जांजगीर चांपा: सांसद कमला देवी पाटले ने जिस वक्त जाबलपुर गांव को गोद लिया था, उस दौरान हर किसी ने सपना देखा था कि गांव सांसद की गोद में बैठा है, अब इसका उद्धार होगा. हर ओर विकास की बयार बहेगी. लेकिन अफसोस उनका यह सपना अधूरा रह गया.
गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही सड़क का इंतजाम, न बिजली की रोशनी है और है, न स्वास्थ्य को दुरुस्त करने के लिए अस्पताल. गांव की दूरी जिला मुख्यालय से भले ही 15 किलोमीटर हो लेकिन विकास के कदम अब तक यहां नहीं पड़े हैं.
शौचालय निर्माण की नहीं मिली प्रोत्साहन राशि
यहां स्कूल भवन तो है, लेकिन बाउंड्री वाल नहीं है, क्लासरूम तो है, लेकिन किचन शेड नदारद है. ग्रामीणों को आरोप है कि गर्मी के दिनों पीने के पानी के लिए जूझना पड़ता है. इसके साथ ही यहां रहने वाले लोगों का आरोप है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत उन्होंने शौचालय तो अपने जेब से रकम खर्च कर बनवा लिया लेकिन इसका भुगतान आज तक नहीं हुआ है.
बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा
गांव के युवाओं का कहना है कि रोजगार के साधन नहीं होने की वजह से वो बोरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं. शायद यही वजह रही होगी कि इस बार पार्टी ने छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया है. अब देखना यह होगा कि नए चेहरे पुराने चेहरों की गलतियों को ढककर पार्टी की नैया पार लगा पाते हैं या नहीं.