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जांजगीर-चांपा: सरकारी कॉलेज खंडहर में तब्दील, जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर छात्र - पहला सरकारी कॉलेज डभरा

जांजगीर चांपा के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का सबसे पुराना सरकारी कॉलेज की हालत बद से बदत्तर होती जा रही है. कॉलेज की बिल्डिंग इस कदर जर्जर हो चुकी है कि यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. कई बार इस मामले में जिम्मेदारों से शिकायत की गई लेकिन कॉलेज की बदहाली पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर छात्र
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Published : Dec 8, 2019, 9:40 PM IST

चंद्रपुर/जांजगीर-चांपा: जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का सबसे पुराना और पहला सरकारी कॉलेज डभरा अपने हाल पर आंसू बहा रहा है. साल 1982-83 से संचालित ये कॉलेज कई समस्याओं से जुझ रहा है. इतने साल बीत जाने के बाद भी इसके मरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया.

जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर छात्र

हालात ये है कि कॉलेज भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है, प्लास्टर गिर रहे हैं, दीवारों में दरारें पड़ चुकी है. कई बार यहां पढ़ने वाले छात्र हादसे का शिकार हो चुके हैं. फिर भी छात्र-छात्राएं ऐसी स्थिति में पढ़ने को मजबूर हैं. इन सबके साथ ही परेशानियां अभी कम नहीं है, कॉलेज में शिक्षा का स्तर भी भवन की तरह खस्ता हाल है.

शिक्षा व्यवस्था भी ठप
कॉलेज की बदहाली के साथ -साथ यहां पढ़ाई व्यवस्था भी खस्ताहाल है. कॉलेज में कुल 1148 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं कई विषयों के लिए यहां प्रोफेसर भी नहीं है. कई वर्षों से ये पद खाली हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने 15 प्रोफेसर पदों की स्वीकृति दी है, लेकिन अभी यहां फिलहाल सिर्फ 6 पदों में नियुक्ति है. बाकी सभी विषयों के प्रोफेसर के पद रिक्त हैं.
रिक्त पदों में राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, वाणिज्य, जंतु-विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिक और गणित जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक आज तक नहीं हैं.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
साल 2009 में सिर्फ एक विषय पर राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की कक्षाएं शुरू की गई थी. इसके बाद आज तक दूसरे विषयों पर पीजी की कक्षाएं शुरू नहीं की गई हैं. जबकि कई बार कॉलेज प्रशासन हिंदी साहित्य और वनस्पति शास्त्र और गणित के लिए शासन से मांग कर चुका है. इन सबके बावजूद जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं.

परेशानियां जस की तस
वहीं कॉलेज की समस्याओं को लेकर छात्र-छात्राएं लगातार कई सालों से बार-बार आंदोलन और अनशन कर चुके हैं. इसके बाद भी समस्याएं जस की तस है.

हैरत की बात है कि इतने साल बीत गए कहने के लिए यह सरकारी कॉलेज इस क्षेत्र का पहला और सबसे पुराना कॉलेज है, लेकिन यहां पढ़ने वाले छात्र आज भी मुलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं और अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. बावजूद इसके यहां के छात्रों की सुध कोई नहीं ले रहा है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार और प्रशासन कब इनकी मांगों पर ध्यान देता है.

चंद्रपुर/जांजगीर-चांपा: जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का सबसे पुराना और पहला सरकारी कॉलेज डभरा अपने हाल पर आंसू बहा रहा है. साल 1982-83 से संचालित ये कॉलेज कई समस्याओं से जुझ रहा है. इतने साल बीत जाने के बाद भी इसके मरम्मत की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया.

जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर छात्र

हालात ये है कि कॉलेज भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता है, प्लास्टर गिर रहे हैं, दीवारों में दरारें पड़ चुकी है. कई बार यहां पढ़ने वाले छात्र हादसे का शिकार हो चुके हैं. फिर भी छात्र-छात्राएं ऐसी स्थिति में पढ़ने को मजबूर हैं. इन सबके साथ ही परेशानियां अभी कम नहीं है, कॉलेज में शिक्षा का स्तर भी भवन की तरह खस्ता हाल है.

शिक्षा व्यवस्था भी ठप
कॉलेज की बदहाली के साथ -साथ यहां पढ़ाई व्यवस्था भी खस्ताहाल है. कॉलेज में कुल 1148 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं कई विषयों के लिए यहां प्रोफेसर भी नहीं है. कई वर्षों से ये पद खाली हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने 15 प्रोफेसर पदों की स्वीकृति दी है, लेकिन अभी यहां फिलहाल सिर्फ 6 पदों में नियुक्ति है. बाकी सभी विषयों के प्रोफेसर के पद रिक्त हैं.
रिक्त पदों में राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी, वाणिज्य, जंतु-विज्ञान, रसायन शास्त्र, भौतिक और गणित जैसे मुख्य विषयों के शिक्षक आज तक नहीं हैं.

जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
साल 2009 में सिर्फ एक विषय पर राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की कक्षाएं शुरू की गई थी. इसके बाद आज तक दूसरे विषयों पर पीजी की कक्षाएं शुरू नहीं की गई हैं. जबकि कई बार कॉलेज प्रशासन हिंदी साहित्य और वनस्पति शास्त्र और गणित के लिए शासन से मांग कर चुका है. इन सबके बावजूद जिम्मेदार इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं.

परेशानियां जस की तस
वहीं कॉलेज की समस्याओं को लेकर छात्र-छात्राएं लगातार कई सालों से बार-बार आंदोलन और अनशन कर चुके हैं. इसके बाद भी समस्याएं जस की तस है.

हैरत की बात है कि इतने साल बीत गए कहने के लिए यह सरकारी कॉलेज इस क्षेत्र का पहला और सबसे पुराना कॉलेज है, लेकिन यहां पढ़ने वाले छात्र आज भी मुलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं और अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. बावजूद इसके यहां के छात्रों की सुध कोई नहीं ले रहा है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार और प्रशासन कब इनकी मांगों पर ध्यान देता है.

Intro:स्लग:- शासकीय महाविद्यालय डभरा में बुनियादी सुविधाओं का अभाव। एंकर:- चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र का सबसे पुराना एवं पहला शासकीय महाविद्यालय डभरा अपने हालत के लिए आंसू बहा रहा है सन 1982 - 83 से संचालित शासकीय महाविद्यालय अनेकों समस्याओं से जूझ रहा है परंतु 36 बरसों के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में कोई सुधार नहीं हुआ है महाविद्यालय भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है इतने साल पुराने भवन के जगह-जगह जर्जर हो चुके हैं बारिश में पानी टपकता है छत के प्लास्टर गिर रहे हैं दीवारों में दरारें पड़ चुका है कई बार महाविद्यालय में छात्र छात्राएं हादसे की शिकार हो चुके हैं और बाल बाल बचे हैं वहीं महाविद्यालय छात्र छात्राओं के लिए सही ढंग से भवन नसीब नहीं हुआ है इस महाविद्यालय में छात्र छात्राएं डर डर कर अध्यापन कार्य करते हैं परीक्षा के समय बरामद में बैठकर परीक्षा देते हैं शिक्षा के नाम पर कोई सुविधा नहीं है अभी कुल 1148 छात्र-छात्राएं महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं वहीं कई विषयों में प्रोफेसर व प्राध्यापक के पद खाली वर्षों से रिक्त हैं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 15 प्राध्यापकों पदों की स्वीकृति दी गई है परंतु अभी वर्तमान में 6 पदों में ही नियुक्ति है बाकी सब विषयों के प्राध्यापक के पद रिक्त हैं रिक्त पदों में राजनीति शास्त्र समाजशास्त्र इतिहास हिंदी अंग्रेजी वाणिज्य जंतु विज्ञान रसायन शास्त्र भौतिक गणित प्रमुख विषयों के प्राध्यापक आज तक नहीं हैं इस महाविद्यालय में उच्च शिक्षा के नाम पर भी सरकार छलावा कर रही है साल 2009 में मात्र एक विषय पर राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर पी जी की कक्षाएं शुरू की गई इसके बाद आज तक अन्य विषयों पर भी पीजी की कक्षाएं चालू नहीं की गई है जबकि कई बार महाविद्यालय प्रशासन द्वारा हिंदी साहित्य व बनस्पति शास्त्र गणित सब्जेक्ट में शासन को मांग कर चुके हैं इसके बाद भी किसी प्रकार की ध्यान नहीं दिया जा रहा है अन्य विषयों में पी जी कोर्स नहीं होने के कारण गरीब बच्चे दूसरे शहरों में पढ़ाई नहीं कर पाते शासकीय महाविद्यालय डभरा बुनियादी सुविधाओं के अभाव में धीरे-धीरे दम तोड़ रही है जबकि समस्याओं को लेकर महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं के द्वारा लगातार कई सालों से बार-बार आंदोलन व अनशन कर चुके हैं इसके बाद भी समस्याएं जस की तस है क्षेत्रीय विधायक एवं सांसदों की निष्क्रियता के कारण शासकीय महाविद्यालय विद्यालय उपेक्षा का शिकार हो रहा है इन के द्वारा महाविद्यालय के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है बाईट:- हेमंत चौहान छात्र बाईट:- नम्रता वैष्णव छात्रा बाईट:-आर पी त्यागी प्रभारी प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय डभराBody:ररConclusion:दद
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