जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के जगदलपुर इलाके में एक ऐसी सब्जी है, जिसके स्वाद के हजारों लोग कायल हैं. इतना ही नहीं इसकी कीमत चिकन से भी ज्यादा है. इस सब्जी का नाम है 'बोड़ा' है, जो छत्तीसगढ़ में ही नहीं अन्य राज्यों में भी इसकी अच्छी खासी डिमांड है. बोड़ा के दीवाने सैंकड़ो किमी की दूरी तय कर जदगलपुर के बाजारों में पहुंचते हैं और बेशुमार कीमती सब्जी को खरीदते हैं. साथ ही इस लजीज स्वाद की सब्जी का लुत्फ उठाते हैं.
लजीज स्वाद के लाखों दिवाने
बता दें कि बस्तर के जंगलों में उपज रहे बोड़ा सब्जी की ज्यादातर लोग दीवाने हैं और लोगों की इसी दीवानगी के चलते ये सब्जी बस्तर में 1200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है. ''बोड़ा'' कहलाने वाली ये सब्जी देश की सबसे महंगी शाकाहारी सब्जियों में शुमार है. जो ज़मीन के अंदर उगता है और ये सिर्फ साल वृक्षों के नीचे ही पाया जाता है, जिसके लजीज स्वाद के लाखों लोग दिवाने हैं.
12 सौ रुपए किलो बिकता है बोडा
अनोखी बात ये है की यह ज़मीन के अंदर उगने वाला एक तरह का फंगस है, जो प्राकृतिक ढंग से ही उगता है, इसमें कोई बीज नहीं होता, इसके उत्पादन की तकनीक को खोज पाने में वैज्ञानिक अब तक नाकाम रहे हैं. प्राकृतिक रूप से निश्चित अवधि के लिए ही इसका उगना और इसका स्वादिष्टता ने इसे विशेष बना दिया है. इसकी डिमांड के चलते ये यहां 1200 रुपये किलो की दर से बिकती है. 300 से भी अधिक किलोमीटर दूर के दूसरे राज्यों तक इसकी सप्लाई भी होती है.
लोगों का कहना है कि ये मांसाहारी व्यंजनों से भी अधिक स्वादिष्ट है. वातावरण में आए परिवर्तन के चलते जब बोड़ा की आवक कम होती है तो लोग मुंह मांगी कीमत पर इसे खरीदने को तैयार रहते हैं. वर्षा ऋतू में बस्तर और उसके सीमावर्ती राज्यों में गर्मी के चलते जब लोग मांसाहार अधिक पसंद नहीं करते तब साल वनों के द्वीप में उपजने वाले बोडे की सब्जी ही घर-घर में बनती है.
इसके फायदे-
जानकारी के मुताबिक बोड़ा में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, फैट और एनीमिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है जिसके चलते ये स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. मटमैले रंग के चलते इसे धरती के अंदर खोज पाना बड़ा मुश्किल होता है. बोड़ा की पैदावार कृत्रिम ढंग से कर पाने की जुगत में लगे वैज्ञानिक यदि सफल हो जाएं तो ये सब्जी देश और दुनिया भर के सब्जी बाज़ार में धूम मचा सकती है.