिसम्बर 2017 को श्रीवास समाज ने एक सामाजिक बैठक बुलाई, जिससे उन्हें दूर रखा गया.

बैठक के दूसरे दिन जानकारी मिली कि प्रेमकुमार श्रीवास को गाड़ा के घर जाकर नाई का काम करने के कारण समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है. इस घटनाक्रम के बाद से उन्हें समाज के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जा रहा था.

समाज से किया गया बहिष्कार
प्रेमकुमार की पत्नी अंबिका श्रीवास के अनुसार, फरवरी 2018 में उनके घर बहन की शादी थी, लेकिन उसे व उसके परिवार को विवाह कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया गया. दिसम्बर 2017 से समाज में उनका आना-जाना, बातचीत और उठना-बैठना बंद है.

समाज के इस रवैये से उनके समक्ष रोजगार की भी समस्या उत्पन्न हो गई. प्रेमकुमार और उसकी पत्नी ने इस पूरे मामले की शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के अफसरों से की, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई.


ETV भारत पर उनकी कहानी दिखाए जाने के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया. प्रशासनिक टीम जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट भास्कर मिश्रा, पुलिस अधिकारी साधना सिंह, थाना प्रभारी विवेक पांडे के द्वारा गांव में जाकर चौपाल लगाकर लोगों को समझाया गया. उन्हें बताया गया कि सामाजिक बहिष्कार करना संविधान के खिलाफ है और इसके लिए कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है. इसके बाद अब प्रेमकुमार और उसके परिवार को इंसाफ मिला है समाज के लोगों ने उसे साथ रखने की बात स्वीकार की है.

Intro:जांजगीर चाम्पा:- जिले में एक बार फिर ईटीवी भारत का खबर का असर हुआ श्रीवास (नाई )समाज द्वारा समाज से बहिष्कृत व्यक्ति को मिला न्याय ईटीवी भारत में प्रमुखता के साथ दिखाया था खबर जिसके बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आकर पीड़ित व्यक्ति के गांव पहुंचकर समाज के लोगों को समझाइश दिया गया जिसके बाद वह एक साथ मिलजुल कर रहने के लिए राजी हो गए।

दरअसल, यह पूरा मामला जिले के डभरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ठाकुरपाली का था। यहां का निवासी प्रेमकुमार श्रीवास गांव में ही हेयर कटिंग सैलून संचालित कर अपना और परिवार का जीवकोपार्जन करता है। उसे और उसके परिवार के सदस्यों को श्रीवास समाज ने समाज से महज इसलिए बहिष्कृत कर दिया है, क्योंकि वह डेढ़ साल पहले गांव के गाड़ा समाज के एक षष्ठी कार्यक्रम में कटिंग-सेविंग करने चला गया था। प्रेमकुमार और उसकी पत्नी अम्बिका श्रीवास का आरोप है कि ग्राम ठाकुरपाली के उतरा कुमार पिता हेमचरण चौहान के घर 20 दिसम्बर 2017 को उसकी पुत्री का षष्ठी कार्यक्रम था, जिसमें कटिंग-सेविंग कार्य के लिए प्रेमकुमार को बुलवाया गया था।
प्रेमकुमार ने वहां पहुंचकर लोगों की कटिंग-सेविंग की। इसके पांच दिन बाद 25 दिसम्बर 2017 को श्रीवास समाज ने एक सामाजिक बैठक बुलाई, जिससे उन्हें दूर रखा गया। बैठक के दूसरे दिन जानकारी मिली कि प्रेमकुमार श्रीवास को गाड़ा के घर जाकर नाई का काम करने के कारण समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। इस घटनाक्रम के बाद से उन्हें समाज के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जा रहा है। अम्बिका श्रीवास के अनुसार, फरवरी 2018 में उनके घर बहन की शादी थी, लेकिन उसे व उसके परिवार को छुआछूत मानकर विवाह कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया गया। दिसम्बर 2017 से समाज में उनका आना-जाना, बातचीत और उठना-बैठना बंद है।
समाज से बहिष्कृत किए जाने के कारण उनके परिवार से न तो कोई बात करता है और न ही दुकानदार सामान दे रहे हैं। यदि कोई सामान देने या अन्य तरीके से मदद करने को तैयार भी होता है तो समाज के लोग अड़ंगा डाल देते हैं। समाज के इस रवैये से उनके समक्ष रोजगार के भी लाले पड़ गए हैं। ऐसे में उनके समक्ष रोजी-रोटी की समस्या बनी हुई है। प्रेमकुमार और उसकी पत्नी अम्बिका श्रीवास का कहना था कि इस पूरे मामले की शिकायत उनके द्वारा स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के अफसरों से महीनों पहले कर दी गई है, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस वजह से उनका जीना मुहाल हो गया है। जिसकी खबर आई थी भारत ने प्रमुखता के साथ दिखाएं जिसके बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आकर प्रशासनिक टीम जिसमें न्यायिक मजिस्ट्रेट भास्कर मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस साधना सिंह थाना प्रभारी विवेक पांडे के द्वारा गांव में जाकर चौपाल लगाकर लोगों को समझाइश दी गई इस सामाजिक बहिष्कार करना संविधान के खिलाफ है और इसके लिए कानूनी कार्यवाही का भी प्रावधान है जिसके बाद ग्रामीण एक साथ खुशी-खुशी रहने को राजी हो गए।

बाइट प्रेम श्रीवास
बाइट साधना सिंह SDOP
बाइट भास्कर मिश्र न्यायाधीश(जैकेट)



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