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जगदलपुर: सूखने की कगार पर इंद्रावती नदी, सरकार नहीं दे रही ध्यान - बस्तर की प्राणदायिनी

बस्तर की लाइफलाइन कही जाने वाली इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर है. सरकार ने एक साल पहले इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है.

Water crisis deepens in Indravati river in bastar
इंद्रावती नदी
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Published : Feb 26, 2020, 4:43 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर : गर्मी का मौसम नजदीक है और एक बार फिर बस्तर की प्राणदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर है. पिछले साल भी गर्मी में इंद्रावती पूरी तरह सूख गई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि विश्व प्रसिध्द चित्रकोट जलप्रपात भी पानी के अभाव में सूख गया था.

इंद्रावती नदी में फिर गहराया जल संकट

शहर के जागरूक लोगों ने इंद्रावती बचाओ मंच का गठन कर ओडिशा से चित्रकोट तक पदयात्रा की और सरकार के सामने इस समस्या को संज्ञान में भी लाया था.

हालांकि सरकार ने भी इसे गंभीर समस्या मानते हुए इसके निराकरण के लिए बाकायदा इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. जिससे प्राणदायनी नदी को बचाया जा सके. पर इन सब घोषणाओं को आज एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन इस ओर सरकार ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया है.

पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति

दरअसल, ओडिशा के कालाहांडी से निकलने वाली इंद्रावती का एक लंबा रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है और यही वजह है कि इसे बस्तर की प्राणदायनी भी कहा जाता है. इसका उद्गम ओडिसा से हुआ है, जिसकी वजह से हमेशा से ही इंद्रावती के पानी के बंटवारे को लेकर पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति रही है.

साल 2003 में एक समझौते के तहत सालाना 8.115 टीएमसी पानी देने का वादा ओडिशा सरकार ने किया था, लेकिन आज भी ओडिशा सरकार की ओर से वादाखिलाफी ही की जा रही है.

अब तक नहीं हुआ कोई काम

बीजेपी शासनकाल में वर्तमान बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने भी कई बार ओडिशा में निर्माण किए जा रहे जोरा नाला का दौरा कर इस समस्या का स्थायी हल निकालने की बात कही थी. लेकिन समय के साथ इंद्रावती की हालत बिगड़ती चली गई और आज आलम यह है कि बस्तर को जीवन देने वाली इंद्रावती नदी खुद अपने वजूद की जंग लड़ रही है. शहरवासियों ने इसे बचाने एक मुहिम शुरू की जिसका नाम इंद्रावती बचाओ मंच रखा गया. आगे चलकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया.

'पानी का सूखना चिंता का विषय'

एक साल बाद अब समस्या फिर से सामने खड़ी है, जिसे लेकर इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्य अनिल लुक्कड़ कहते हैं कि 'इंद्रावती में अब केवल सहायक नदियों का पानी बचा है. सरकार ने जो वादा किया था वह पूरा नहीं कर पाई, जो की आने वाले समय के लिए चिंता का विषय है'.

बस्तर के विधायक ने झाड़ा पल्ला

वहीं बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष और बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल ने इस मामले पर रटा रटाया जवाब देते हुए पल्ला झाड़ लिया कि इंद्रावती प्राधिकरण का गठन जल्द कर लिया जाएगा और बस्तरवासियों को पानी की समस्या नहीं होगी.

जगदलपुर : गर्मी का मौसम नजदीक है और एक बार फिर बस्तर की प्राणदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी सूखने के कगार पर है. पिछले साल भी गर्मी में इंद्रावती पूरी तरह सूख गई थी. इसका नतीजा यह हुआ कि विश्व प्रसिध्द चित्रकोट जलप्रपात भी पानी के अभाव में सूख गया था.

इंद्रावती नदी में फिर गहराया जल संकट

शहर के जागरूक लोगों ने इंद्रावती बचाओ मंच का गठन कर ओडिशा से चित्रकोट तक पदयात्रा की और सरकार के सामने इस समस्या को संज्ञान में भी लाया था.

हालांकि सरकार ने भी इसे गंभीर समस्या मानते हुए इसके निराकरण के लिए बाकायदा इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की थी. जिससे प्राणदायनी नदी को बचाया जा सके. पर इन सब घोषणाओं को आज एक साल से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन इस ओर सरकार ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया है.

पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति

दरअसल, ओडिशा के कालाहांडी से निकलने वाली इंद्रावती का एक लंबा रास्ता बस्तर से होकर गुजरता है और यही वजह है कि इसे बस्तर की प्राणदायनी भी कहा जाता है. इसका उद्गम ओडिसा से हुआ है, जिसकी वजह से हमेशा से ही इंद्रावती के पानी के बंटवारे को लेकर पड़ोसी राज्य से विवाद की स्थिति रही है.

साल 2003 में एक समझौते के तहत सालाना 8.115 टीएमसी पानी देने का वादा ओडिशा सरकार ने किया था, लेकिन आज भी ओडिशा सरकार की ओर से वादाखिलाफी ही की जा रही है.

अब तक नहीं हुआ कोई काम

बीजेपी शासनकाल में वर्तमान बस्तर सांसद दिनेश कश्यप ने भी कई बार ओडिशा में निर्माण किए जा रहे जोरा नाला का दौरा कर इस समस्या का स्थायी हल निकालने की बात कही थी. लेकिन समय के साथ इंद्रावती की हालत बिगड़ती चली गई और आज आलम यह है कि बस्तर को जीवन देने वाली इंद्रावती नदी खुद अपने वजूद की जंग लड़ रही है. शहरवासियों ने इसे बचाने एक मुहिम शुरू की जिसका नाम इंद्रावती बचाओ मंच रखा गया. आगे चलकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने इंद्रावती प्राधिकरण के गठन की घोषणा की, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया.

'पानी का सूखना चिंता का विषय'

एक साल बाद अब समस्या फिर से सामने खड़ी है, जिसे लेकर इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्य अनिल लुक्कड़ कहते हैं कि 'इंद्रावती में अब केवल सहायक नदियों का पानी बचा है. सरकार ने जो वादा किया था वह पूरा नहीं कर पाई, जो की आने वाले समय के लिए चिंता का विषय है'.

बस्तर के विधायक ने झाड़ा पल्ला

वहीं बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष और बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल ने इस मामले पर रटा रटाया जवाब देते हुए पल्ला झाड़ लिया कि इंद्रावती प्राधिकरण का गठन जल्द कर लिया जाएगा और बस्तरवासियों को पानी की समस्या नहीं होगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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