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बस्तर को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियान - हरिक नानी बेरा

बस्तर में कुपोषण के खिलाफ जिला प्रशासन ने जंग छेड़ दी है. यहां मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत बच्चों और महिलाओं को खाद्य पदार्थ बांटे जा रहे हैं.

Malnutrition Anemia Free Bastar
मूंगफली और गुड़ युक्त लड्डू
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Published : Aug 21, 2020, 9:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर: संभाग में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी चुनौती है. बस्तर एक आदिवासी बाहुल क्षेत्र है, जहां सामाजिक रहन-सहन और खानपान की विविधता अशिक्षा, कुपोषण और एनिमिया का मुख्य कारण है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से क्षेत्र को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कर विकास की ओर अग्रसर होना है.

बस्तर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग ने उत्तम रणनीति तैयार कर कुपोषण और एनीमिया से बस्तर को मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है. कुपोषण में कमी लाने के लिए समुदाय की सहभागिता और शासकीय प्रयासों के समन्वय से लक्ष्यों को प्राप्त किया जा रहा है. वजन त्यौहार के आंकड़ो के अनुसार बस्तर जिले में कुपोषण 25.60 प्रतिशत है.

आमचो लेकी, आमचो माय

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 6 महीने से 6 साल उम्र के बच्चे ‘हरिक नानी बेरा‘ (खुशहाल बचपन ) और 15 साल से 49 साल के गंभीर एनीमिक महिलाओं के लिए आमचो लेकी, आमचो माय (हमारी लड़की, हमारी माता) आरंभ किया गया था.

एनीमिया को कम करना है प्राथमिकता

आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर में कुपोषण और एनीमिया के कारण गर्भवती, शिशुवती माताओं और बच्चों को पर्याप्त पौष्टिक आहार ना मिलना, बच्चों का बीमारी से ग्रस्त होना, साथ ही समाज में पोषण संबंधी जागरूकता का अभाव है. ‘गढबो नवा छत्तीसगढ़‘ क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण स्तर में कमी लाना, 15 से 49 साल उम्र की एनीमिया पीड़ित महिलाओं में एनीमिया को कम करना प्राथमिकता में है. लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बस्तर जिले में ‘हरिक नानीबेरा (खुशहाल बचपन)‘ अभियान के तहत पहले चरण में जिले के 82 सर्वाधिक कुपोषण वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को चयनित किया गया.

लड्डू बनाने के लिए प्रशिक्षण

मूंगफली और गुड युक्त लड्डू निर्माण के लिए कलस्टर आधार पर चयन किया गया और चयन के पश्चात् लड्डू बनाने के लिए जिला स्तर पर महिला बाल विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण किया गया. सबसे पहले चरण के लिए समूह 81 केंद्रों के लिए 5 समूह, दूसरे चरण के 1 हजार 81 केंद्रों के लिए 11 समूह और तीसरे चरण के लिए 1 हजार 981 केंद्रों 24 बिहान महिला स्व-सहायता समूह का चयन कर लड्डू बनाने के लिए चिन्हांकित किया गया है.

लड्डू की होती है सप्लाई

आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सुपरवाइजर ने लड्डू के लिए बच्चों के अनुसार मांग पर लड्डू बनाने के लिए प्रस्तुत की जाती है, जिसके बाद दिशा-निर्देशानुसार प्रति बच्चों को 25 ग्राम मूंगफली और गुड़ युक्त लड्डू दिए जाने हैं और 1 किलो में 40 लड्डू मिठाई डिब्बा में प्रदाय किए जाने हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सभी खाद्य पदार्थों का वितरण होता है.

बस्तर: संभाग में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी चुनौती है. बस्तर एक आदिवासी बाहुल क्षेत्र है, जहां सामाजिक रहन-सहन और खानपान की विविधता अशिक्षा, कुपोषण और एनिमिया का मुख्य कारण है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से क्षेत्र को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कर विकास की ओर अग्रसर होना है.

बस्तर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग ने उत्तम रणनीति तैयार कर कुपोषण और एनीमिया से बस्तर को मुक्त कराने का प्रयास किया जा रहा है. कुपोषण में कमी लाने के लिए समुदाय की सहभागिता और शासकीय प्रयासों के समन्वय से लक्ष्यों को प्राप्त किया जा रहा है. वजन त्यौहार के आंकड़ो के अनुसार बस्तर जिले में कुपोषण 25.60 प्रतिशत है.

आमचो लेकी, आमचो माय

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 6 महीने से 6 साल उम्र के बच्चे ‘हरिक नानी बेरा‘ (खुशहाल बचपन ) और 15 साल से 49 साल के गंभीर एनीमिक महिलाओं के लिए आमचो लेकी, आमचो माय (हमारी लड़की, हमारी माता) आरंभ किया गया था.

एनीमिया को कम करना है प्राथमिकता

आदिवासी बहुल क्षेत्र बस्तर में कुपोषण और एनीमिया के कारण गर्भवती, शिशुवती माताओं और बच्चों को पर्याप्त पौष्टिक आहार ना मिलना, बच्चों का बीमारी से ग्रस्त होना, साथ ही समाज में पोषण संबंधी जागरूकता का अभाव है. ‘गढबो नवा छत्तीसगढ़‘ क्रियान्वयन में मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में बच्चों के कुपोषण स्तर में कमी लाना, 15 से 49 साल उम्र की एनीमिया पीड़ित महिलाओं में एनीमिया को कम करना प्राथमिकता में है. लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बस्तर जिले में ‘हरिक नानीबेरा (खुशहाल बचपन)‘ अभियान के तहत पहले चरण में जिले के 82 सर्वाधिक कुपोषण वाले आंगनबाड़ी केन्द्रों को चयनित किया गया.

लड्डू बनाने के लिए प्रशिक्षण

मूंगफली और गुड युक्त लड्डू निर्माण के लिए कलस्टर आधार पर चयन किया गया और चयन के पश्चात् लड्डू बनाने के लिए जिला स्तर पर महिला बाल विकास विभाग की ओर से प्रशिक्षण किया गया. सबसे पहले चरण के लिए समूह 81 केंद्रों के लिए 5 समूह, दूसरे चरण के 1 हजार 81 केंद्रों के लिए 11 समूह और तीसरे चरण के लिए 1 हजार 981 केंद्रों 24 बिहान महिला स्व-सहायता समूह का चयन कर लड्डू बनाने के लिए चिन्हांकित किया गया है.

लड्डू की होती है सप्लाई

आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सुपरवाइजर ने लड्डू के लिए बच्चों के अनुसार मांग पर लड्डू बनाने के लिए प्रस्तुत की जाती है, जिसके बाद दिशा-निर्देशानुसार प्रति बच्चों को 25 ग्राम मूंगफली और गुड़ युक्त लड्डू दिए जाने हैं और 1 किलो में 40 लड्डू मिठाई डिब्बा में प्रदाय किए जाने हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सभी खाद्य पदार्थों का वितरण होता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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